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आयुष्मान खुराना बोले-दिवाली पर दीपक जलाएं, पटाखे नहीं

फिल्म अभिनेता आयुष्मान खुराना ने कहा कि दिवाली पर दीये जलाएं, लेकिन पटाखे न चलाएं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों पर बैन का निर्णय पूरी तरह सही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 19 Oct 2017 11:34 AM (IST)Updated: Thu, 19 Oct 2017 04:31 PM (IST)
आयुष्मान खुराना बोले-दिवाली पर दीपक जलाएं, पटाखे नहीं
आयुष्मान खुराना बोले-दिवाली पर दीपक जलाएं, पटाखे नहीं

जेएनएन, चंडीगढ़। फिल्म अभिनेता आयुष्मान खुराना ने कहा कि दिवाली दीयों का पर्व है, न कि पटाखों का। इसलिए दीपक जलाएं, पटाखे नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन का जो निर्णय लिया है वह पूरी तरह सही है। विशेषकर मेरे बच्चों के लिए। आयुष्मान दिवाली पर अपने घर पंचकूला आए हुए हैं।

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आयुष्मान अपने कॉलेज डीएवी कॉलेज सेक्टर-10 पहुंचे। यहां उन्होंने आगाज थिएटर ग्रुप के पुराने व वर्तमान कलाकारों के साथ क्रिकेट खेला और पुरानी यादों को ताजा किया। पांच साल बाद डीएवी कॉलेज पहुंचे आयुष्मान ने कहा कि यहां आने का दिल बहुत है, लेकिन जब भी घर आता हूं तो मम्मी-पापा से दूर जाने का दिल नहीं करता है। इस कारण कॉलेज तक नहीं आ पाता। आयुष्मान ने डीएवी कॉलेज के आगाज ग्रुप से थियेटर की शुरुआत की थी।

आयुष्मान ने बताया कि बचपन में दिवाली पर पटाखे जलाते समय उनके छोटे भाई अपारशक्ति का मुंह जल गया था। वह अनार चला रहा था। उसी समय चिंगारियां उनकी आंखों पर जा लगीं। आंखों की रोशनी तो बच गई, लेकिन चेहरा बुरी तरह से झुलस गया था। उसके बाद से घर में पटाखों पर बैन लगा दिया गया। अब मेरे बच्चे तीन और पांच साल के हो गए हैं। वे पटाखे मांगते हैं। अदालत के फैसले के बाद अब मेरे बच्चे मुझसे पटाखे नहीं मांगेंगे।

फिल्म इंडस्ट्री में बने रहने के लिए अलग करने की है जरूरत

आयुष्मान ने कहा कि वह हमेशा अलग विषय पर फिल्म करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इंडस्ट्री में रहने के लिए अलग करने की जरूरत है। यदि पुरानी लीक पर चलते रहे तो कभी पहचान नहीं बन सकती है। इसीलिए फिल्मों में उन विषयों पर बात की गई है जो लोगों के लिए अहम हैं, लेकिन उस पर बात करने से लोग डरते हैं। भूमि के साथ मेरी केमिस्ट्री बहुत अच्छी है। उसकी सोच भी कुछ अलग करने की है।

स्टेमिना बढ़ाने के लिए सर्दी में करते थे रिहर्सल

आयुष्मान ने कहा कि कॉलेज की वैसे तो बहुत यादें हैं, लेकिन उस समय एक सोच थी कि यदि सर्दी की रात में हम खुले में रिहर्सल करेंगे तो स्टेमिना बढ़ेगा। हमारे अंदर बोलने की ताकत आएगी। उस बात को जब भी मैं याद करता हंू तो हंसी आती है।


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