यहां की 60% Mother's को लाडले से ज्यादा Figure की चिंता, नहीं कराती Breast feeding
60 प्रतिशत से ज्यादा नवजात बच्चों को माताएं अपना दूध नहीं पिला रहीं। अपने फिगर और खूबसूरती खराब होने के भ्रम में माताएं बच्चों को कमजोर और बीमार बनाने का काम कर रही हैं।
चंडीगढ़, [वीणा तिवारी]। चंडीगढ़ के 60 प्रतिशत से ज्यादा नवजात बच्चों को माताएं अपना दूध नहीं पिला रहीं। अपने फिगर और खूबसूरती खराब होने के भ्रम में माताएं बच्चों को कमजोर और बीमार बनाने का काम कर रही हैं। मां का दूध न मिलने के कारण बच्चों में खून की कमी और तमाम गंभीर बीमारियां हो रही हैं। चाइल्ड स्पेशलिस्ट का कहना है कि बच्चों को अपना दूध न पिलाकर माताएं उनके साथ खुद को भी गंभीर बीमारियों की चपेट में ला रही हैं।मां को छह महीने तक बच्चे को अपना दूध पिलाने से एक ओर जहां बच्चे का बेहतर विकास होता है वहीं मां कैंसर जैसी बीमारी के खतरे से बच सकती है।
चंडीगढ़ के बच्चों की स्थिति चिंताजनक
गवर्नमेंट मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल सेक्टर-16 के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की हेड डॉ. सद्भावना ने बताया कि मां का दूध न मिलने से बच्चों का पूर्ण विकास नहीं होता।नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की चंडीगढ़ की रिपोर्ट बेहद चिंताजनक है। रिपोर्ट के अनुसार चंडीगढ़ के महज 33 प्रतिशत बच्चों को ही मां का दूध मिल रहा है। इससे बच्चों में एनीमिया और तमाम गंभीर बीमारियां हो रही हैं। 5 साल तक के 25 प्रतिशत बच्चे अंडर वेट और कमजोर है। 6 माह से 5 साल तक के 73 प्रतिशत बच्चों में है खून की कमी।
महज 33 प्रतिशत बच्चों को मिल रहा मां का दूध इसलिए जरूरी है मां का दूध
नवजात में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसी स्थिति में उसे मां के दूध से ताकत मिलती है। मां के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व होता है, जो बच्चे की आंत में संक्रमण नहीं होने देता। जिन बच्चों को मां का दूध नहीं मिलता उन्हें कई प्रकार के संक्रमण हो जाते हैं। ऐसे बच्चों को डायबिटीज, कुपोषण, निमोनिया, डायरिया होने का खतरा बढ़ जाता है। उनका बौद्धिक विकास भी धीमा हो जाता है।
मां का दूध अमृत समान
मां के दूध में एंटी बॉडीज, हार्मोन, प्रतिरोधक कारक और ऐसे ऑक्सीडेंट पूर्ण रूप से मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के बेहतर विकास और स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। बालरोग विशेषज्ञों का कहना है कि जन्म के 6 माह तक के बच्चों को सिर्फ मां का दूध देना चाहिए। मां के दूध में पानी भी भरपूर मात्रा में होता है, इससे बच्चे के शरीर में पानी की पूर्ति भी होती रहती है।
जन्म के एक घंटे के अंदर अवश्य पिलाएं मां का दूध
जन्म के एक घंटे के अंदर निकलने वाला पहला पीला और गाढ़ा दूध नवजात को अवश्य पिलाएं। पहले दूध में विटामिन, एंटीबॉडी, अन्य पोषक तत्व काफी अधिक मात्रा में होते हैं, जिसे पीने से बच्चों में रतौंधी जैसे रोगों का खतरा नहीं रहता।
मां और बच्चे दोनों के लिए है फायदेमंद मां का दूध
शिशु के लिए हल्का व सुपाच्य होता है, जिससे उसे पचाने में बच्चे को कोई परेशानी नहीं होती। ब्रेस्ट फि¨डग से शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। दमा और कान संबंधी बीमारियों पर नियंत्रण रहता है, क्योंकि ब्रेस्ट फिडिंग से बच्चे के नाक और गले में प्रतिरोधी त्वचा बन जाती है। बच्चे में पेट, सांस, ब्लड कैंसर, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर होने का खतरा कम हो जाता है। ब्रेस्ट फिडिंग से ब्रेस्ट कैंसर और गर्भाशय के कैंसर का खतरा नहीं रहता। मां के दूध से बच्चे का आइक्यू पूर्ण रूप से विकसित होता है।
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