लोगों को इंसाफ देने और दिलाने वालों की नहीं हो रही सुनवाई, चंडीगढ़ जिला अदालत में पांच वर्षों से नहीं बनी मल्टीलेवल पार्किंग
चंडीगढ़ के जिला अदालत की पार्किंग सभी के लिए परेशानी बनी हुई है। यहां जज वकील सहीत चार हजार रोजाना आते हैं। ऐसे में लोगों को अपने वाहन पार्क करने के लिए यहां कोई उचित व्यवस्था नहीं है। अदालत के साथ कच्चे मैदान में वाहन पार्क करने पड़ते हैं।
चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। संविधान में न्यायपालिका का निर्माण इंसाफ दिलाने के लिए हुआ है। न्यायपालिका में लोगों को न्याय मिले इसके लिए जज से लेकर वकील और मुंशी तक की व्यवस्था भी संविधान में हुई है। लेकिन हैरत की बात है कि दूसरों को इंसाफ दिखाने वालों की सुनवाई ही नहीं हो रही है। चंडीगढ़ के सेक्टर 43 में जिला अदालत के जजों, वकीलों और आम लोगों को लिए पार्किंग की सबसे बड़ी समस्या है।
जिला अदालत के अंदर 17 कोर्ट हैं और एक मेडिएशन सेल भी है। अदालत में 18 जज और 35 सौ वकील भी रजिस्टर हैं। रोजाना जिला अदालत में जज के अलावा एक हजार वकीलों का आना स्वाभाविक है। वहीं, कोर्ट में सात सौ से ज्यादा मुंशी भी हैं। जिला अदालत के अन्य स्टाफ की गिनती भी करीब एक हजार है। जज, वकील और अन्य कर्मचारी स्टाफ रोजाना ढाई हजार लोग अदालत पहुंचते हैं।
35 करोड़ का प्रोजेक्ट पांच सालों से नहीं चढ़ा सिरे
रोजाना चार हजार वाहनों के लिए पांच साल पहले चंडीगढ़ प्रशासन ने 35 करोड़ का मल्टीलेवल पार्किंग का प्रोजेक्ट तैयार किया था। करीब दो साल बाद 2017 में प्रोजेक्ट की लागत राशि बढ़ाकर 75 करोड़ रुपये कर दी गई। इसकी मंजूरी एमएचआरडी से होनी थी लेकिन यह प्राेजेक्ट अब तक सिरे नहीं चढ़ पाया है।
चंडीगढ़ जिला अदालत के साथ खाली जगह पर पार्क किए गए वाहन।
खाली मैदान में जमा होता है कीचड़, पैदल चलना भी मुश्किल
कोर्ट परिसर के अंदर करीब पांच सौ छोटे वाहनों के खड़े होने की व्यवस्था है, लेकिन इस समय पार्किंग में डेढ़ से दो सौ चार पहिया वाहन और अन्य दो पहिया वाहनों से ही वह पार्किंग भर जाती है। इसके बाद वकील और अन्य लोगों को अदालत के साथ कच्चे स्थान पर वाहनों को पार्क करना पड़ता है। कच्ची पार्किंग में भी करीब तीन से चार सौ वाहन पार्क होते हैं। बारिश होने पर मुश्किल और बढ़ जाती है। बारिश के मौसम में वाहन खड़ा करके उस कच्चे मैदान से निकलकर कोर्ट परिसर तक पहुंचना सभी के लिए डेढ़ खीर साबित होता है।