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भाव का अभिनय

मंच पर लाइट, हल्का सा म्यूजिक और एक किरदार।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 07:17 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 07:17 PM (IST)
भाव का अभिनय
भाव का अभिनय

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : मंच पर लाइट, हल्का सा म्यूजिक और एक किरदार। ये किरदार चेहरे को सफेद बनाए हुए अभिनय कर रहा है। कोई आवाज नहीं। संगीत एक तरह से आवाज है। जैसे-जैसे संगीत बदल रहा है, वैसे ही चेहरे के भाव भी। विलास जानवे, के बेहतरीन भाव, जो कुछ पल के लिए ये भुला दें कि एक्टिंग के लिए बोलना भी जरूरी होता है। टैगोर थिएटर सेक्टर-18 के मंच पर विलास के भाव एक-एक सेकेंड में आपको कला की एक अलग दुनिया में ले जाने को काफी थे। रविवार को विलास और किरण जानवे, प्रस्तुति देने पहुंचे, तो कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ। शहर में एक वर्कशॉप के लिए पहुंचे, विलास ने स्टूडेंट्स को वर्कशॉप तो दी ही, साथ ही खुद भी एक्ट किया। उन दिनों जब माइम को कोई देखने नहीं आता था

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विलास ने कहा कि उन्हें माइम इसलिए पसंद थी, क्योंकि ये काफी पुरानी आर्ट है। विलास बोले कि ग्रीक कल्चर में माइम द्वारा अभिनय होता था। इसमें कोई प्रॉपर्टी नहीं होती। बस आपकी बॉडी होती है, जिससे आपको अभिनय करना होता है। मैंने ऐसे में इसे शुरू किया। मुझे याद है जब एक बार मैं स्टेज पर एक्ट करने गया, तो लोगों ने काफी हू¨टग की। उन्होंने कहा कि ये आर्टिस्ट बोलता क्यों नहीं? इससे भी बुरा एक और जगह हुआ, जहां प्रतियोगिता के दौरान मेरा नाम ही नहीं लिया गया। ऐसे में मैंने फिर भी एक्ट करके दिखाया। लोगों ने इसका खूब मजाक उड़ाया। एक बच्चे ने तो मुझे 25 पैसे देते हुए कहा कि ये लो, मदद मिलेगी। मगर मेरी प्रस्तुति अच्छी थी, जहां से मुझे तीसरा स्थान मिला। मैंने कभी इसके बाद पीछे मुड़ के नहीं देखा। बंगाल है माइम का हब

विलास ने कहा कि उन्होंने पहली बार माइम कॉलेज के दिनों में होती देखी। उन दिनों साहिल चोयाल मेरे कॉलेज आए थे। उन्हें देखा, और मैं इस कला के प्रति समर्पित हो गया। मैंने उन्हें गुरु माना और उन्हीं से सीखा। इसके अलावा निरंजन गोस्वामी ने भी मुझे बहुत कुछ सिखाया। मेरे अनुसार, आज भी बंगाल में ही इस कला को ज्यादा समर्थन किया जाता है। वहां पर इसको लेकर कई थिएटर हाउस भी हैं। हां, आज के दिन में कई शहर इस और आकर्षित हो रहे हैं, खासकर युवा पीढ़ी। मैंने देश और विदेशों में प्रस्तुति दी, भारत में कई नृत्य कलाएं हैं, जिनमें भाव ही जरूरी है। ऐसे में हमें भी इस तरह की कला से मदद मिलती है। युवा कलाकारों ने दिए संदेश

टैगोर थिएटर-18 में विलास द्वारा वर्कशॉप से ट्रेंड स्टूडेंट्स ने भी माइम की प्रस्तुति दी। उन्होंने विभिन्न सामाजिक संदेश को माइम के द्वारा प्रस्तुत किया। बच्चों को चार दिन की वर्कशॉप दी गई थी, जिसमें उन्हें एक्सप्रेशन और बॉडी मूवमेंट के बारे में बताया गया।


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