श्रमिक स्पेशल ट्रेन बंद, अब प्रवासी लोगों को देना होगा किराया
लॉकडाउन के दौरान शहर में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजने के लिए स्पेशल श्रमिक ट्रेनें चलाई जा रही थीं।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़
लॉकडाउन के दौरान शहर में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजने के लिए स्पेशल श्रमिक ट्रेनें चलाई जा रही थीं। प्रवासी लोगों को भेजने सिलसिला एक मई से 28 मई तक चला। चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से दो अंतिम श्रमिक स्पेशन ट्रेन 28 मई को बिहार के दरभंगा और उत्तर प्रदेश के गोंडा से होते हुए गोरखपुर के लिए गई थी। लेकिन अब श्रमिक स्पेशल ट्रेन बंद हो गई हैं। प्रशासन द्वारा स्पेशल ट्रेन चलाने का अब कोई प्लान नहीं है। अगर किसी भी श्रमिक को अपने मूल राज्य तक जाना है तो उसे किराया देना होगा। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि लॉकडाउन की वजह से जहां लोगों का रोजगार तक छिन गया है तो वह किराया कैसे देंगे। कई लोगों को अभी भी घर जाने की उम्मीद
लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद कई लोगों ने पलायन करने से मना कर दिया था। बावजूद ज्यादातर प्रवासी घर जाने के लिए अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। उनके सामने बड़ी चुनौती ट्रेनों के न चलने की है। वहीं चंडीगढ़ प्रशासन ने कहा था कि शहर में फंसे सभी प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया जाएगा। चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से एक ट्रेन
रेलवे मंत्रालय ने एक जून से देश में 200 ट्रेनों को चलाने की मंजूरी दी है। कोरोना संक्रमण के चलते चंडीगढ़ रेड जोन में है, इसलिए चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से केवल एक ट्रेन चलाने का एलान किया गया था। यह ट्रेन जनशताब्दी है, लेकिन अभी इस ट्रेन के रूट का फैसला नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार यह ट्रेन चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से होते हुए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन जाएगी और उसके बाद उसका आगे का रूट निश्चित होगा। वहीं यूपी और बिहार जाने वाले लोग अंबाला से ट्रेन के जरिये अपने घर जा सकते हैं। इतने लोगों को भेजा उनके घर
शहर से श्रमिक स्पेशल ट्रेन द्वारा 36243 प्रवासी लोगों को और बस द्वारा 2188 लोगों को उनके घर भेजा गया हैं। इस तरह से शहर से कुल 38431 लोगों उनके मूल राज्य तक पहुंचाया जा चुका हैं।