चंडीगढ़ के श्मशानघाट में लगेगा नया सिस्टम, अंतिम संस्कार में लगेगी 3 गुना कम लकड़ी, प्रदूषण भी कम
नगर निगम के अनुसार एक शव के संस्कार में इस समय 375 किलो लकड़ी का प्रयोग होता है लेकिन नया सिस्टम लगने से 100 से 120 किलो लकड़ी की ही जरूरत पड़ेगी। इससे नगर निगम को लकड़ी के लिए भी कम पेड़ काटने पड़ेंगे और पर्यावरण की भी सुरक्षा बढ़ेगी।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। चंडीगढ़ के सेक्टर-25 स्थित श्मशानघाट में नगर निगम नया सिस्टम लगाने जा रहा है। नए सिस्टम के लगने के बाद शव अंतिम संस्कार में कम लकड़ी का इस्तेमाल होगा। नगर निगम ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दो नए तरह का सिस्टम लगाने का फैसला लिया है, जिसमें अंतिम संस्कार के लिए पहले के मुकाबले तीन गुना कम लकड़ी का प्रयोग होगा और दूसरा इससे प्रदूषण भी नहीं होगा।
नगर निगम के अनुसार एक शव के संस्कार में इस समय 375 किलो लकड़ी का प्रयोग होता है, लेकिन नया सिस्टम लगने से 100 से 120 किलो लकड़ी की ही जरूरत पड़ेगी। इससे नगर निगम को लकड़ी के लिए भी कम पेड़ काटने पड़ेंगे और पर्यावरण की भी सुरक्षा बढ़ेगी।
डेढ़ घंटे में होगा संस्कार
यह नया सिस्टम ईको फ्रेंडली है, जिस पर एक करोड़ 62 लाख रुपये का खर्च आएगा। दो शेड (प्लेटफार्म) पर इस तरह का सिस्टम लगाया जाएगा। श्मशानघाट के दो शेड को नए सिस्टम के तहत बदला जाएगा। जिनकी फ्लोरिंग कोटा स्टोन से की जाएगी। एक चिता जलाने के लिए तीन पेड़ों के बराबर लकड़ी लगती है। नया सिस्टम का जो स्ट्रचर ऊपर से होगा वह एक तरह से भट्टी की तरह दिखेगा। डेढ़ घंटे पूरी तरह शव का संस्कार हो जाएगा। एक ट्राली की शक्ल में यह नया सिस्टम होगा।
सेक्टर-25 में शहर का सबसे पुराना श्मशानघाट
सेक्टर-25 का श्मशानघाट सबसे पुराना है। यहां पर कुल 25 शेड हैं, जहां पर शवाें का अंतिम संस्कार होता है।संस्कार में लकड़ी का खर्चा परिवार से लिया जाता है। ऐसे में अब लकड़ी का प्रयोग तीन गुना कम होने से इसका खर्चा भी कम होगा। यहां पर प्रतिदिन 10 शवों का संस्कार होता है। सेक्टर-25 के अलावा मनीमाजरा और औद्योगिक क्षेत्र में भी श्मशानघाट है।
हिटिंग सिस्टम होगा ज्यादा तेज
नगर निगम के चीफ इंजीनियर एनपी शर्मा का कहना है कि अभी दो शेड में नया सिस्टम लगाया जाएगा। शव का संस्कार पहले की तरह ही होगा बस इसमें हिटिंग सिस्टम ज्यादा तेज होगा, जिसकी पहले के मुकाबले में तीन गुना कम लकड़ी का प्रयोग होगा और प्रदूषण भी नहीं होगा।
यहां पर पहले से चल रहा इलेक्ट्रिकल फर्नेस
सेक्टर-25 के श्मशानघाट पर पहले से इलेक्ट्रिकल फर्नेस से शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है। यह सिस्टम एलपीजी सिलेंडर से चलता है। इस एलपीजी-सीएनजी बेस्ड क्रिमेशन फर्नेस की खासियत यह है कि इससे किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता है और शव का संस्कार एक घंटे में हो जाएगा। कोरोना की पहली लहर में जब लकड़ी से शव का संस्कार करने पर पाबंदी लगाई गई थी तब इस सिस्टम से ही कोरोना मृतकों का संस्कार किया जाता था। संस्कार करवाने वाले परिवार से मात्र 30 रुपये चार्ज किया जाता है। एलपीजी-सीएनजी बेस्ड क्रिमेशन फर्नेस में एक शव के संस्कार में 18 किलो गैस का प्रयोग होता।