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तीस साल बाद अपने परिवार से मिला ये शख्स, जानें क्यों घर जाने से किया इन्कार Chandigarh News

सुनील का वास्तविक नाम छाबर प्रसाद है। वह दस वर्ष की आयु में बलिया (उ. प्र.) स्थिति अपने घर से गायब हो गया था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 11:20 AM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 11:20 AM (IST)
तीस साल बाद अपने परिवार से मिला ये शख्स, जानें क्यों घर जाने से किया इन्कार Chandigarh News
तीस साल बाद अपने परिवार से मिला ये शख्स, जानें क्यों घर जाने से किया इन्कार Chandigarh News

कुराली (मोहाली), जेएनएन। गांव पडियाला के पास समाजसेवी संस्था प्रभ आसरा में दस वर्षों से रह रहा एक व्यक्ति 30 वर्षों के लंबे अरसे बाद अपने परिवार से मिला पर उसने घर जाने से इन्कार कर दिया। उसका कहना था कि संस्था में उसे सबका प्यार मिला है। अब यही उसका घर है। संस्था की मुख्य संचालक बीबी राजिंदर कौर ने बताया कि अगस्त 2010 में एसडीएम के निर्देशों पर सुनील नामक युवक को डीसी कांप्लेक्स मोहाली के बाहर से लावारिस और दयनीय अवस्था में संस्था में दाखिल करवाया गया था। वह पिछले लगभग 9-10 सालों से समाजसेवी सज्जनों की सहायता से जैसे-तैसे जीवन गुजार रहा था। आसपास के लोग सुनील को भगत जी के नाम से पुकारने लगे थे।

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प्रशासन के आदेशों पर संस्था में करवाया दाखिल

राजिंदर कौर के अनुसार वर्ष 2010 में एक अखबार ने इस मजबूर एवं लाचार व्यक्ति पर खबर प्रकाशित होने के बाद जिला सामाजिक सुरक्षा अफसर ने उसे प्रभ आसरा संस्था में दाखिल करवाने के निर्देश जारी किए थे। उन्होंने बताया कि उक्त युवक दाखिले के दौरान अपना नाम पता बताने से असमर्थ था। संस्था ने उसे सुनील नाम दिया, जिसके बाद सुनील का इलाज और सेवा संभाल संस्था की तरफ से की जा रही थी।

कई साल बाद मिले परिजन

राजिंदर कौर ने बताया कि सुनील ने संस्था में दाखिल होने के लगभग 3 साल बाद अपना आधा अधूरा पता बताना शुरू किया। संस्था ने मिशन मिलाप मुहिम के अंतर्गत सुनील के बताए हुए पतों पर संपर्क किया। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और संस्था प्रबंधन ने उसके घर वालों के साथ संपर्क किया। सुनील (40) को लेने उसका भाई और गांव के मुखिया जिला बलिया (यूपी) से संस्था में पहुंचे। उन्होंने बताया कि सुनील का असली नाम छाबर प्रसाद है और यह मात्र 10 साल का था जब घर से अचानक लापता हो गया था। छाबर प्रसाद की गुमशुदगी के बारे में पुलिस को सूचित करने के इलावा परिजनों ने उसे अपने स्तर पर भी खोजा पर उसका कुछ पता नहीं चल पाया।

सुनील ने परिजनों के साथ जाने से किया इन्कार

राजिंदर कौर ने बताया 30 वर्ष बाद परिजनों से मिलने और उनके संस्था में पहुंचने की खबर मिलने के बाद सुनील बहुत खुश हुआ। उसने अपने बिछड़े भाई के साथ धुंधली पड़ चुकी पुरानी यादों को भी ताजा किया। इस दौरान जब सुनील के परिजन उसे संस्था से घर लेकर जाने लगे तो उसने परिजनों के साथ घर जाने से इन्कार कर दिया। सुनील का कहना था कि उसे परिवार के साथ मिलने की खुशी है पर पिछले दस सालों से प्रभ आसरा ही उसका परिवार बन चुका है और यहां उसे इतना अपनापन और प्यार मिला है कि वो संस्था को छोड़ कर नहीं जाना चाहता।


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