Move to Jagran APP

Punjab Politics: पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनावी आंगन में मुआवजे-मुआवजे का खेल

Punjab Politics पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की अगुआई में कांग्रेस को आने वाले छह महीनों में चुनावी मैदान में उतरना है। मुआवजा मुआवजा खेलने के चक्कर में कहीं वह 2017 के अकाली-भाजपा के हाल को न भूल जाएं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 10:48 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 10:48 AM (IST)
Punjab Politics: पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनावी आंगन में मुआवजे-मुआवजे का खेल
गुलाबी सुंडी से तबाह हुए किसानों की अनदेखी करती कांग्रेस सरकार। फाइल

चंडीगढ़, इन्द्रप्रीत सिंह। Punjab Politics पंजाब और उत्तर प्रदेश अलग-अलग राज्य हैं, पर इन दिनों दोनों में एक खास खेल खेला जा रहा है। वह है मुआवजे का। दोनों प्रदेशों में सरकारें आगे बढ़-बढ़कर मुआवजा देने की घोषणाएं कर रही हैं। वजह साफ है-दोनों प्रदेशों में आने वाले महीनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। किसी तरह फिर से सत्ता में वापसी कैसे हो। लखीमपुर खीरी में किसानों की कुचल कर हुई मौत की घटना को आधार बनाकर जिस प्रकार विपक्ष ने उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोला, वह हरियाणा में बसताड़ा टोल प्लाजा पर हुए लाठीचार्ज वाला माहौल न बना दे, इसे देखते हुए वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समय पर सही कदम उठाया।

loksabha election banner

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के मार्फत उन्होंने मारे गए किसानों के परिजनों के अनुसार ही फैसला करवाकर माहौल को शांत करवाने की कोशिश की। उन्होंने मारे गए किसानों के परिजनों को 45-45 लाख रुपये मुआवजा और सरकारी नौकरी देने एलान किया, लेकिन विपक्ष कहां मानने वाला था। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को साथ ले गए, जहां दोनों ने 50-50 लाख रुपये मारे गए किसानों एवं पत्रकार के परिजनों को देने का एलान किया।

बस, यही गलती हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने की। उन्होंने इस प्रकार का फैसला तुरंत लेने के बजाय इसे लंबा खिंचने दिया। करनाल के बसताड़ा टोल प्लाजा पर हुए लाठीचार्ज के बाद एक किसान की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इससे पहले एसडीएम का एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें वह किसानों का सिर तोड़ने की बात कर रहे हैं। बस, किसान यूनियनों को मौका मिल गया। उन्होंने एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई करने और मृतक किसान के परिजनों को मुआवजा एवं नौकरी देने की बात रख दी। सरकार ने नहीं मानी तो उन्होंने करनाल जिला परिसर को घेर लिया और दो दिनों तक वहीं बैठे रहे। आखिर बात समझौते पर निपटी।

दिवंगत किसान के पोते और पौत्रवधु को डीसी रेट पर नौकरी दे दी गई। एसडीएम का तबादला करके उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी। चूंकि हरियाणा में चुनाव नहीं होने हैं इसलिए किसी और प्रदेश की सरकार ने मुआवजा देने की कोई घोषणा नहीं की, लेकिन ऐसा उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी कांड में नहीं हुआ। सवाल पीड़ितों को मुआवजा देने की घोषणा करने का नहीं है। सवाल इस बात पर उठ रहे हैं कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने 50-50 लाख रुपये का जो एलान किया, उसका अर्थ क्या है? क्या उनके अपने प्रदेश में कोई किसान ऐसा नहीं है, जो मुआवजे के लिए सरकार से आग्रह नहीं कर रहा है? मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी इन सवालों का कोई जवाब नहीं दे रहे हैं।

पंजाब की कपास पट्टी में गुलाबी सुंडी ने फिर से तबाही मचाई हुई है। ऐसी ही तबाही 2015 में सफेद मक्खी के कारण हुई थी। 60 हजार रुपये प्रति एकड़ जमीन ठेके पर लेकर खेती करने वाले किसानों की पूरी फसल तबाह हो गई है। अपने परिवार की बुरी आर्थिक हालत को देखते हुए पांच किसानों ने आत्महत्या कर ली है। किसान मुआवजे को लेकर पिछले कुछ दिनों से वित्त मंत्री मनप्रीत बादल के आवास को घेर कर बैठे हैं। वे 60 हजार रुपये प्रति एकड़ की मांग कर रहे हैं।

पिछले एक हफ्ते से न तो मुख्यमंत्री ने और न ही वित्त मंत्री ने मुआवजा देने संबंधी कोई एलान किया है, जबकि खुद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ कपास पट्टी का दौरा करके आए हैं। सरकार की ओर से गिरदावरी करने के आदेश दिए गए, लेकिन उन्हें मुआवजा मिलेगा कितना? नियमों के मुताबिक अगर किसी किसान की फसल 100 फीसद तबाह हो गई है तो उसे 12 हजार रुपये ही मिलेगा। इस राशि से क्या वह अगली फसल की बोआई कर पाएगा? अगर कर पाया तो इन छह महीनों तक खाएगा कहां से? और जिस जमींदार से उसने जमीन लेकर कपास की फसल लगाई थी उसका ठेका कैसे चुकाएगा? अगर कर्ज लेकर वह ठेका चुका भी देगा तो उस कर्ज को उतारेगा कैसे? इस तरह के कई सवाल हैं, जो जवाब मांगते हैं।

मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश में मरने वाले किसानों एवं पत्रकार को 2.5 करोड़ रुपये देने का एलान किया है। यह अच्छा कदम है। अगर फसल खराब होने पर किसानों को मिलने वाले मुआवजे में भी इतनी राशि मिला देते तो पंजाब के सैकड़ों किसानों को राहत मिल जाती। कपास पट्टी में फसल बर्बाद होने के नतीजे मुख्यमंत्री को याद रखने चाहिए। 2015 में सफेद मक्खी के कारण हुई फसल बर्बादी ने शिरोमणि अकाली दल की सरकार को 15 सीटों पर सीमित कर दिया था। चन्नी की अगुआई में कांग्रेस को आने वाले छह महीनों में चुनावी मैदान में उतरना है। मुआवजा मुआवजा खेलने के चक्कर में कहीं वह 2017 के अकाली-भाजपा के हाल को न भूल जाएं।

[ब्यूरो प्रमुख, पंजाब]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.