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एमएसपी की गारंटी ने खोली मूंग की राह, पंजाब में दाल की खेती छोड़ चुके किसानों ने दिखाया उत्साह

पंजाब में मूंग दाल की एमएसपी तय हो गई है। भगवंत मान सरकार ने इसकी खरीद की गारंटी दी है। इसके बाद किसानों का मूंग बिजाई के लिए उत्साह बढ़ा है। राज्य में इस बार 97000 एकड़ रकबे में मूंग की बिजाई की गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 10:07 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 02:09 PM (IST)
एमएसपी की गारंटी ने खोली मूंग की राह, पंजाब में दाल की खेती छोड़ चुके किसानों ने दिखाया उत्साह
मूंग की एमएसपी से किसानों में उत्साह। सांकेतिक फोटो

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। केंद्र सरकार द्वारा मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7275 रुपये तय करने और उसके बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा इसकी खरीद एमएसपी पर करने की गारंटी देने के बाद पंजाब के किसानों ने मूंग की बिजाई में उत्साह दिखाया है।

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पंजाब में पहली बार मूंग की खेती के रकबे में रिकार्ड 77 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस बढ़ोतरी से राज्य में न केवल करीब चार लाख क्विंटल मूंग की पैदावार होगी, बल्कि मूंग की कटाई के बाद धान की फसल की बिजाई या रोपाई के लिए कम समय बचने पर भूजल की बचत भी होगी।

केंद्र सरकार द्वारा हर साल 23 से ज्यादा फसलों का एमएसपी घोषित किया जाता है, लेकिन गेहूं और धान की खरीद ही एमएसपी पर हो पाती है। जिस कारण किसान केवल इन्हीं दो फसलों की तरफ आकर्षित होते आए हैैं। परंतु इस बार पंजाब सरकार ने मार्कफेड को नोडल एजेंसी बनाकर मूंग की फसल एमएसपी पर खरीदने की गारंटी दी है। जिसके बाद किसानों ने मूंग की बिजाई में उत्साह दिखाया।

पंजाब में इस बार 97,000 एकड़ रकबे में मूंग की बिजाई की गई है। पिछले साल यह रकबा 55,000 एकड़ था। मानसा जिले में सबसे ज्यादा मूंग की बिजाई हुई है। मूंग की बिजाई का क्षेत्रफल बढऩे का एक और कारण गेहूं की कटाई जल्द होना भी है।

भारी गर्मी के कारण इस बार गेहूं की फसल जल्द पक गई, लेकिन दाना सिकुडऩे से किसानों को प्रति एकड़ आठ से 10 हजार रुपये का नुकसान भी हुआ है। ऐसे में पंजाब सरकार की घोषणा किसानों के नुकसान को कम करने में सहाई साबित होती दिख रही है।

किसानों ने सठ्ठी मूंगी लगाई है जो दो महीने में पककर तैयार हो जाएगी। धान की सीधी बिजाई या रोपाई से पहले किसानों को प्रति एकड़ चीन से चार क्विंटल मूंग की फसल मिलने से 22 से 29 हजार रुपये मिल जाएंगे। वैसे गेहूं की कटाई के बाद किसान दो महीने के लिए खेत खाली रख देते हैं और 10 जून से धान की रोपाई का काम शुरू हो जाता है। परंतु अब जून के अंत तक ही मूंग की फसल तैयार होगी।

ऐसे मिलेगी भूजल बचाने में मदद

कृषि माहिरों के अनुसार किसान अप्रैल के अंत में मूंग लगाते हैं और यह फसल जून अंत तक पककर तैयार होगी। उसके बाद किसानों के पास धान की पीआर 126 किस्म या बासमती लगाने का ही विकल्प बच जाता है। पंजाब सरकार भी यही चाहती है कि धान की सीधी बिजाई या रोपाई ज्यादा से ज्यादा देरी से हो।

इसका कारण यह है कि पंजाब में अमूमन 10 जून से धान की रोपाई होती आई है। मई के अंतिम सप्ताह से जून के अंत तक पंजाब में बारिश न के बराबर होती है और धान की रोपाई के लिए खेतों में कम से कम 15 दिन तक पानी जमा किया जाता है, परंतु अत्याधिक गर्मी के कारण वह लगातार सूखता रहता है।

खेत में जरूरत के अनुरूप पानी खड़ा रखने के लिए ट्यूबवेलों के माध्यम से और ज्यादा भूजल का दोहन करना पड़ता है। खेत में खड़े पानी में ही धान की रोपाई होती है, जबकि जुलाई में मानसून में बारिश होने से किसानों को बहुत ज्यादा मात्रा में भूजल निकालने की जरूरत नहीं रहती।

दरअसल, इस बार 97,000 एकड़ में मूंग की फसल की बिजाई हुई है तो इतना तय है कि इतने रकबे में धान की बिजाई जून अंत या जुलाई की शुरुआत में ही होगी। तब तक पर्यावरण में प्री मानसून के कारण नमी की मात्रा बढ़ जाएगी और खेतों में लगाए जाने वाले पानी का वाष्पीकरण बहुत कम होगा, इसलिए धान के लिए भूजल की बहुत कम जरूरत पड़ेगी।


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