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चंडीगढ़ में मेट्रो: एडवाइजर धर्म पाल को कहीं महंगी न पड़ जाए मेट्रो पर मीटिंग, शुक्रवार को होगी बैठक

चंडीगढ़ समेत पूरी ट्राईसिटी में मेट्रो प्रोजक्ट को लेकर एक बार फिर से चर्चाएं होने लगी हैं। शहर के नए सलाहकार अब इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी सक्रिय होने लगे हैं। उन्होंने शुक्रवार को इस प्रोजेक्ट को लेकर बैठक भी बुलाई है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 01:37 PM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 01:37 PM (IST)
चंडीगढ़ में मेट्रो: एडवाइजर धर्म पाल को कहीं महंगी न पड़ जाए मेट्रो पर मीटिंग, शुक्रवार को होगी बैठक
चंडीगढ़ के सलाहकार धर्म पाल। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। ट्राईसिटी में मेट्रो प्रोजेक्ट की रिवाइज्ड डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट 14 हजार करोड़ रुपये की तैयार हुई थी। स्टेशन तक फाइनल हो चुके थे। ग्राउंड पर काम शुरू करने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होनी बाकी थी। इससे पहले ही इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा। कारण सबसे जरूरी सांसद किरण खेर की नाराजगी थी। खेर स्पष्ट कहती थी कि वह नहीं चाहती शहर को जगह-जगह से खोदा जाए और फिर ऐसे ही यह वर्षों तक खुदा पड़ा रहे। वह इसके लिए दिल्ली का उदाहरण भी देती थीं कि अब भी वहां कई जगह गड्ढे हैं, काम चल रहा है। इससे चंडीगढ़ की ब्यूटीफिकेशन प्रभावित होगी।

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सांसद के रवैये को भांपते हुए अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट को डंप कर दिया। साफ कह दिया कि यह केवल फाइल में ही जिंदा रहेगी। आगे इस पर काम नहीं होगा। अब नए एडवाइजर धर्म पाल मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर शुक्रवार को मीटिंग कर रहे हैं। कहीं उन्हें यह मीटिंग लेना महंगा न पड़ जाए। इससे उन्हें सांसद किरण खेर की नाराजगी झेलनी पड़े। अब यह शुक्रवार की मीटिंग के बाद ही फाइनल होगा।

ज्ञानचंद गुप्ता भी रेल मंत्री से मेट्रो के लिए कर चुके बात

हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने अप्रैल में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल से मीटिंग कर उनसे एनसीआर की तर्ज पर ट्राइसिटी में मेट्रो चलाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि तीनों शहरों की आपस में आवाजाही अधिक है। इसलिए मेट्रो प्रोजेक्ट जरूरी है। भाजपा की सांसद इसके खिलाफ है तो हरियाणा के विधानसभा अध्यक्ष इसे चलवाना चाहते हैं।   

110 मीटिंग, 10 करोड़ खर्च फिर भी जीरो

15 साल पहले 2006 में ट्राईसिटी के लिए मेट्रो प्रोजेक्ट पर मंथन शुरू हुआ। यह केवल मंथन तक सीमित नहीं रहा। मेट्रो की पूरी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई। 110 हाई प्रोफाइल मीटिंग, दस करोड़ रुपये खर्च करने और दस साल की माथापच्ची के बाद भी शहर में मेट्रो नहीं दौड़ पाई। 14 हजार करोड़ खर्च कर मेट्रो चलाई जानी थी। पहले डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) फिर रिवाइज्ड डीपीआर तैयार करने के बाद भी इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। मेट्रो नहीं चली तो बीच-बीच में मोनो रेल, ट्राम और स्काई बस चलाने की भी चर्चा और घोषणाएं हुई। लेकिन यह भी धरातल पर नहीं उतरी।

चंडीगढ़ मेट्रो का फाइलों में सफर

  • - 2006 मोनो रेल प्रोजेक्ट रद, केंद्र ने कहा मेट्रो की संभावना देखो
  • - 2007 मेट्रो प्रोजेक्ट की प्लानिंग शुरू
  • - 2008 राइट्स कंपनी को कंसल्टेंसी का काम
  • - 2010 राइट्स ने कंसल्टेंसी रिपोर्ट सौंपी
  • - 2010 दिल्ली मेट्रो को डीपीआर का काम
  • - 2012 दिल्ली मेट्रो ने तैयार की डीपीआर
  • - 2013 स्पेशल पर्पज व्हीकल का गठन
  • - 2014 एमओयू साइन के लिए बैठक
  • - 2016 मेट्रो प्रोजेक्ट पर एमपी ने उठाए सवाल
  • - 2017 वित्तीय घाटे को लेकर ट्राईसिटी में विवाद
  • - 2018 केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे घाटे का सौदा बताकर प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में डलवा दिया।

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