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पंजाब के कई शहरों में माहौल तनावपूर्ण, हिंसा पर उतारू हुए दलित

पंजाब में दलित संगठनों के बंद के आह्वान का मिलाजुला असर दिख रहा है। सरकार ने पहले ही शिक्षण संस्थाओं, बसों व मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी थी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 02 Apr 2018 09:48 AM (IST)Updated: Mon, 02 Apr 2018 06:17 PM (IST)
पंजाब के कई शहरों में माहौल तनावपूर्ण, हिंसा पर उतारू हुए दलित
पंजाब के कई शहरों में माहौल तनावपूर्ण, हिंसा पर उतारू हुए दलित

जेएनएन, चंडीगढ़। एससी-एसटी एक्‍ट संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दलित संगठनों द्वारा किए गए बंद के आह्वान का पंजाब के अधिकांश इलाकों में मिलाजुला असर दिख रहा है। बठिंडा में दलितों का प्रदर्शन हिंसक हो गया है। दलित संगठनों ने सड़क पर खड़े वाहनों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। बठिंडा के मेहना चौक स्थित राजपूत एस्‍टेट में एससी कैटेगरी व राजपूत समुदाय आमने-सामने हो गया। एससी समुदाय के लोगों ने एक व्‍यक्‍ित के घर में पत्‍थरबाजी की, जिससे भड़के लोगों ने गली बंद कर दी और प्रदर्शनकारियों को आगे नहीं जाने दिया। मौके पर माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। आलाधिकारी मौके पर पहुुंच चुके हैं।

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फिरोजपुर में प्रदर्शनकारी जम्मू तवी ट्रेन के शीशे तोड़ इंजन पर चढ़े़ गए। ट्रेन में दो विदेशी यात्री भी सवार हैं। प्रदर्शनकारियों ने डीआरएम आफिस पर भी पथराव किया और खिड़कियां तोड़ दी। आरपीएफ ने प्रदर्शनकारियों को वहा से खदेड़ दिया। वहीं, श्री मुक्तसर साहिब में एक तरफ दलित समुदाय के लोग दुकानें बंद करवा रहे हैं। दूसरी तरफ जनरल कैटेगरी के दुकानदार दुकानें खोल रहे हैं। ऐसे में तनाव की स्थिति बनी हुई है।  मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है। रिजर्व पुलिस को भी अलर्ट कर दिया गया है।

जालंधर, अमृतसर, लुधियाना, बरनाला, पटियाला सहित अन्य जिलों में भी दलित संगठनों के लोग सक्रिय हैं। संगठनों के कार्यकर्ता तड़के से ही सड़कों पर उतर आए। अमृतसर में वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने सचखंड एक्सप्रेस रोक दी, जिससे यात्री परेशान रहे। पटियाला में भी दलितों ने रेलवे ट्रेक पर डेरा जमा लिया है। इससे ट्रेनों की आवाजाही रुकी हुई है। किसी भी आशंका से निपटने के लिए पुलिस ने सुरक्षा के क़ड़े इंतजाम किए हैं।

जालंधर में प्रदर्शनकारियों ने टायर में आग लगाई। 

अमृतसर में तड़के चार बजे से ही समाज के लिए रेल अवरुद्ध करने के लिए सड़क पर उतर आए। वल्ला रेलवे स्टेशन पर तड़के पहुंचे प्रदर्शनकारी फाटक पर बैठ गए। जिस पर भारी संख्या में पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से मांगपत्र लेकर ट्रेन को रवाना किया। मजीठा रोड, फतेहगढ़ चूड़ियां रोड, हाल गेट, गिलवाली गेट, पुतलीघर, खजाना गेटों और शहर के प्रमुख बाजारों में प्रदर्शनकारी टोलियों में निकले और अपना रोष व्यक्त किया।

कपूरथला में रेलवे ट्रेक पर बैठे दलित। 

अमृतसर की तमाम सड़कें सुनसान रही और दुकानों के शटर डाउन रहे। प्रदर्शनकारियों ने एससी एसटी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में सरकार के खिलाफ लगाए नारे लगाए। पंजाब बंद को लेकर सुरक्षा प्रबंधों को लेकर जिला पुलिस के 4500 कर्मियों के साथ पीएपी के 7000 कर्मी तैनात किए गए है।

विभिन्न संगठन बंद को लेकर विरोध प्रदर्शन करने सड़क पर उतरे हुए हैं। अमृतसर जिले के कस्बों में भी बंद का व्यापक असर रहा। प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार का पुतला फूंक अपना रोष व्यक्त किया। 

 

अमृतसर में रेलवे ट्रेक की तरफ जाते वाल्मीकि समुदाय के सदस्य।

पठानकोट में दलितों ने डाक्टर भीम राव अंबेदकर के बैनर तले रोष मार्च निकाला। विभिन्न दलित संगठनों की और से एससी एकट में किए गए संसोधन को मोदी सरकार की साजिश बताया। संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस बात को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया और उसे अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों में बाहर का रास्ता दिखाने के लिए एकजुट होने का संदेश दिया।  

