आओ हम निभाएं अपनी जिम्मेदारी, मतदान करके बनाएं रिकॉर्ड
आखिरकार जिस दिन का शहरवासियों को कई माह से इंतजार था वह रविवार को आ गया है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : आखिरकार जिस दिन का शहरवासियों को कई माह से इंतजार था, वह रविवार को आ गया है। इस बार चंडीगढ़ से चुनाव लड़ रहे 36 उम्मीदवारों का भविष्य भी ईवीएम में बंद हो जाएगा। 23 मई को मतगणना के बाद हार-जीत का फैसला हो जाएगा। प्रशासन को उम्मीद है कि इस बार पिछले लोकसभा चुनाव से ज्यादा मतदान होगा और एक नया रिकॉर्ड बनेगा। चुनाव प्रचार थमने के बावजूद उम्मीदवार और उनके दल के नेता किसी न किसी तरह से मतदाता से संपर्क साधने का प्रयास करते रहे। धार्मिक स्थलों में माथा टेकने के लिए गए। कुछ चुनाव के लिए पोलिंग एजेंट और 200 मीटर की दूरी पर टेंट पर बैठने वाले लोगों का नाम तय करने में जुटे रहे। हर उम्मीदवार अपनी जीत का दावा कर रहा है।
आठवीं बार लड़ रहे हैं पवन और धवन, खेर दूसरी बार
अब तक कांग्रेस के पवन बंसल और हरमोहन धवन शहर से सात बार चुनाव लड़ चुके हैं, इस बार आठवीं बार मैदान में हैं, जबकि भाजपा से किरण खेर लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। साल 1991 से लेकर 2009 तक छह लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से पांच चुनाव में धवन और बंसल एक-दूसरे के खिलाफ लड़ चुके हैं। धवन के आने से हमेशा ही मुकाबला त्रिकोणा रहा है। पहले धवन सात बार अलग-अलग दलों से उम्मीदवार बनकर चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें जीत सिर्फ एक बार ही मिली है। उस समय भी उन्हें सिर्फ 11 माह तक सांसद और 4 माह तक केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला।
बंसल को चार बार नसीब हुई जीत
1991 से लेकर 2014 तक सात बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। जिनमें से हर बार पवन बंसल ही कांग्रेस का चुनाव में चेहरा बनते आए हैं। इसलिए भी बंसल को इस बार भी मजबूत दावेदार माना जा रहा है। सात चुनाव में पवन बंसल चार बार शहर से सांसद बन चुके हैं। जबकि पंजाब से राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। बंसल यूपीए-1 और 2 सरकार में अलग-अलग प्रमुख विभागों के मंत्री भी बने हैं। 2014 में 73.7 प्रतिशत मतदान करके बनाया गया था रिकॉर्ड प्रशासन को इस साल उम्मीद है कि शहर के मतदाता इस बार के लोकसभा चुनाव में पिछले साल के सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगे और वोट प्रतिशत काफी बढ़ेगा।
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