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पंजाब में 20 जिलों में मोबाइल टावरों पर तोडफ़ोड़, FIR केवल एक और गिरफ्तारी कोई नहीं

पंजाब में पुलिस की ढीली कार्यप्रणाली के कारण टावरों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं बढ़ी। टावरों को नुकसान पहुंचाने वाले इंटरनेट मीडिया पर तस्वीरें शेयर कर रहे हैं। इसके बावजूद कार्रवाई किसी पर नहीं हो रही है ।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 31 Dec 2020 10:00 AM (IST)Updated: Thu, 31 Dec 2020 10:26 AM (IST)
पंजाब में 20 जिलों में मोबाइल टावरों पर तोडफ़ोड़, FIR केवल एक और गिरफ्तारी कोई नहीं
पंजाब में मोबाइल टावर की तार काटते लोग। फाइल फोटो

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मोबाइल टावरों को नुकसान न पहुंचाए जाने के आदेशों के बावजूद मोबाइल टावरों पर तोडफ़ोड़ की घटनाएं नहीं थमीं। इसका एक बड़ा कारण पंजाब पुलिस की चुप्पी भी रही। पंजाब में जहां भी मोबाइल टावरों को नुकसान पहुंचाया गया वहां ऐसा करने वालों को गिरफ्तार करना तो दूर उनके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज नहीं कर पाई। पूरे पंजाब में केवल लुधियाना में एक एफआइआर दर्ज की गई और वह भी अज्ञात लोगों के खिलाफ। इस मामले के आरोपित भी अब तक ट्रेस नहीं हो पाए हैैं।

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मोबाइल कंपनियों के सूत्रों के अनुसार मोबाइल टावरों पर तोडफ़ोड़, बिजली कनेक्शन काट दिए जाने या अन्य तरीके से नुकसान पहुंचाए जाने के सबसे ज्यादा 370 मामले बठिंडा टेलीकाम सर्किल में सामने आए। वहीं लु्धियाना सर्किल में 320 तो अमृतसर सर्किल में यह संख्या 250 के करीब रही। इसके अलावा अन्य सर्किलों में भी बड़ी संख्या में टावर बंद करने की घटनाएं सामने आईं। पूरे प्रदेश में 1624 जगह टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है।

इन आंकड़ों को देखा जाए तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि पुलिस की ढीली कार्रवाई के कारण ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ती रहीं। पुलिस अधिकारी किसान संगठनों के नेताओं से यह तो कह रहे हैैं कि वह अपने लोगों को इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाने से रोकें लेकिन खुद कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

खास बात यह भी है कि टावरों को नुकसान पहुंचाने वाले, वहां से जेनरेटरों को ले जाने वाले अपने पोज फोटो खिंचवाकर और वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर शेयर कर रहे हैैं। इसके बावजूद पुलिस टावरों को नुकसान पहुंचाने वालों की पहचान न होने की बात कहती है, लुधियाना में दर्ज हुई एक मात्र एफआइआर इसका उदाहरण है जिसमें अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया गया है।

गौरतलब है कि तीन कृषि सुधार कानूनों के लिए रिलांयस समूह को जिम्मेदार मानते हुए आल इंडिया किसान संघर्ष समिति के नेताओं ने जिओ के कनेक्शन का बहिष्कार करने का आह्वान किया था। जिसके बाद इसकी आड़ में पंजाब में पिछले पांच दिनों से किसान जिओ टावरों को ही नुकसान पहुंचाने में जुट गए।

भाकियू (उगराहां) के प्रधान जोङ्क्षगदर सिंह उगराहां और भाकियू (चढ़ूनी) के प्रधान गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने किसानों से कहा है कि वह मोबाइल टावरों को नुकसान न पहुंचाएं। किसानों को नुकसान करने के लिए नहीं कहा गया है। इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाने वाले किसान आंदोलन को कमजोर कर रहे हैं।

70 फीसद टावरों ने दोबारा शुरू किया काम

मोबाइल कंपनियों के सूत्रों के अनुसार जिन टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है उनमें से 70 फीसद टावरों (करीब 1150) ने दोबारा काम करना शुरू कर दिया है। टावरों को दोबारा संचालित करने के लिए टीमें लगातार काम कर रही हैैं। एक दो दिन में सभी टावरों के दोबारा शुरू हो जाने की उम्मीद की जा सकती है।

कार्रवाई के दिए निर्देश : डीजीपी

पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता का कहना है कि पुलिस अधिकारियों से इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। अब ये घटनाएं कम हो गई हैं। जहां जहां भी टावरों के बिजली कनेक्शन काटे गए थे वह रीस्टोर करवा दिए गए हैं। किसी भी इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।


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