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मुद्दा: चंडीगढ़ से फिसलता पंजाब का अधिकार

-30 वर्षो से चंडीगढ़ को लेकर चल रही राजनीति -60:40 का अनुपात रखा गया था पंजाब री-ऑर्गेनाइ

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 07:38 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 07:38 PM (IST)
मुद्दा: चंडीगढ़ से फिसलता पंजाब का अधिकार
मुद्दा: चंडीगढ़ से फिसलता पंजाब का अधिकार

-30 वर्षो से चंडीगढ़ को लेकर चल रही राजनीति

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-60:40 का अनुपात रखा गया था पंजाब री-ऑर्गेनाइजेशन एक्ट के तहत पंजाब व हरियाणा में

-60 फीसद कर्मचारी पंजाब और 40 फीसद पंजाब के होने चाहिए

-50 फीसद से अधिक पंजाब कैडर के मुलाजिम लगाए जाने का प्रावधान

भाखड़ ब्यास प्रबंधन बोर्ड में

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::कॉमन इंट्रो::

सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ पिछले तीन दशकों से पंजाब के लिए राजनीति का केंद्र बना हुआ है। 2018 को छोड़ दिया जाए, तो बजट सत्र से पूर्व जब भी राज्यपाल विधानसभा में अपना अभिभाषण पढ़ते थे, तो चंडीगढ़ पर अधिकार को लेकर हमेशा जोर दिया जाता था। चंडीगढ़ को भले ही पंजाब की सरकारें अभिन्न अंग बताती हों, लेकिन इसके विपरीत सिटी ब्यूटीफुल के प्रशासनिक कामकाज में पंजाब का कद लगातार छोटा होता जा रहा है। केंद्र सरकार ने यूटी को दानिक्स (दिल्ली, अंडमान एंड निकोबार आइलैंड्स सिविल सर्विसिज) कैडर में मर्ज किया तो एक बार फिर यह मुद्दा गर्म हो गया है।

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डीएसपी स्तर के अधिकारी किसी भी यूटी में दे सकेंगे सेवाएं

केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) पुलिस सर्विस रूल्स बनाकर इसे दूसरी यूटी के साथ मर्ज कर दिया है। इससे चंडीगढ़ में लगने वाले डीएसपी स्तर के अधिकारी किसी भी यूटी में अपने सेवाएं दे सकते हैं। केंद्र सरकार के इस फैसले का मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत पंजाब के हर नेता ने विरोध किया। कैप्टन ने तो केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिख कर भी अपनी आपत्ति दर्ज करवाई। इसके विपरीत एक कड़वा सच यह भी है कि प्रशासनिक अधिकारियों को यूटी में लगाने को लेकर पंजाब लंबे समय से उदासीन है। महत्वपूर्ण विभागों में पंजाब के अधिकारी नहीं

चंडीगढ़ में पंजाब के अधिकारियों को महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट नहीं दिए जा रहे हैं। जो डिपार्टमेंट हमेशा पंजाब के अधिकारियों के पास रहते थे, अब उन्हें यूटी कैडर से भरा जा रहा है। पहले चंडीगढ़ में पुलिस प्रमुख पंजाब का होता था। उसके पास ही सभी तरह के डिपार्टमेंट होते थे, लेकिन अब एसएसपी उनका जरूर होता है, लेकिन लॉ एंड ऑर्डर जैसे डिपार्टमेंट दूसरे अधिकारी की जिम्मेदारी होती है। इसी तरह से डीएसपी मामले में दानिक्स कैडर को यूटी कैडर में मर्ज कर दिया गया है। पंजाब कोटे के कई मुख्य पद खाली

चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल एंड टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन लि. (सिटको) के मैनेजिंग डायरेक्टर का पद पंजाब कोटे का है, लेकिन लंबे समय से यह पद खाली है। इसके कारण यूटी कैडर के अधिकारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इससे पहले असिस्टेंट एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर की पोस्ट पर पंजाब का अधिकारी होता था, लेकिन पिछले दो कार्यकाल से इस पद पर हरियाणा के अधिकारी तैनात है। पंजाब के पैनल को रिजेक्ट कर इस बार भी हरियाणा कैडर के अधिकारी का चयन किया गया। पंजाब नहीं भेज रहा अधिकारी

यूटी प्रशासन के बार-बार रिमाइंडर के बाद भी पंजाब अधिकारियों का पैनल ही नहीं भेज रहा है। इस कारण यूटी कैडर के अधिकारियों को इन पदों की जिम्मेदारी दी जा रही है। पहले एमसी कमिश्नर के लिए साल भर अधिकारी नहीं मिला। अब सिटको एमडी के लिए पैनल नहीं भेजा जा रहा है। यूटी में कैडर वाइज आइएएस अधिकारी

-यूटी कैडर: एडवाइजर, सेक्रेटरी कार्मिक, स्पो‌र्ट्स सेक्रेटरी, एडीसी, एसडीएम साउथ, डायरेक्टर आइटी, स्पेशल कमिश्नर एमसी (7)

-पंजाब: वित्त सचिव, एमसी कमिश्नर, स्पेशल सेक्रेटरी फाइनेंस (3)

-हरियाणा: होम सेक्रेटरी, डीसी (2)

-अनुपात: पंजाब री ऑर्गेनाइजेशन एक्ट के तहत पंजाब और हरियाणा में 60:40 अनुपात रखा गया था। नियमों के अनुसार चंडीगढ़ में 60 फीसद कर्मचारी पंजाब व 40 फीसद हरियाणा के होने चाहिए। बादल भी उठा चुके हैं मामला

इससे पहले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भी चंडीगढ़ में पंजाब का अधिकार कम करने का मामला कई बार उठाया था। उन्होंने 60:40 का अनुपात बरकरार रखने के लिए कई बार चंडीगढ़ और केंद्र सरकार को लिखा। इन यूटी में होगा तबादला

चंडीगढ़ पुलिस में लोकल डीएसपी के तौर पर कुल 7 डीएसपी तैनात हैं। नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दमन एंड दीव, दादर और नगर हवेली की यूटी पुलिस सर्विस रूल्स पॉलिसी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की जारी अधिसूचना के बाद चंडीगढ़ भी इस लिस्ट में शामिल हो गया। पॉलिसी के तहत सभी डीएसपी चंडीगढ़ पुलिस की जगह दानिक्स का बैच लगाएंगे और इनकी कहीं भी ट्रांसफर हो सकती है। खर्च उठा रहा पंजाब, काम कर रहे हिमाचल के मुलाजिम

भाखड़ ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में भी 50 फीसद से अधिक पंजाब के कैडर से मुलाजिम लगाए जाने का प्रावधान है, लेकिन पंजाब सरकार की ओर से पावर व सिंचाई के लिए अधिकारियों व मुलाजिमों को नहीं भेजे जाने के कारण बीबीएमबी में हिमाचल कैडर का बोलबाला हो गया है। इसका मुख्य कारण है कि पंजाब से कोई भी अधिकारी बीबीएमबी में जाने को तैयार नहीं होता। नियमों के मुताबिक पंजाब सरकार को अपना शेयर देना पड़ता है। ऐसी स्थिति में पंजाब सरकार उन मुलाजिमों का भी खर्च उठा रहा है, जो पंजाब से नहीं हैं। नीति में बदलाव करने की तैयारी

बीबीएमबी व चंडीगढ़ में पंजाब के अधिकारियों व मुलाजिमों की कम होती संख्या को देख अब पंजाब सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि जब भी नौकरी के लिए विज्ञापन निकाला जाएगा, तो इस बात को जरूर इंगित किया जाएगा कि वह बीबीएमबी या चंडीगढ़ में काम करेंगे।

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-प्रस्तुति : कैलाश नाथ, चंडीगढ़


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