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टेबल थपथपाते रहे आप विधायक, काग्रेस ने लूटी वाहवाही

विधानसभा के मानसून सत्र की सूत्रधार आम आदमी पार्टी के विधायक सबसे अहम बेअदबी काड के मुद्दे पर हुई बहस में तालिया बजाते रहे और काग्रेस वाहवाही लूटती रही।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 10:39 PM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 05:22 PM (IST)
टेबल थपथपाते रहे आप विधायक, काग्रेस ने लूटी वाहवाही
टेबल थपथपाते रहे आप विधायक, काग्रेस ने लूटी वाहवाही

मनोज त्रिपाठी, चंडीगढ़ : विधानसभा के मानसून सत्र की सूत्रधार आम आदमी पार्टी के विधायक सबसे अहम बेअदबी काड के मुद्दे पर हुई बहस में तालिया बजाते रहे और काग्रेस वाहवाही लूटती रही। सत्र की माग सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने ही उठाई थी। इसके बाद अकालियों ने रिपोर्ट सदन में पेश करने के लिए सत्र बुलाने की माग रखी थी। रिपोर्ट सदन में पेश होने से पहले ही लीक होने के बाद बने माहौल का लाभ लेकर काग्रेस ने बिना किसी मुद्दे में फंसे वाहवाही लूटकर सत्र खत्म करवा लिया।

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विधानसभा के पाच सत्रों में काग्रेस की रणनीति सफल रही। आप कभी काग्रेस तो कभी अकालियों की रणनीति में उलझी रही। बेअदबी के मामलों की जाच रिपोर्ट आने से पहले ही आप विधायक सुखपाल सिंह खैहरा ने अपने बागी 8 विधायकों के साथ बरगाड़ी से लेकर कोटकपूरा तक रोष मार्च निकाल कर माहौल बनाया। इसके बाद आप के भगवंत मान गुट के विधायकों व अन्य नेताओं ने बरगाड़ी में धरना देकर मुद्दे को ताजा करने की कोशिश की। रिपोर्ट में सबसे पहले डीजीपी सुमेध सिंह सैनी सहित पाच बड़े पुलिस अधिकारियों के नाम आरोपितों के रूप में लीक हुए थे। सरकार ने डीजीपी के विरोध के बावजूद चार पुलिस अधिकारियों के नाम एफआइआर में दर्ज कर मामले को ठंडा करने की कोशिश की। 22 अगस्त तक इस मामले में प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल का नाम उछलने के बाद विपक्ष ने सरकार पर पूरा दबाव बना लिया कि रिपोर्ट पर बहस के लिए विशेष सत्र बुलाया जाए। कार्रवाई न करने को लेकर विपक्ष के दबाव में फंसी काग्रेस ने सत्र बुला भी लिया।

अंतिम दिन रिपोर्ट पर बहस के लिए 2 घटे का समय निर्धारित किया गया। अकालियों ने सदन के बाहर रिपोर्ट की सेल लगाकर सरकार को घेर लिया। अकालियों की कूटनीति काम आई और बहस के लिए निर्धारित 14 मिनट से ज्यादा समय की माग करके अकालियों ने वाकआउट कर अपनी फजीहत होने से बचा ली। सदन की कार्रवाई के समानांतर सदन चलाकर उसका लाइव टेलीकास्ट करवा दिया। नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहली बार सदन में आए हरपाल चीमा की कूटनीति खैहरा ने आसानी से फेल कर दी। पहले चीमा ने वक्ताओं की लिस्ट से खैहरा का नाम काट दिया था। खैहरा ने सीधा स्पीकर से समय लेकर मौजूदगी दर्ज करवाई। वहीं एडवोकेट एचएस फूलका आप विधायकों के शिक्षक की भूमिका निभाते रहे। एसजीपीसी के जत्थेदार के खिलाफ मर्यादा हनन का प्रस्ताव

पहली बार ऐसा हुआ है कि विधानसभा में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान जत्थेदार गोबिंद सिंह लोंगोवाल के खिलाफ मर्यादा हनन का प्रस्ताव पास किया गया हो। आयोग ने रिपोर्ट में एसजीपीसी को लेकर भी लिखा है कि इतनी महत्वपूर्ण संस्था ने बेअदबी जैसे मुद्दे पर जाच में सहयोग नहीं किया। इसे लेकर कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सुखपाल सिंह खैहरा, हरपाल सिंह चीमा सहित तमाम विधायकों ने माग रखी थी कि एसजीपीसी पर अकालियों का कब्जा है। इसलिए जाच में सहयोग नहीं किया है। इसे लेकर मर्यादा हनन का प्रस्ताव लाया जाए। संसदीय मामलों के मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा ने इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया और सर्वसम्मति से इसे सदन ने पास भी कर दिया। नशे व विकास पर नहीं हुई बहस

सत्र से पहले नशे के मुद्दे पर सरकार बुरी तरह से घिरी थी। तीन माह पहले तक पंजाब में लगातार नशे के ओवरडोज से हुई 60 से ज्यादा युवकों की मौत के बाद विपक्ष ने सरकार को घेरा था। उसके बाद बरसात में शहरों के हुए बुरे हाल व टूटी सड़कों व सीवरेज जाम जैसे स्थानीय मुद्दों ने भी सरकार की शहरी विकास की घोषणाओं को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया था। ट्रासपोर्ट माफिया, केबल माफिया के खिलाफ कारवाई के मुद्दे तो हवा ही हो गए। रिपोर्ट की बहस का लाइव टेलीकास्ट होने के बाद 60 से ज्यादा विधायकों ने निजी चैनल पर लाइव टेलीकास्ट रोकने के आरोप लगाए। कंवर संधू ने सबूत भी पेश किया कि किस प्रकार अकालियों ने टेलीकास्ट का प्रसारण प्रभावित किया।


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