गणपति हुए विराजमान
जागरण संवाददाता चंडीगढ़ गणेश चतुर्थी जिसके लिए सोमवार से महाराष्ट्र भवन-19 में चहल-पहल
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : गणेश चतुर्थी जिसके लिए सोमवार से महाराष्ट्र भवन-19 में चहल-पहल रही। शाम से ही भगवान गणेश को स्थापित करने और उनकी पूजा के लिए तैयारियां चल रही थी। पूरे शहर की मराठी कम्युनिटी से जुड़े लोग शाम से ही यहां पहुंच गए। डॉक्टर, प्रोफेसर और विभिन्न प्रोफेशन के लोग। जिनके लिए सोमवार का दिन खास था। भगवान गणेश की विशाल मूर्ति को भवन के मुख्य हाल में सजाया गया। पारंपरिक तैयारियों के साथ। मंत्र और गायन उच्चारण के साथ मूर्ति को भवन में स्थापित किया गया। करीब तीन घंटे लंबी चली स्थापना के बाद भगवान की आरती की गई। घर में तैयारी मुश्किल, ऐसे में करते हैं सामूहिक स्थापना
भवन के प्रेसिडेंट एमबी साणे ने कहा कि ट्राईसिटी में मराठी समुदाय के कई लोग रहते हैं। हम सभी के लिए गणेश चतुर्थी बहुत ही अहम त्योहार होता है। ऐसे में हम इन दिनों बहुत खास तैयारी करते हैं। मगर अपने घर से दूर यहां पर तैयारी करना मुश्किल होता है। मूर्ति स्थापना के दौरान ये जरूरी होता है कि पूरी तरह साफ-सफाई हो। एक ही तरह के पकवान बने। साथ ही रोज पूजा पाठ हो। हालांकि यहां अभी विसर्जन तक लोग पूजा पाठ करने निरंतर आते रहेंगे। चाहे कोई डॉक्टर हो या प्रोफेसर, हर किसी को पूजा पाठ के लिए समय निकालना ही होता है जो रोजाना शाम को होती है। मीरा बाई की नृत्य नाटिका
पूजा पाठ के बाद मीरा बाई के भजनों पर शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति का आयोजन किया गया। जिसमें पल्लवी पिगे ने कोरियोग्राफी की। इस दौरान मीरा बाई की प्रभु पर आधारित आस्था और उनके प्रति प्यार को बहुत ही खूबसूरती से नृत्य के द्वारा दिखाया गया। पल्लवी ने कहा कि वह कथक नृत्यांगना हैं। भगवान गणेश की स्थापना के दौरान उन्हें ये मौका मिला कि वह इस सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत करे।
पूरे वर्ष रहता है इस त्योहार का इंतजार
स्थापना में पहुंचीं विद्या कुरेकर पल्टा, संगीत केलोकर और चंदा जैन ने कहा कि इस त्योहार का वह वर्ष भर इंतजार करते हैं। इस दौरान खाने-पीने से लेकर हर चीज में भगवान गणेश का सिमरन करते हैं। विद्या ने कहा कि वह वर्षो से वह भवन में आकर ही भगवान गणेश को स्थापित करती हैं। इससे हम एक ही जगह सभी मिल भी जाते हैं। साथ ही विसर्जन के समय हम नदी को साफ रख सकते हैं। यहां हमेशा ईको फ्रेंडली तरीके से तैयार मूर्ति ही स्थापित की जाती है।