इस बार भी वास्तविकता से परे तैयार होगा नगर निगम चंडीगढ़ का बजट, फरवरी माह के पहले सप्ताह में होगी चर्चा
चंडीगढ़ नगर निगम बजट पर फरवरी माह के पहले सप्ताह में चर्चा की जाएगी। बजट पास करके प्रशासन को भेजा जाएगा। नगर निगम की ओर से इस बार प्रशासन से दिल्ली फाइनेंस कमिशन की चौथी सिफारिश के अनुसार ही 950 करोड़ रुपये की ग्रांट इन एड मांगी जाएगी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। नगर निगम कमिश्नर ने अधिकारियों को नए वित्तीय सत्र के लिए बजट तैयार करने के लिए कहा है। बजट पर फरवरी माह के पहले सप्ताह में चर्चा की जाएगी। बजट पास करके प्रशासन को भेजा जाएगा। नगर निगम की ओर से इस बार प्रशासन से दिल्ली फाइनेंस कमिशन की चौथी सिफारिश के अनुसार ही 950 करोड़ रुपये की ग्रांट इन एड मांगी जाएगी। जबकि असल में प्रशासन की ओर से नगर निगम को 500 से 525 करोड़ रुपये की ग्रांट इन एड ही मिलेगी। जबकि नगर निगम की सलाना कमाई 450 करोड़ रुपये के लगभग है। ऐसे में वित्तीय वर्ष के लिए नगर निगम की ओर से 1650 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया जाएगा। जो कि वास्तविकता से परे होगा। जबकि इतनी राशि नगर निगम के पास कभी नहीं आएगी। जबकि दो साल पहले प्रशासन नगर निगम को वास्तविकता से परे होने के कारण बजट लौटा चुका है लेकिन इसके बावजूद नगर निगम हर बार इसी तरह का बजट तैयार करता है जिसकी आय और व्यय में भारी अंतर होता है।
नगर निगम का हर माह का खर्चा 70 करोड़ रुपये है जिनमें कर्मचारियों के वेतन और जरूरी खर्चे है। जिसमें नगर निगम कोई कटौती नहीं कर सकता है। सदन में आने से पहले प्रस्तावित बजट को वित्त एवं अनुबंध कमेटी में पास किया जाएगा। इस माह के अंत तक अनुबंध कमेटी की बैठक की तारीख मेयर सरबजीत कौर की ओर से तय की जाएगी। अब पहली बार आम आदमी पार्टी के पार्षद चुनकर नगर निगम में आए हैं जिन्होंने शहरवासियों से नगर निगम चुनाव में कई लुभाने वायदे भी किए थे इन वायदों को पूरा करने के लिए इन पार्षदों को अतिरिक्त फंड चाहिए। यह फंड नगर निगम को मिलना मुश्किल है। पार्षदों को अपने वार्ड के डवलेपमेंट फंड के लिए 80 करोड़ रुपये की राशि अप्रैल माह में मिलेगी।
पिछली बार 1627 करोड़ का किया गया था पास
पिछली बार निगम ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 1627 करोड़ रुपये का बजट पास किया था। जिसमे कैपिटल हेड में 443 करोड़ रुपये और रेवेन्यू हेड में 1184 करोड़ का बजट रखा था। जबकि कैपिटल हेड में मुश्किल से 60 करोड़ का भी खर्चा नहीं किया गया है। पूरा साल नगर निगम में वित्तीय संकट रहा। निगम ने पानी और सीवरेज सेस से 150 करोड़, प्रापर्टी टैक्स से 40 करोड़, हाउस टैक्स से 15 करोड़ और नगर निगम के अन्य विभागों में आने वाली रसीद से 130 करोड़ रुपये आने का दावा किया है। अब गांवों के विकास की जिम्मेवारी भी नगर निगम की है। नगर निगम की करोड़ों की संपत्ति शहर में खाली पड़ी है। इस संपत्ति को निगम लीज पर द सकता है। रेट और किराया ज्यादा होने के कारण लोग इन संपत्तियों की ओर रुचि नहीं दिखाते हैं। इसे लेकर सदन में भी कई बार प्रस्ताव लाया जा चुका है, लेकिन प्रशासन हर बार प्रस्ताव ठुकरा देते है।नगर निगम ने रिवाइज बजट में 125 करोड़ की मांग की थी जो कि नहीं मिला है।