कॉमेडी क्वीन उपासना सिंह को अब भी आती है कपिल शर्मा की याद, कही यह बड़ी बात
उपासना सिंह को अब भी कॉमेडी किंग कपिल शर्मा की याद आती है। उनका कहना है कि कपिल के शो के बाद मैंने टीवी छोड़ दिया व अब पंजाबी फिल्मों से फुर्सत नहीं है।
चंडीगढ़, [शंकर सिंह]। स्टार काॅमेडियन कपिल शर्मा की ऑन स्क्रिन बुआ रहीं उपासना सिंह काे अब भी कपिल शर्मा की याद आती है। उनका कहना है कि कपिल के साथ काम करने बहुत खुशी मिली, लेकिन एक बार उनका शो बंद हो गया तो मैंने टीवी शो से दूरी बना ली और पंजाबी फिल्माें में व्यस्त हो गई। अब पंजाब में काम करके अच्छा लग रहा है और आनंद आ रहा है।
बाेलीं- कपिल के शो के बाद टीवी से हुई दूर, अब फिल्में ही इतनी हैं कि कॉमेडी शो के लिए समय नहीं मिलता
उपासना सिंह ने जागरण से खास बातचीत में कहा कि उन्होंने फिल्माें और टीवी दोनों में ही कॉमेडी की और नाम कमाया। हर राज्य की तमाम भाषाओं में काम किया। मगर अब पंजाब में ही मन लग गया है। वह दैनिक जागरण के चंडीगढ़ कार्यालय में पहुंची थीं। साथ में उनकी नई पंजाबी फिल्म 'जिंद जान' के निर्देशक दर्शन बग्गा भी थे। उपासना ने बातचीत में अपनी अभिनय यात्रा और पंजाबी फिल्मों में आए नए बदलाव के बारे में खुलकर बात की। उन्हाेंने बताया कि उनकी करीब छह से सात पंजाबी फिल्में आ रही हैं। ऐसे में इतनी व्यस्त हूं कि कोई टीवी शो में काम नहीं कर पा रही हूं।
कॉमेडियन कपिल शर्मा की चर्चा करने पर उनके चेहरे पर खुशी छलक उठी। उपासना ने कहा, कपिल बहुत अच्छा इंसान है। टीवी शो 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' में काम करके मुझे बहुत खुशी मिली । उस दौरान मेरा कलर्स चैनल के साथ कॉन्ट्रेक्ट था। मगर वह शो बंद हुआ, तो कपिल सोनी चैनल में चले गए। इसके बाद मुझे लगा कि मुझे अब फिल्मों में ही ज्यादा ध्यान देना चाहिए। दरअसल, टीवी में लंबा वक्त देना पड़ता है, मेरे लगभग हफ्ते के दो दिन ही मुंबई में गुजरते हैं, ऐसे में इससे ब्रेक लेकर अपना ध्यान फिल्मों में ही लगाया है।
एडल्ट कॉमेडी पसंद नहीं ऐसे में छोड़ी कई वेब सीरिज
दैनिक जागरण अाफिस पहुंची अभिनेत्री उपासना सिंह का स्वागत करते सीजेएम माेहिंदर कुमार
अब एडल्ट कॉमेडी को ज्यादा टेंड है, कपिल शर्मा के शो में हम कंटेंट खुद तैयार करते थे
एक सवाल के जवाब में उपासना ने कहा,' कॉमेडी काफी बदल गई है? अब एडल्ट कॉमेडी का ज्यादा ट्रेंड है? हालांकि मुझे ये जोनर पसंद नहीं। दरअसल मैं हमेशा क्लीन कॉमेडी को ही पसंद करती हूं।' उन्होंने कहा, कपिल शर्मा के साथ शो करते वक्त हम खुद उसका कंटेंट तैयार करते थे। प्राथमिकता यही होती थी कि उसमें कोई अश्लील या एडल्ट कॉमेडी न हो। मुझे लगता है कि साफ कॉमेडी ही बेस्ट फॉर्म ऑफ कॉमेडी है। मैं जब तक पंजाबी फिल्मों में रही, तो मैंने क्लीन कॉमेडी ही की, मगर 90 के दशक के बाद मैं इंडस्ट्री से इसी वजह से दूर हुई, क्योंकि उसमें काफी एडल्ट कॉमेडी होने लगी थी।
