चंडीगढ़ की ग्रीनरी में दाग लगा रहे होर्डिंग्स, रोक के बावजूद पेड़ों पर बड़ी किलें ठोककर लगाए बोर्ड
सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ की पहचान देश और दुनिया में हरियाली और शहर में लगे पेड़ों से है। शहर की ग्रीनरी के यहां आने वाले पर्यटक भी कायल हैं। लेकिन प्राइवेट कंपनियों की तरफ से पेड़ों पर टांगे गए होर्डिंग्स शहर की सुंदरता को दाग लगा रहे हैं।
चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ की पहचान देश और दुनिया में हरियाली और शहर में लगे पेड़ों से है। शहर की ग्रीनरी के यहां आने वाले पर्यटक भी कायल हैं। वहीं, शहर में पर्यावरण को बचाने और स्वच्छ बनाए रखने के लिए पौधारोपण अभियान भी चलाए जाते हैं। लेकिन इस बीच शहर में पेड़ों के रखरखाव का बहुत अभाव है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि शहर के पेड़ इस बात की गवाही दे रहे हैं।
चंडीगढ़ में पेड़ों पर इश्तेहार लगाने की सख्त पाबंदी है। बावजूद शहर की सड़कों के किनारे खड़े पेड़ों पर प्राइवेट कंपनियों के अपने विज्ञापन के होर्डिंग्स टांगे हुए हैं। प्राइवेट कंपनी जमकर शहर में नियमों की धज्जियां उड़ा रही है और नगर निगम के साथ ही चंडीगढ़ प्रशासन इस बात को देखकर अनजान बना हुआ है। आलम यह है कि प्राइवेट कंपनियों ने अपनी मार्केटिंग करने के लिए हरे भरे पेड़ों के सीने पर कीले ठोक कर अपनी कंपनी के होर्डिंग और पोस्टर लगाए हुए है। प्राइवेट कंपनियां ही बल्कि शहर में शराब के ठेको के संचालकों ने भी अपनी ब्रांडिंग करने के लिए पेड़ों को इंस्तेमाल किया है। शहर में बहुत सी ऐसी जगह है जहां पर एक ही पेड़ पर करीब पांच से छह होर्डिंग्स टांगे हुए हैं।
पेड़ों को हो रहा नुकसान
विशेषज्ञों की मानें तो पेड़ों में भी जान है और वो भी इंसानों की तरह सांस लेते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए चंडीगढ़ प्रशासन ने पेड़ों पर किसी भी तरह के होर्डिंग और पोस्टर लगाने पर रोक लगाई हुई है। बावजूद शहर में पेड़ों की उम्र पर भी फर्क पड़ रहा है। इसके अलावा पेड़ों में कीले ठोकने से कंपनियां इंसान को जान से मारने का प्रयास करने वाला काम कर रही है। शहर में पेड़ों पर पोस्टर लटकाने के लिए कई वर्ष पहले हाई कोर्ट में भी केस चला था।
कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर रहा निगम
पेड़ों पर पोस्टर टांगने और काटने को लेकर एफआइआर का प्रावधान है। लेकिन निगम की ओर से केवल जुर्माना लगा कर खानापूर्ति कर दी जाती है। पिछले चार वर्षों में पेड़ों पर पोस्टर लगा मार्केटिंग करने के कई मामले सामने आए हैं। बावजूद किसी भी आरोपित पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई हैं। चंडीगढ़ में पेड़ों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है, जो पेड़ सड़कों और गलियों में लगे हैं, वो पेड़ नगर निगम के तहत आते हैं। अगर कोई पेड़ घर, स्कूल या किसी इमारत के भीतर हो तो प्रशासन के तहत आते हैं और इसके अलावा अगर जंगली इलाके आने वाले पेड़ वन विभाग के तहत आते हैं।