लिटराटी 2020 : आइरिश कवियित्री एमर डेविस ने कहा- भारतीय संस्कृति से प्रभावित थे विलियम येट्स
आयरलैंड की प्रसिद्ध कवियित्री एमर डेविस आयरलैंड के दूतावास नई दिल्ली के वीजा कार्यालय के प्रमुख के रूप में सेवारत हैं। उनकी दो कविताएं कोविड 19 एंथोलॉजी और प्लेग ईयर में कविता हाल ही में प्रकाशित हुई थीं।
चंडीगढ़, जेएनएन। लिटराटी फेस्ट 2020 के दौरान 'पोएट्री फ्रॉम टैगोर टू येट्स’ पर सेशन का आयोजन हुआ। इसमें आयरलैंड की प्रसिद्ध कवियित्री एमर डेविस के साथ बातचीत की।
एमर डेविस वर्तमान में आयरलैंड के दूतावास, नई दिल्ली के वीजा कार्यालय के प्रमुख के रूप में सेवारत हैं। हाल ही में उनकी दो कविताएं कोविड 19 एंथोलॉजी, 'प्लेग ईयर में कविता' में प्रकाशित हुई थीं। इस चर्चा के दौरान अन्य पैनलिस्ट डॉ. रेबा सोम थीं। वह कोलकाता में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की निदेशक रही हैं।
गौरतलब है कि इस वर्ष आयरलैंड दूतावास के माध्यम से चंडीगढ़ लिटरेरी सोसायटी (सीएलएस) के साथ एक भागीदार देश के रूप में जुड़ा है। सीएलएस के बैनर तले लिटराटी 2020 का आयोजन किया जा रहा है। एमर डेविस और रेबा सोम ने वर्चुअल वर्ल्ड पर चर्चा की। यहां तक कि टैगोर और येट्स की कविताओं का पाठ किया। प्रसिद्ध कवि येट्स के भारत के साथ लगाव पर निशा द्वारा किए गए एक सवाल के लिए, एमर डेविस ने कहा कि येट्स हमेशा से भारत में रुचि रखते थे, सही मायने में तो वह हिंदू धर्म और भारत के समृद्ध सांस्कृतिक लोकाचार से प्रभावित थे। ”
एक अन्य पहलू जो चर्चा के दौरान सामने आया, वह यह था कि ये दोनों कवि ब्रिटिश शासन के उत्पीड़न के खिलाफ थे। दोनों एक तरह से आधुनिक सभ्यता से मोह भंग कर रहे थे और सरल जीवन पसंद करते थे। रेबा सोम ने उन दोनों कवियों के बीच के संबंधों के बारे में जानकारियां साझा कीं। यह 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के समकालीन थे। रेबा ने कहा, “टैगोर ने 1912 में लंदन में येट्स से मुलाकात की थी। दोनों कवि आध्यात्मिकता में थे। दोनों ही ईश्वर में विश्वास करते थे। डेविस ने कहा," येट्स ने अपनी पोएट्री में ग्रामीण कल्पना का उपयोग किया। ”
एमर डेविस ने निशा के सवाल पर कि अगर येट्स आयरलैंड के एक सांस्कृतिक राजदूत हैं पर जवाब दिया कि आयरलैंड के राष्ट्रीय पुस्तकालय में आज भी येट्स की छवि पूरी तरह से दिखाई देती है। रेबा ने कहा कि टैगोर ने अंग्रेजी में जो लिखा काफी रोचक और सरगर्भित था। उन्होंने कहा कि टैगोर हमेशा मातृभाषा के समर्थक थे।
निशा लूथरा का यह सत्र पैनलिस्टों के निष्कर्ष के साथ समाप्त हुआ। पैनलिस्टों ने कहा कि दोनों कवि आज भी काफी प्रासंगिक हैं। लिट्राटी 2020 विभिन्न साहित्यकारों और साहित्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बात करने वाले साहित्यकारों की मेजबानी के साथ आज संपन्न हो गया। कोविड महामारी के कारण इस वर्ष यह आयोजन ऑनलाइन आयोजित किया गया था।