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गंगा के पावन वेग में सराबोर श्रोता

छात्राओं ने शानदार प्रस्तुति से मन मोह लिया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 08:52 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jun 2019 08:52 PM (IST)
गंगा के पावन वेग में सराबोर श्रोता
गंगा के पावन वेग में सराबोर श्रोता

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : प्राचीन कला केन्द्र की तरफ से टैगोर थिएटर सेक्टर-18 में कथक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसे डॉ. समीरा कौसर के नेतृत्व में किया गया। कार्यक्रम में डॉ. समीरा का सहयोग उनकी 80 छात्राओं ने किया। जिन्होंने कथक की विभिन्न विधाओं को पेश किया और सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का आरंभ डॉ. समीरा कौसर ने गंगा वंदना से किया। कथक की प्रस्तुति से गंगा को नमन किया गया और उसकी अहमियत से दर्शकों को अवगत कराया गया। इसके साथ समीरा कौसर के निर्देशन में संकल्प, ऋतुरास, आत्ममंथन, राधा की अनकही प्रेम गाथा एवं अनंत स्वरूपा जैसी कई नृत्य नाटिकाओं को पेश किया गया। जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। रविवार को आयोजित कार्यक्रम का आरंभ नृत्य नाटिका गंगा वंदना से होने के बाद भागीरथ की तपस्या को पेश किया गया। जिसमें गंगा का धरती पर अवतरण से लेकर वर्तमान स्वरूप पर प्रकाश डाला गया। इस प्रस्तुति में डॉ. समीरा कौसर के अलावा उनकी 15 शिष्याओं ने भाग लिया । कथक नृत्य की विभिन्न प्रस्तुतियां पेश की गई। जिसमें जयपुर घराने के कथक की विशेषताएं पेश की गई। सबसे पहले छोटे बच्चों द्वारा छोटे नुपूर प्रस्तुति पेश की गई। गणेश वंदना से सजी इस प्रस्तुति में बच्चों ने खूब तालियां बटोरी। उपरांत कृष्ण भजन सुनो रे बाजत बांसुरिया पेश किया गया। इसके पश्चात रूहान द्वारा एकल प्रस्तुति में तीन ताल में निबद्ध कथक पेश किया गया, जिसमें गुरु वंदना पेश की गई। अगली प्रस्तुति बसंत में कलाकारों ने बसंत ऋतु पर आधारित कथक नृत्य पेश किया। इसके उपरांत कथक नृत्य धमार में निबद्ध सरस्वती वंदना पेश की गई। कार्यक्रम के अंतिम भाग में अग्रिता द्वारा राधा-कृष्ण रास की प्रस्तुति दी गई। जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। कार्यक्रम के अंत में तराना तरंग प्रस्तुत किया गया। इसमें कलाकारों ने विभिन्न रंगों में तराना पेश किया। डॉ. सौभाग्य वर्धन रहे मौजूद

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कार्यक्रम में नए कलाकारों का हौसला बढ़ाने के लिए नॉर्थ जोन कल्चर पटियाला के निर्देशक डॉ. सौभाग्य वर्धन मौजूद रहे। उन्होंने प्रस्तुति देने वाली कलाकारों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया और उन्हें भविष्य में भारतीय संस्कृति को संभालने की अपील की। कार्यक्रम के अंत में रजिस्ट्रार, सचिव एवं मुख्य अतिथि ने डॉ. समीरा कौसर को सम्मानित किया। पुनीता बावा ने मंच का संचालन बखूबी किया।

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