अच्छे गीत लिखे जाएं तो गाने का भी मन हो..
टीवी खोलते ही कई पंजाबी गाने सामने होते हैं, मगर उनमें लिखावट बहुत निम्न स्तरीय होती है। ऐसा ही हाल कई बार ¨हदी गीतों का है। ऐसे में बेहद कम गाना ही भाने लगा। गाता हूं, मगर ज्यादातर लाइव।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : टीवी खोलते ही कई पंजाबी गाने सामने होते हैं, मगर उनमें लिखावट बहुत निम्न स्तरीय होती है। ऐसा ही हाल कई बार ¨हदी गीतों का है। ऐसे में बेहद कम गाना ही भाने लगा। गाता हूं, मगर ज्यादातर लाइव। ये शो बेहतर होते हैं, जहां आपको पता लगता है कि अच्छा सुनने वाले हैं और उन्हें ये समय-समय पर चाहिए कि कोई उन्हें असल पंजाबी गीतों से रूबरू करवाए। गायक जसबीर जस्सी टीवी पर कम दिखने की वजह पर कुछ इस अंदाज में बोले। टैगोर थियेटर-18 में वह वीरवार को पहली बार प्रस्तुति देने पहुंचे। बोले कि मुझे कई ¨हदी फिल्म में भी गीत को लेकर ऑफर आए, मगर कमजोर लिरिक्स की वजह से मैंने उन्हें रिजेक्ट कर दिया। दरअसल, एक पंजाबी गायक से अब उम्मीदें अलग सी हो गई है, उससे बस एक पार्टी नंबर ही गवाना चाहते हैं। ऐसे में मेरा मन, इससे थोड़ा उठ गया।
हर जॉनर के गीत सुने..
जस्सी ने कहा कि गायिकी में केवल एक ही जॉनर नहीं होता, शास्त्रीय से लेकर इंडी पॉप कितना कुछ है। मगर पंजाबी गीतों को केवल पार्टी नंबर तक सीमित कर दिया गया है, जोकि सही नहीं है। टीवी पर हर तरह के गीतों को जगह देनी चाहिए, शास्त्रीय, लोक और हर गीतों को। मेरी कोशिश इन दिनों ऐसे ही गीतों को आगे लाने की है।
पंजाबी लोक गीतों की दी प्रस्तुति
शो में जस्सी ने पंजाबी लोक गीतों की प्रस्तुति दी। इस दौरान उन्होंने माहिय दी सुनाओं कोई गल, तीयां रानियां, सुहे वे चीरे वालिया, इक कुड़ी जिदा नां मोहब्बत जैसे गीतों को सुनाया। जस्सी को सुनने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे।