जिस थाने में शहीद भगत सिंह ने गुजारी थी एक रात, अब उस जगह बनेगी लाइब्रेरी
थाने की कोठरी को रेनोवेट कराया जा रहा है और साथ ही यहां एक लाइब्रेरी भी बनाई जाएगी। लाइब्रेरी में भगत सिंह के द्वारा लिखी और उन पर आधारित पुस्तकों को रखा जाएगा।
चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। गुमनामी के अंधेरों में खो चुका मीरपुर का थाना एक बार फिर से गुलजार होगा। इस थाने में 14 जून 1929 को एक रात के लिए शहीद भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को अंग्रेजों ने बंधक बनाकर रखा गया था। आजादी के बाद इस थाने के बाहर छोटी सी फोटो शहीद भगत सिंह की लगाई गई थी, लेकिन किसी को इसका महत्व पता नहीं था। 90 सालों के बाद स्थानीय पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने जिम्मा उठाया है और थाने की कोठरी को रेनोवेट कराया जा रहा है और साथ ही यहां एक लाइब्रेरी भी बनाई जाएगी, ताकि लोग शहीद भगत सिंह को जान सकें और उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें।
दिल्ली असेंबली विस्फोट के बाद शहीद भगत सिंह को होनी थी सजा
शहीद वीरों भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव ने पहले लाहौर में सांडर्स को गोली मारकर मौत के घाट उतारा था और उसके बाद छह अप्रैल 1929 को दिल्ली की केंद्रीय संसद में बम विस्फोट करके खुले विद्रोह का ऐलान करते हुए गिरफ्तारी दी थी। दो महीने तक दिल्ली जेल में रहने के बाद शहीद भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव सजा सुनाने के लिए शिमला कोर्ट ले जाया जा रहा था। रास्ते में घग्गर नदी थी जिस पर कोई पुल नहीं था और पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण नौका से नदी पार नहीं हो सकी। घग्गर के नजदीक मीरपुर के थाने में एक रात के लिए तीन वीरों को रखा गया था।
खंडहर बन चुके थाने की हो रही रेनाेवेशन
स्थानीय लोगों के अनुसार मुबारकपुर में नए पुलिस थाने का निर्माण हो चुका है, जिसके बाद उस जगह को वीरान छोड़ दिया गया था। लेकिन नया थाना पुराने से 50 से 100 मीटर की दूरी पर है। जिस कारण मुबारकपुर थाने आैर डेराबस्सी के पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने इसे बेहतर बनाने का जिम्मा उठाया। जिस कोठरी में शहीद वीरों को रखा गया था उसके अंदर तीनों शहीदों की पेटिंग बनाई जा चुकी है। इस जगह को बेहतर बनाने के साथ ही यहां एक लाइब्रेरी खोलने की भी प्लानिंग चल रही है। इस लाइब्रेरी में भगत सिंह के द्वारा लिखी और उन पर आधारित पुस्तकों को रखा जाएगा।
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