मंडीकरण बोर्ड ने अनाजमंडी के लिए जमीन का लिया कब्जा
शहर में किसानों एवं आढ़तियों की सुविधा के लिए पपराली रोड पर बनाई जाने वाली नई अनाजमंडी के लिए मंडीकरण बोर्ड की ओर से आखिरकार 16 वर्षो से अधिगृहित जमीन के मालिकों के साथ चली आ रही कानूनी लड़ाई के बीच वीरवार को जमीन का कब्जा ले लिया गया।
संवाद सहयोगी, कुराली : शहर में किसानों एवं आढ़तियों की सुविधा के लिए पपराली रोड पर बनाई जाने वाली नई अनाजमंडी के लिए मंडीकरण बोर्ड की ओर से आखिरकार 16 वर्षो से अधिगृहित जमीन के मालिकों के साथ चली आ रही कानूनी लड़ाई के बीच वीरवार को जमीन का कब्जा ले लिया गया। नई अनाजमंडी में ही इस बार अक्टूबर से धान की फसल की खरीद शुरू कर दी जाएगी।
गौरतलब है कि शहर में 21 एकड़ में बनाई जाने वाली नई अनाजमंडी का प्रोजेक्ट वर्ष 2003 में शुरू हुआ था पर अधिगृहित जमीन मालिकों द्वारा मंडीकरण बोर्ड पर उनकी जमीन का सही मुआवजा न देने को लेकर अदालत की शरण ली गई थी। 2003 से अब तक करीब 16 वर्षों तक जमीन मालिकों एवं मंडीकरण बोर्ड के बीच कानूनी लड़ाई जारी रही। बीते कुछ समय के दौरान अदालती केस का निपटारा होने के चलते मंडीकरण बोर्ड ने कोर्ट द्वारा तय की गई मुआवजे की रकम को अदालत में जमा करवा दिया, जिसे जमीन मालिक अदालत से रिलीज करवा सकते हैं। टेम्परेरी तौर पर बडाली रोड पर चल रही थी मंडी
अदालती केस के चलते पपराली रोड पर नई अनाजमंडी के लिए जमीन का अधिगृहण नहीं होने के कारण पिछले कई वर्षों से मंडीकरण बोर्ड द्वारा बडाली मार्ग पर लगभग 20 एकड़ जमीन को ठेके पर लेकर गेहूं एवं धान की फसल की खरीद के समय टेम्परेरी तौर पर कच्ची अनाजमंडी का प्रबंध किया जा रहा था। मंडीकरण बोर्ड ने नई अनाजमंडी की जमीन का कब्जा लेने के निर्देश स्थानीय मार्केट कमेटी के अधिकारियों को जारी किए थे। अधिकारियों ने लिया जमीन का कब्जा स्थानीय मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी हरिदरपाल सिंह की अगुआई में मंडी सुपरवाइजर मनदीप सिंह एवं कुलवीर सिंह एवं ऑक्शन रिकॉर्डर हरदीप सिंह द्वारा थाना सिटी प्रभारी कुलवंत सिंह की देखरेख में पुलिस प्रोटेक्शन के बीच वीरवार को 21 एकड़ जमीन का कब्जा लिया गया। वहीं, अधिकारियों की तरफ से खेतों में खड़ी धान की फसल की बहाई करने का कार्य शुरू कर अक्टूबर से धान की फसल की खरीद नई अनाजमंडी में करवाए जाने के प्रबंध शुरू कर दिए हैं। जमीन मालिकों ने कार्रवाई को ठहराया गलत शाम सिंह चरहेड़ी, श्याम पाल आदि जमीन मालिकों का कहना था कि मंडीकरण बोर्ड द्वारा जमीन पर कब्जे की कार्रवाई गलत है। उनका कहना था कि बीते वर्ष मई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमीन मालिकों को 58 लाख प्रति एकड़ एवं अन्य भत्तों सहित पांच महीनों के भीतर पेमेंट करने को कहा गया था, पर आज 16 महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें मुआवजे की रकम नहीं मिली। वहीं 58 लाख के अवार्ड को मंडी बोर्ड द्वारा दायर की गई पिटीशन पर घटाकर 38 लाख प्रति एकड़ कर दिया गया जो बेहद गलत है। किसानों का कहना था कि उनकी जमीनों पर धान की फसल को काटने के लिए उन्हें तीन हफ्तों का वक्त तक नहीं दिया गया। वहीं अधिगृहित की गई जमीन में बने मकानों में रह रहे लोगों को भी मुआवजे की रकम नहीं मिली और ऐसे में मकान खाली कर वह कहां जाएंगे।