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जोखिम में जान..उफनते नदी-नालों पर पाइपों से गुजरते हैं बच्चे

राजेश मलकानिया, पंचकूला : हरियाणा के पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में हरियाणा सरकार और भाजपा अ

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 09:04 PM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 09:04 PM (IST)
जोखिम में जान..उफनते नदी-नालों पर पाइपों से गुजरते हैं बच्चे
जोखिम में जान..उफनते नदी-नालों पर पाइपों से गुजरते हैं बच्चे

राजेश मलकानिया, पंचकूला : हरियाणा के पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में हरियाणा सरकार और भाजपा अपनी नीतियों, कार्यक्रमों एवं आज तक प्रदेश में किए गए कामों को लेकर मंथन करने जा रही है। परंतु सरकार को मोरनी के लिए भी मंथन करने की बहुत जरूरत है। मोरनी खंड आज भी कई मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। मोरनी के भोज कोटी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में रोजाना सैकड़ों बच्चे अपनी जान को जोखिम में डालकर पढ़ाई करने के लिए आते हैं। मोरनी में कोई अस्पताल और पटवारखाना नहीं है, बिजली गुल होने पर कहीं शिकायत केंद्र नहीं, स्कूलों में स्टाफ की कमी, पीने के साफ पानी की कमी से लोग रोजाना दो-चार होते हैं। सरकार को मोरनी पर फोकस केवल सैरगाह के लिए नहीं, बल्कि यहा पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए भी करना चाहिए। इन गावों के बच्चों को दिक्कत

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हरियाणा के इकलौते पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में स्कूली छात्रों का जीवन शिक्षा प्राप्त करने के लिए कठिनाई भरा है। छात्रों को स्कूल में पहुंचने के लिए जान जोखिम में डालकर दर्जनों नदी-नालों टूटे रास्तों से होकर आना पड़ता है। क्षेत्र के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में भोज कोटी पंचायत के सैकड़ों बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं, जिन्हें इन दिनों बरसात में नदी को पार करके जोखिम उठाना पड़ रहा है। कोटी पंचायत के पथरोटि, कोठी, चाकली, दंदोली, रुनजा ढाकर, सुखबाएं, देवरी, क्यारटा, बटोली, दागोह व थड़ आदि गावों के लगभग 150 स्कूल व कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं नदी से रास्ता होने के कारण बहुत अधिक प्रभावित हैं। वहीं, खंड की नाइटा व टिपरा पंचायत के गाव रेवाड़ी, बाग, खडूनी, चपलाना, काटली, कमहारू, दाबसु, खागड़ी तथा पलासरा पंचायत के खैरी, खोपर, अम्बोआ व अंदरवाला आदि ऐसे ही गाव हैं, जहा नदी-नालों में पानी का बहाव अधिक होने के कारण स्कूली बच्चों को स्कूल आने-जाने में समस्या आती है। पानी की पाइप लाइन बनी पुल

स्थानीय निवासी भरत सिंह, लज्जा राम, अजमेर, भोला नंद गौतम ने बताया कि जब भी नदी में पानी आ जाता है, तो गाव को पानी सप्लाई करने वाली पाइप लाइन को पुल बना लिया जाता है, इसमें जान को जोखिम बहुत ज्यादा है। दरअसल गाव भोज कोटी, दारड़ा, टिपरा, कोठी, राजटिकरी, ठंडोग में पानी की सप्लाई के लिए लोहे की लाइन नदी के ऊपर से बिछाई गई है। इस लाइन को ही स्कूली छात्र पुल मानकर अपनी जान को जोखिम में डालते हुए स्कूल पहुंचते हैं। इस पाइप लाइन से पैर फिसलकर नदी में गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है। इसके अलावा कई एक दूसरे को रस्सी के सहारे नदी पार करवाते हैं, जिसमे कुछ लोग नदी के दोनों किनारों पर सुबह से शाम तक लोगों को नदी पार करवाने का काम करते हैं। वाहन भी करने पड़ते हैं किनारों पर खडे़

