मोहाली खाली कर रहा चंडीगढ़ का भूजल भंडार
चंडीगढ़ में भूजल तेजी से नीचे खिसक रहा है। सुखना लेक से लगने वाले नॉर्थ ईस्ट सेक्टरों की हालत सबसे ज्यादा खराब है।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़
चंडीगढ़ में भूजल तेजी से नीचे खिसक रहा है। सुखना लेक से लगने वाले नॉर्थ ईस्ट सेक्टरों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। इसका मुख्य कारण जानकर चौक जाएंगे। चंडीगढ़ का भूजल भंडार मोहाली खाली किए जा रहा है। वहां जमीन से पानी बल्क में खींचा जा रहा है। चंडीगढ़ में स्टेज ऑफ ग्राउंड वॉटर डेवलपमेंट यानी पानी का दोहन केवल 89 फीसद हो रहा है। जबकि मोहाली में दोहन 119 फीसद हो रहा है। बात पंचकूला की करें तो यहां भूजल दौहन 88 फीसद है। ट्राईसिटी में मोहाली सबसे अधिक भूजल निकाल रहा है। इसका मुख्य कारण मोहाली जिले में एग्रीकल्चर सेक्टर का विस्तार है। चंडीगढ़ में तो एग्रीकल्चर सेक्टर नाम का ही बचा है। जमीन के नीचे चंडीगढ़ का जल भंडार 3794 मीलियन क्यूबिक मीटर है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड नार्थ वेस्टर्न रीजन चंडीगढ़ की रिसर्च में यह सामने आया है। सुखना लेक के साथ लगते सेक्टरों में तेजी से नीचे जा रहा भूजल स्तर
चंडीगढ़ के अंदर भी भूजल को लेकर स्थिति एरिया वाइज अलग है। सुखना लेक के साथ लगते नार्थ ईस्ट के सेक्टरों का भूजल तेजी से नीचे खिसक रहा है। जबकि साउथ सेक्टरों में स्थिति काफी ठीक है। सुखना लेक के साथ लगते सेक्टर-3 में भूजल 53.64 मीटर बिलो ग्राउंड लेवल है। वहीं बुडैल में शैलो वाटर 2.75 मीटर बिलो ग्राउंड लेवल पर उपलब्ध है।
नहीं लगा सकते ट्यूबवेल, चंडीगढ़ ने 500 वर्ग गज क्षेत्रफल से बड़ी बिल्डिग के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिग अनिवार्य
भूजल के गिरते स्तर को देखते हुए चंडीगढ़ ने 500 वर्ग गज यानी एक कनाल से बड़े एरिया की बिल्डिग में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बिना बिल्डिग के प्लान को अप्रूवल नहीं मिल रही। अब इस दायरे को और कम किया जा रहा है। इसी तरह से चंडीगढ़ में ट्यूबवेल लगाने पर रोक है। केवल सरकारी ट्यूबवेल ही जरूरत पर लग सकता है। रेन हार्वेस्टिग सिस्टम बने शोपीस
चंडीगढ़ में 500 वर्ग गज बिल्डिग के साथ सभी संस्थानों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाना अनिवार्य है। लेकिन इन सिस्टम की साफ सफाई नहीं होने से पानी सही तरीके से इस तक पहुंच ही नहीं पाता। जिससे रिचार्ज नहीं हो रहा। पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ हाउसिग बोर्ड सहित कई संस्थानों में यह शोपीस ही बने हैं। चंडीगढ़ में भूजल 2.75 से 53.64 मीटर बिलो ग्राउंड लेवल पर उपलब्ध है। साउथ सेक्टरों में भूजल की स्थिति बेहतर है। सुखना लेक के साथ लगते सेक्टरों में गहराई बढ़ रही है। इसका कारण यह है कि सुखना लेक के साथ लगते सेक्टर ढलान में है। इसलिए यहां पानी टिकता नहीं है, जिससे रिचार्ज नहीं होता। चंडीगढ़ में स्टेज ऑफ ग्राउंड वाटर डेवलपमेंट 89 प्रतिशत है। जबकि मोहाली में यह 119 प्रतिशत है। भूजल रिचार्ज के लिए जरूरी कदम उठाने जरूरी है।
- जेएन भगत, साइंटिस्ट, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड, चंडीगढ़।