प्रदर्शनकारी किसी बात को लेकर हिंसक न हों इसे देखते हुए रोष रैली में हर दलित संगठन के साथ में पुलिस ने कमान संभाले हुए थे। रोष मार्च सुबह 11 बजे शहर की कबाड़ धर्मशाला से शुरु हुआ जो शहर के विभिन्न बाजारों होते हुए  वालमीकि चौक में इकटठा हुए। रोष रैली के चलते अभी तक सारा शहर बंद है। शांतिपूर्वक तरीके से निकाली गई रोष रैली में कहीं से कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।

पटियाला में दलितों ने शेरों वाला गेट, लाहौरी गेट व अनारदाना चौक में पुतले फूंके। नाभा में दलित समुदाय द्वारा नंगी तलवारों के साथ मार्च निकाला गया।  

फगवाड़ा के गोल चौक पर कुछ हमलावरों ने एक व्यक्ति पर तेज़धार हथियारों से हमला कर दिया, जिससे व्यक्ति बुरी तरह से घायल हो गया और उसे फगवाड़ा के सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया है | 

संगरूर के मालेरकोटला में भारत बंद के दौरान थिएटर बंद न होने के कारण प्रदर्शऩकारियों ने टिकट खिड़कियों पर तोड़फोड़ की। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर माहौल शांत किया। 

बता दें, सुरक्षा के मद्देनजर सरकार ने कल ही प्रदेश में सभी स्कूल-कॉलेज, विश्वविद्यालयों को सोमवार को बंद करने के आदेश जारी कर दिए थे। सरकारी व प्राइवेट बस सेवा के साथ ही कल रात 11 बजे तक मोबाइल व डोंगल इंटरनेट सेवाएं तथा एसएमएस सेवाएं भी बंद कर दी गई थी। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों के 12 हजार अतिरिक्त जवानों को फील्ड में उतारा गया है।

पटियाला में रेलवे ट्रेक पर प्रदर्शन करते दलित। 

बंद के दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में पुलिस के साथ रिजर्व फोर्स और पैरामिलिट्री फोर्स है। सुरक्षा बल जिलों में लगातार फ्लैग मार्च निकाल रहे हैं। पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने कहा है कि किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी और हर कीमत पर कानून व्यवस्था बनाए रखी जाएगी। मुख्य सचिव करण अवतार सिंह ने कहा कि किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने पर जिले के डिप्टी कमिश्नर के पास पूरा अधिकार है कि वह सेना की सेवाएं ले सकते हैं। इसके बारे में सैन्य विभाग को अवगत करवाया जा चुका है।

डीजीपी लॉ एंड आर्डर हरदीप ढिल्लों का कहना है कि भारत बंद को देखते हुए अभी तक स्थिति नियंत्रण में है। सुरक्षा व्यवस्था में अद्र्धसैनिक बलों की 12 कंपनियां लगाई गई हैं। इसके अतिरिक्त 4 हजार पीएपी के जवानों को भी तैनात किया गया है। फिलहाल हाई अलर्ट नहीं है, लेकिन पहले बंद के दौरान हुई घटनाओं के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जा रही है।

सरकार ने सीआरपीसी की धारा 21 के तहत जिलों में 3 अप्रैल तक कानून व्यवस्था के मद्देनजर विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट नियुक्त किए हैं। इस दौरान पंजाब जेल मैनुअल के तहत किसी भी जगह को विशेष जेल घोषित किया जा सकता है।

अब 11 अप्रैल को होगी प्रयोगिक परीक्षा

पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) ने दो अप्रैल को होने वाली 10वीं व 12वीं प्रायोगिक परीक्षाएं भी स्थगित कर दी है। डीपीआइ परमजीत सिंह ने कहा कि अगर स्कूल खुले रहे तो कोई अनहोनी घटना हो सकती है। पीएसईबी के प्रवक्ता कोमल सिंह ने बताया कि दो अप्रैल को होने वाली प्रायोगिक परीक्षा अब 11 अप्रैल को होगी।

संगठन इसलिए कर रहे बंद

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि बिना जांच-पड़ताल के एससी/एसटी एक्ट के तहत न तो मुकदमा दर्ज होगा और न ही गिरफ्तारी हो सकेगी। कोर्ट के इसी फैसले  का संगठन विरोध कर रहे हैं।

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क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट 1989 में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला किया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की जगह शुरुआती जांच हो। कोर्ट ने कहा था कि केस दर्ज करने से पहले डीएसपी स्तर का अधिकारी पूरे मामले की प्रारंभिक जांच करेगा और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि कुछ मामलों में आरोपी को अग्रिम ज़मानत भी मिल सकती है।


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