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खेर की जीत के साथ बढ़ा टंडन का कद, इस राज्य से मिल सकता है राज्यसभा सांसद का पद

टिकट कटने के बावजूद भाजपा उम्मीदवार किरण खेर को जीत दिलाने में पार्टी के चंडीगढ़ अध्यक्ष संजय टंडन ने अहम भूमिका निभाई।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 01:46 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 01:55 PM (IST)
खेर की जीत के साथ बढ़ा टंडन का कद, इस राज्य से मिल सकता है राज्यसभा सांसद का पद
खेर की जीत के साथ बढ़ा टंडन का कद, इस राज्य से मिल सकता है राज्यसभा सांसद का पद

जासं, चंडीगढ़। टिकट कटने के बावजूद भाजपा उम्मीदवार किरण खेर को जीत दिलाने में पार्टी के चंडीगढ़ अध्यक्ष संजय टंडन ने अहम भूमिका निभाई। इस तरह भाजपा की इस जीत के साथ पार्टी में संजय टंडन का कद भी बढ़ा है। अब माना जा रहा है कि उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया जा सकता है। यह दूसरा मौका था जब टंडन की मतबूत दावेदारी के बावजूद उन्हें चंडीगढ़ से पार्टी का टिकट नहीं मिला। चंडीगढ़ भाजपा में खेर के अलावा टंडन गुट मजबूत है। दोनों में आपसी खींचतान की खबरें भी चर्चा में रही हैं। इस बार भी टिकट कटने पर माना जा रहा था कि टंडन गुट बगावती तेवर दिखाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संजय टंडन ने खेर को जीत दिलाने के लिए पूरा प्रयास किया। इसका फायदा उन्हें मिल सकता है।

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हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के करीबी हैं टंडन
ऐसा माना जा रहा है कि संजय टंडन को हरियाणा से राज्यसभा सांसद बनाया जा सकता है। इसके लिए सांसद किरण खेर ने भी सिफारिश की है। इस बार जब खेर ने नामांकन भरा था तो उस समय हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भी डीसी कार्यालय में आए थे। उस समय खेर ने भी सिफारिश करते हुए मनोहर लाल से कहा था कि टंडन को हरियाणा से राज्यसभा सांसद बनाया जाए। मालूम हो कि टंडन मनोहर लाल के काफी करीबी हैं। चंडीगढ़ से लोकसभा का टिकट दिलवाने के लिए मनोहर लाल ने काफी प्रयास किया था, लेकिन अनुपम खेर की पीएम मोदी से करीबी के कारण टंडन को चुनाव लडऩे का मौका नहीं मिला। जबकि संगठन स्तर पर भी टंडन को टिकट दिलाने की सिफारिश हाईकमान से की गई थी।

आरएसएस भी संजय टंडन की भूमिका से खुश
पार्टी के नेता भी मानते हैं कि आरएसएस भी संजय टंडन की भूमिका से खुश है। टंडन ने किरण खेर के पति अनुपम खेर के साथ कई जगह रोड शो किया। पूरे देश में टंडन अकेले ऐसे नेता हैं जो 10 साल से चंडीगढ़ में भाजपा के अध्यक्ष पद पर हैं। जबकि भाजपा के संविधान के अनुसार कोई भी छह साल से ज्यादा समय तक अध्यक्ष नहीं रह सकता है। शहर में संगठन को मजबूत बनाने में टंडन की भूमिका सराही जाती रही है। जबकि चुनाव प्रचार से पहले चंद कार्यकर्ता सांसद किरण खेर के व्यवहार से खुश नहीं थे। जब खेर को टिकट मिला तो भाजपा कार्यालय की बैठक में जिला महासचिव संजीव वर्मा ने खेर के खिलाफ यह मुद्दा भी उठाया था। इसके बाद टंडन ने कार्यकर्ताओं को सब कुछ भूलकर खेर की जीत पक्की करने में सहयोग देने का आह्वान किया था।

इस जीत के लिए कार्यकर्ताओं को बधाई देता हूं। जननायक पीएम नरेंद्र मोदी ने शहर में ऐसा माहौल बना दिया कि हर कोई भाजपा को वोट देने को आतुर था। लोगों ने विकास को मंजूर और एक परिवार की राजनीति को रिजेक्ट किया है। राहुल गांधी एक बार फिर से नानी के घर जाने वाले हैं। यह पहला चुनाव था जिसमें न तो महंगाई और न ही सरकार के भष्टाचार की बात हुई।
- संजय टंडन, भाजपा के चंडीगढ़ अध्यक्ष

बड़ी रैलियों के सफल आयोजन में टंडन ने निभाई अहम जिम्मेदारी
चुनाव में संजय टंडन ने अपनी टीम के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राष्ट्रीय सचिव तरुण चुघ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की रैलियों को  सफलता पूर्वक संपन्न करवाने में अहम भूमिका निभाई। खास तौर से पीएम मोदी की रैली में न केवल हजारों की संख्या में लोग जुटे, बल्कि मतदान में भी यही अपनी जिम्मेदारी निभाई।

दो माह पहले ही बनाई थी चुनावी रणनीति
सूत्रों के अनुसार टंडन ने मतदान से दो माह पहले ही चुनावी रणनीति तय कर ली थी। उन्होंने करीब 229 चुनावी कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने मीडिया और चर्चा अभियान में12, 21  जनसभाएं, पांच रोड शो और रैली , 31 संगठनात्मक बैठक, विभिन्न एसोसिएशन के साथ15 बैठकें, चाय, बस,ऑटो और रिक्क्षा चालकों के साथ 38 चर्चा, 18 स्थानों पर पदयात्राएं, मतदान के दिन 81 केंद्रों पर जाकर वर्करों को हौसला बढ़ाना और 8 अन्य कार्यक्रमों में भाग लिया। इस तरह टंडन सभी वरिष्ठ नेताओं पर हावी रहे।
 

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