बृजकिशोर गौतम ने बताया कि वह नदी पार गाव भोज कोठी में रहते हैं। नदी के पार के लोग अपने दोपहिया वाहन नदी के इस तरफ खड़े करके जाते हैं। यदि नदी पर पुल बन जाता, तो इतनी मुसीबत का सामना न करना पड़ता। पिछले कई सालों से यही सुनते आ रहे हैं कि इस बरसात के बाद पुल बन जाएगा, लेकिन आजादी के बाद आज भी लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करके आते हैं। कम वोट, विकास में रोड़ा

स्थानीय निवासी जगतराम, बाबू राम, गुलाब सिंह ने बताया कि ऐसा नहीं कि नदियों पर पुल नालों पर पुलियों के निर्माण के लिए पंचायतों वाले जागरूक नहीं हैं, लेकिन कम आबादी, बजट अधिक होना तथा राजीनितिक रूप में वोटों का प्रतिशत कम होना मोरनी के लोगों की परेशानियों के समाधान में आड़े रहा है। जहा कालका हलके में कुल मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख के करीब है, वहीं, मोरनी पहाड़ी क्षेत्र में पूरे खंड की मतदाता संख्या 15 हजार के लगभग है। जो अपने आपमें ही पिछड़ेपन की तस्वीर साफ करती है। जल्दी कर देते हैं छुट्टी

कोटी विद्यालय के प्रिंसिपल पवन जैन ने बताया कि बरसात में समस्या बढ़ जाती है। एक बार बहुत अधिक पानी आने पर बच्चे अपने घर भी नहीं जा सके थे। जब बरसात होने की संभावना नजर आती है, तो हम पहले ही छुट्टी कर देते हैं। सरकारी रेट पर ठेकेदार पुल बनाने को तैयार नहीं

पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा इस नदी पर पुल बनाया जाना है। सरकार की ओर से इस पुल के लिए 10 करोड़ रुपये की राशि अलॉट की गई है। जिसमें पथरौटी गाव से बड़ीशेर को जोड़ने का रास्ता फॉरेस्ट विभाग का है, उसे जोड़ने के लिए कुछ पैसा इस राशि देना है, इसके अलावा यहा से गुजर रही बिजली की लाइन को शिफ्ट या ऊपर करने के लिए बिजली विभाग के पास पैसा जाना है। पीडब्ल्यूडी बीएंडआर की ओर से इस पुल के लिए लगभग 5 करोड़ 48 लाख रुपये का एस्टीमेट लगाकर टेंडर लगाया गया था। ठेकेदार द्वारा लगभग 33 प्रतिशत अधिक पैसा एस्टीमेट से अधिक मागा गया। जिसके बाद ठेकेदार द्वारा टेंडर नेगोसेशन कमेटी के प्रस्ताव पर तैयार नहीं हुआ और काम फिर लटक गया। दोबारा लगाया गया है टेंडर

पीडब्ल्यूडी बीएंडआर विभाग द्वारा अब दोबारा से पुल के निर्माण के लिए टेंडर मागे गए हैं और 10 सितंबर तक टेंडर आमंत्रित किए गए हैं। जिसके बाद फिर से ठेकेदार नेगोसेशन के लिए जाएगा और यदि ठेकेदार राजी हो गया, तो पुल बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। स्कूल में स्टाफ भी नहीं

भोज कोटी के छात्रों के लिए केवल नदी ही एक समस्या नहीं है। बल्कि यहा के छात्र टीचरों की कमी से भी जूझ रहे हैं। बच्चों ने बताया कि स्कूल में गणित, इतिहास, केमिस्ट्री, शारीरिक शिक्षा, ड्राइंग के टीचर नहीं हैं। टीचरों के यहा न आने का एक कारण सरकार द्वारा अपनी घोषणा अनुसार पहाड़ी क्षेत्र में 20 प्रतिशत अधिक वेतन न देना भी है। कोटी की नदी पर पुल बनाने के लिए दोबारा से टेंडर रीकॉल किया गया है। टेंडर में ठेकेदार को काम अलॉट होने के बाद काम शुरू हो जाएगा। अक्तूबर माह में कोटी नदी पर पुल बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

-हरपाल सिंह, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी बीएंडआर


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