चिताजनक : सुखना पर साल दर साल घट रही प्रवासी पक्षियों की संख्या
हजारों प्रवासी पक्षियों का आशियाना रही सुखना लेक वीरान होने लगी है। पक्षियों का लेक से मोहभंग होने लगा है।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़
हजारों प्रवासी पक्षियों का आशियाना रही सुखना लेक वीरान होने लगी है। पक्षियों का लेक से मोहभंग होने लगा है। नदी, झरने सब जमने की वजह से बर्फीले एरिया से यह मेहमान परिदे इन दिनों सुखना लेका रुख करते थे। हजारों मील का सफर तय कर प्रवासी पक्षी सुखना लेक पहुंचते थे। कई महीने तक यहां रहने के बाद वह गर्मियों की शुरुआत में वापस अपने जहां लौटते थे। नवंबर के पहले सप्ताह में ही यह पक्षी चंडीगढ़ पहुंच जाते थे। लेकिन अब दिसंबर शुरू होने के दो दिन रहने तक भी यह कहीं दिखाई नहीं देते हैं। इसका कारण यह है कि मेहमान परिदों का साल दर साल चंडीगढ़ से नाता टूट रहा है। पक्षियों की लगातार घटती संख्या चिताजनक है। कारण : एरिया में बढ़ा मानवीय दखल
सुखना लेक से मेहमान परिदों का नाता टूटने के दो मुख्य कारण है। एक तो सुखना लेक पर बढ़ती एक्टिविटी और लोगों की आवाजाही इसका कारण बन रही है। सुखना कैचमेंट एरिया तक में लोगों का दखल बढ़ा है। इसके अलावा सुखना लेक का बढ़ा जलस्तर भी इसका कारण है। पानी का स्तर पिछले कई वर्षों से लेक में अधिक रहा है। बरसात के दिनों में फ्लड गेट खोलने पड़ते हैं। इस वर्ष तो चार बार फ्लड गेट खोलने पड़े। पानी अधिक होने से पक्षियों को भोजन ढूंढने में किल्लत करनी पड़ती है। यही वजह है कि पक्षी अब दूसरी जगह जाना पसंद करते हैं। पोंग डैम और दूसरी जगहों पर पक्षियों की संख्या लगातार बढ़ी है। वर्ष 2017 में लेक का जलस्तर बहुत नीचे चला गया था। कई हिस्सों में लेक सूख गई थी उस दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी चंडीगढ़ आए थे। यह अभी तक का रिकॉर्ड रहा है। बर्ड सेंसेस में सख्या मिली कम
चंडीगढ़ बर्ड क्लब ने पिछले सप्ताह बर्ड सेंसेस के लिए सर्वे किया था। इस दौरान पिछले पांच वर्षों में सबसे कम पक्षी सुखना लेक के आस-पास मिले थे। इस सेंसेस के आंकड़े चौकाने वाले थे। पानी और जमीन पर रहने वाले दोनों तरह के पक्षी कम मिले थे। अभी तक सेंसेज का रिजल्ट
वर्ष वाटर फाउल कुल प्रजाति
2017 717 91
2018 417 98
2019 620 86
2020 429 77
2021 335 73