जब टॉप एक्ट्रेस होते हुए भी सबसे कम पैसे मुझे ही मिले
उपासना ने पंजाबी फिल्मों की चर्चा करते हुए कहा कि पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री अब काफी बदल गई है, ये हिंदी फिल्मों को टक्कर दे रही है। ये अच्छे संकेत है। मुझे याद है मैंने जब पंजाबी सिनेमा छोड़ा तो मैं 75 हजार रुपये लेती थी, मुझे जट्ट एंड जूलियट में जब कास्ट किया गया, तो मैंने सोचा कि मैं ज्यादा पैसे नहीं मांग सकती हूं। ऐसे में मैंने प्रोड्यूसर से पांच लाख रुपये मांगे। उन्होंने झट हां कह दी, इस पर मैं हैरान थी कि पंजाबी सिनेमा में इतना पैसा मिल रहा है। लेकिन कुछ दिनों बाद पता चला कि सभी स्टारकास्ट मुझ से ज्यादा पैसे फिल्माें में ले रहे हैं। उसके बाद मुझे अंदाजा हुआ कि पंजाबी फिल्मों का बजट कितना ग्रांड (बड़ा) हो गया है।
बेहतर कंटेंट के लिए डायरेक्टर से लड़ भी लेती हूं
उपासना सिंह ने कहा कि फिल्म 'जिंद जान' में वह एक एक्ट्रेस बनना चाहती हैं। उनका इसमें कॉमिक रोल है। फिल्म को दर्शन बग्गा निर्देशित कर रहे हैं। उपासना ने कहा कि बग्गा के साथ काफी अच्छे संबंध हैं। ऐसे में वो फिल्म की स्क्रिप्ट लेकर पहुंचे, तो उन्हाेंने हां कर दी। मैं पहले रोल पर ही ध्यान देती हूं। मेरी दरअसल अब ये आदत बन गई है कि कंटेंट के लिए लड़ाई करूं। ऐसे में सेट में एक या दो बार मेरी डायरेक्टर से लड़ाई जरूर हो जाती है। ये सब कंटेंट को अच्छा करने के लिए किया जाता है। मुझे उम्मीद है कि बग्गा और मेरे काम को लोग जरूर सराहेंगे।
मां ने मुझे इस लायक बनाया कि मैं जो चाहूं कर सकूं
उपासना ने कहा कि उनका बचपन मां के हौसलों को देखते हुए बीता। उनकी मां स्कूल टीचर थी, ऐसे में घर में पढ़ाई का माहौल तो रहा, लेकिन उन्होंने हमेशा वही करने के लिए प्रेरित किया, जो हम करना चाहते थे। हम दो बहनें हैं। मेरी एक बहन ने पढ़ाई में अपना नाम बनाया और मुझे लगा मुझे अभिनय की दुनिया में जाना चाहिए।
उपासना ने कहा कि उस दौरान एक लड़की का अभिनय की दुनिया में आना ही बड़ी बात हो जाती थी। लेकिन मेरी मां ने मुझे हौसला दिया और मुझ पर विश्वास करते हुए मुझे थिएटर में ही एमए करने के लिए प्रेरित किया। उसी दौरान मुझे पहली पंजाबी फिल्म 'बदला जट्टी दा' मिली। इसके बाद एक राजस्थानी और एक गुजराती फिल्म भी मुझे मिल गई। ऐसे में अपनी थिएटर के पढ़ाई पूरी करके जब मुंबई पहुंची तो मैं एक कामयाब नाम बन चुकी थी।
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