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पाबंदी के बावजूद खुलेआम जलाई जा रही खेतों में पराली, धुंए से फैलती हैं सांस की बीमारियां

Parali Burning in Punjab मोहाली के निकटवर्ती गांव गुन्नोमाजरा संगतियां से सियालबा को जाते मार्ग पर कई स्थानों पर खेतों में पराली जलती नजर आई है। एसडीएम खरड़ हिमांशु जैन ने कहा कि मौके पर एरिया नोडल अफसर को भेजा गया है। उचित कार्रवाई की जाएगी।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 08:54 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 08:54 AM (IST)
पाबंदी के बावजूद खुलेआम जलाई जा रही खेतों में पराली, धुंए से फैलती हैं सांस की बीमारियां
मोहाली के गुन्नोमाजरा गांव में पराली जलाए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। (जागरण)

कुराली (मोहाली), जेएनएन। पाबंदी के बावजूद किसान पराली जलाकर वातावरण में जहरीला धुआं घोल रहे हैं। जागरूकता के आभाव में सरेआम खेतों में पराली जलाई जा रही है। इससे आसपास के क्षेत्र में गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा पैदा हो गया है। निकटवर्ती गांव गुन्नोमाजरा, संगतियां से सियालबा को जाते मार्ग पर कई स्थानों पर खेतों में पराली जलती नजर आई है।

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मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में आती है कमी

किसान नायब सिंह के अनुसार पराली को जलाने से जहरीला धुआं उठता है जो कई तरह की बिमारियों का कारण बन सकता है। किसान पराली को आग लगा कर अपनी जिम्मेदारी से बचते हैं लेकिन बिमारियों की सौगात लोगों के घरों तक पहुंचाते हैं। ऐसा करके वह खुद का भी नुकसान करते है। किसानों को ऐसा करने से रोकने लिए प्रशासन को किसान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करना चाहिए।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव यूनियन (मोहाली) के चेयरमैन स्वर्ण सिंह ने कहा कि खेतों में किसानों को खेत में पराली जलाने की आदत सदा के लिए त्याग देनी चाहिए। पराली को जलाने से खेत में रूट जोन, जो मिट्टी की सतह से 15 सेंटीमीटर नीचे तक मानी जाती है, को बेहद नुकसान पहुंचता है। पराली को जलाने पर मिट्टी में मौजूद उपयोगी सूक्ष्मजीव भी मर जाते हैं। इसका नुकसान अगली फसल को होता है। खेत में आग लगाने से जमीन की नमी भी खत्म हो जाती है। वहीं, जहरीला धुआं मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित होता है।

धुआं सांस की बीमारियों को देता है जन्मः डा. बरिंदर कौर

सिविल अस्पताल कुराली की एसएमओ डा. बरिंदर कौर का कहना था कि खेतों में पराली जलाने से हवा में ऑक्सीजन लेवल कम होता है और एयर पाल्यूशन में इजाफा हो जाता है। पराली का धुआं सांस के साथ इंसान के शरीर में प्रवेश कर कई तरह की बिमारियों को जन्म देता है। इससे अस्थमा जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। अगर कोई मरीज पहले से अस्थमा से ग्रस्त है, उसे धुंए के कारण अस्थमा का गंभीर अटैक आने की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं। पराली के धुंए में सांस लेने से फेफड़े हमेशा के लिए कमजोर हो जाते हैं।

पराली जलाने वाले किसानों पर की जा रही कार्रवाईः एसडीएम

एसडीएम खरड़ हिमांशु जैन ने कहा कि गुन्नोमाजरा गांव के निकट पराली जलाए जाने के बाबत उन्हें सूचना मिली है। एरिया नोडल अधिकारी को मौका देखने के लिए भेजा गया है। उन्होंने बताया कि पराली को आग लगाने वाले किसानों को 2500 रुपये प्रति एकड़ जुर्माना सहित उनके खेत की फर्द में रेड एंट्री करने की जाती है। साथ ही, बनती कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।


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