अमृत के नाम पर लूट, मरीजों को बेच रहे महंगी दवाएं
अमृत फार्मेसी नाम से देशभर में दवा की दुकानें खोली हैं।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सरकार ने मरीजों को सस्ती और अच्छी दवाएं उपलब्ध कराने के लिए जन औषधि केंद्र और अमृत फार्मेसी नाम से देशभर में दवा की दुकानें खोली हैं। लेकिन इस नाम का दुरुपयोग करते हुए कुछ दवा के कारोबारी मरीजों को खुलेआम ठग रहे हैं। पीजीआइ की न्यू ओपीडी बिल्डिंग में इसका साफ उदाहरण नजर आ रहा है। जन औषधि केन्द्र के ठीक सामने अमृत औषधि नाम से दुकान चलाई जा रही हैं। जहां अमृत का नाम पढ़कर मरीज और उनके परिजन बिना कुछ सोचे-समझे महंगी दवाएं खरीद रहे हैं। पीजीआइ प्रशासन की नाक के नीचे नाम का दुरुपयोग करके यह ठगी हो रही है। अमृत फार्मेसी पर मिलनी है 70 प्रतिशत तक छूट
योजना के अनुसार अमृत फार्मेसी स्टोर में कैंसर, हार्ट, आर्थो के इंप्लांट सहित अन्य बीमारियों से संबंधित दवाइयां एमआरपी से 50 से 70 प्रतिशत तक सस्ती मिलनी हैं। फार्मेसी में ट्रेंड स्टाफ होना चाहिए, जो मरीजों को दवा देने के साथ ही उसे लेने संबंधी सभी जानकारी भी देगा। अमृत फार्मेसी में 800 से 900 तरह की दवाइयां उपलब्ध होनी चाहिए। महज 15 प्रतिशत की छूट दे रहे मरीजों को
योजना के तहत अमृत फार्मा से मरीजों को 50 से 70 प्रतिशत तक रियायत देने की बात कही गई है, लेकिन यहां मरीजों को महज 15 से 30 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है। अनजान मरीज दुकान के बोर्ड पर अमृत का नाम पढ़कर उसी छूट में संतोष कर रहे हैं। अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि पीजीआइ प्रशासन की मिलीभगत से सरकारी नाम का फायदा उठाकर खुलेआम मरीजों को ठगा जा रहा है। बस दुकान का नाम बदला, स्थिति नहीं
पानीपत और पिजौर से ओपीडी में आए रंजीत कौर और हरदीप सिंह ने बताया कि न्यू ओपीडी में अमृत की जगह पहले कुमार एंड कंपनी नाम से दुकान थी। वहां ब्रांडेड दवा ही बिकती थी। जबकि उसके सामने की जन औषधि में बहुत सस्ती दवाएं मिलती हैं। लेकिन वहां सभी दवाएं उपलब्ध नहीं होती, इसलिए मरीजों को अमृत औषधि पर जाना पड़ता है। कुछ दिन पहले अमृत औषधि नाम से दुकान खुली तो लगा अब सस्ती दवा मिलेगी, लेकिन अब भी पुराना हाल ही है। अमृत के नाम पर मरीजों को खुलेआम ठगा जा रहा है। कैंपस में अमृत नाम से मेडिसन शॉप चलाए जाने की जानकारी अब तक नहीं थी। अगर बोर्ड में अमृत नाम लिखकर ब्रांडेड दवा बेची जा रही हैं, तो इसकी जांच कर उचित कार्रवाई करेंगे।
-मंजू वडवालकर, प्रवक्ता, पीजीआइ