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मानेसर जमीन घोटाला : पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मिली जमानत

पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा मानेसर जमीन घोटाले के मामले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ कोर्ट में पेश हुए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 May 2018 10:45 AM (IST)Updated: Tue, 01 May 2018 10:45 AM (IST)
मानेसर जमीन घोटाला : पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मिली जमानत
मानेसर जमीन घोटाला : पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मिली जमानत

चंडीगढ़, जेएनएन : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा मंगलवार को मानेसर जमीन घोटाले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ कोर्ट में पेश हुए। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ उनके बेटे सासद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, विधायक करण सिंह दलाल, आनंद सिंह दागी, ललित नागर सहित कुछ पूर्व विधायक समर्थक उपस्थित थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आने से पहले ही वकील उनके इंतजार में खड़े थे। हुड्डा के आते ही वह सीधे कोर्ट परिसर की ओर चले गए। अभी मामले में सुनवाई के बाद हुड्डा को सीबीआइ कोर्ट ने जमानत दे दी है। गौरतलब है कि हुड्डा को पहले 19 अप्रैल को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन बीमारी का हवाला देते हुए उन्होंने व्यक्तिगत पेशी से छूट ले ली थी। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें एक मई को अदालत में पेश होने के लिए कहा था। 19 अप्रैल को इस केस में आरोपित हुड्डा के पूर्व प्रधान सचिव एमएल तायल, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के पूर्व मुख्य प्रशासक एसएस ढिल्लो, संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य पूर्व आईएएस अफसर छतर सिंह को उनकी उपस्थिति के बाद जमानत दे दी गई थी, जबकि सीबीआई ने उनकी याचिका का विरोध किया था। साथ ही तत्कालीन जिला नगर नियोजन अधिकारी जसवंत सिंह को भी जमानत दे दी गई थी। उनके अलावा गुडग़ाव स्थित रियल्टी फर्म एबीडब्लू समूह के प्रमोटर अतुल बंसल, जिनकी 15 कंपनियों को आरोपपत्र में नामित किया गया है, क्योंकि इस घोटाले के प्रमुख लाभार्थी हैं, को भी जमानत दी गई थी। इसके अलावा बिल्डर वरिंद्र जैन और नवीन राव समेत अन्य बिल्डरों की जमानत याचिका स्वीकार कर ली गई थी।

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क्या है मामला

सीबीआइ ने इस आरोप पर मामला दर्ज किया था कि 27 अगस्त 2004 से 27 अगस्त 2007 के बीच निजी बिल्डरों ने हरियाणा सरकार के अज्ञात जनसेवकों के साथ मिलीभगत कर गुड़गांव जिले में मानसेर, नौरंगपुर और लखनौला गावों के किसानों और भूस्वामियों को सरकार द्वारा अधिग्रहण का भय दिखाकर उनकी करीब 400 एकड़ जमीन औने-पौने दाम पर खरीद ली थी। सितंबर 2015 को भाजपा सरकार ने इस मामले की जाच सीबीआइ को सौंप दी थी। इस मामले में ईडी ने भी हुड्डा के खिलाफ सितंबर 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग का भी केस दर्ज किया था। ईडी ने हुड्डा और अन्य के खिलाफ सीबीआइ की एफआइआर के आधार पर आपराधिक मामला दर्ज किया था।

यूं चला पूरा प्रकरण

काग्रेस की तत्कालीन हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को औने-पौने दाम पर बेचने का आरोप है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल के दौरान मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला में करीब 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की गई थी। ग्रामीणों को सेक्शन 4, 6 और 9 के नोटिस थमा दिए थे। इसके बाद हरियाणा सरकार से पहले कुछ निजी बिल्डरों ने किसानों को अधिग्रहण की धमकी देकर उनकी जमीन औने-पौने दाम में खरीदनी शुरू कर दी। यह पूरा घटनाक्रम तत्कालीन सरकार के संरक्षण में चल रहा था। इसी दौरान उद्योग निदेशक ने सरकारी नियमों की अवहेलना करते हुए बिल्डर द्वारा खरीदी गई जमीन को अधिग्रहण प्रोसेस से रिलीज कर दिया। आरोप है कि निजी बिल्डरों ने तत्कालीन सरकार तथा संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर करीब 400 एकड़ जमीन को खरीदा था। अधिसूचना रद्द करने से नाखुश किसान सीबीआई जाच की माग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। इसके बाद मामले की सीबीआइ जाच के आदेश दिए थे।


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