स्वच्छता सर्वे में शहर के पिछड़ने पर किरण खेर ने निगम पर बोला हमला
सांसद किरण खेर ने निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि लगातार सफाई की कमी को लेकर शिकायतें मिल रही हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। सेक्टर-17 में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचीं सांसद किरण खेर ने सफाई के मुद्दे पर नगर निगम पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोल दिया। सांसद ने कहा कि सफाई को लेकर लगातार शिकायतें आ रही हैं, कहीं न कहीं कमी जरूर है।
सफाई के मामले में चंडीगढ़ की रैंकिंग गिरी है। चंडीगढ़ पिछली दफा दूसरे स्थान पर था लेकिन अबकी बार ग्यारहवें स्थान पर आ गया है। सांसद किरण खेर ने निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि लगातार सफाई की कमी को लेकर शिकायतें मिल रही हैं।
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कमिश्नर से पूछा, डड्डूमाजरा के लोग कब तक झेलेंगे दंश
सांसद यहीं नहीं रुकी, उन्होंने डड्डूमाजरा गारबेज प्लांट को लेकर भी सीधे कमिश्नर बी पुरुषार्थ से ही सवाल किया कि वहां रह रहे लोगों की समस्या का निवारण कब होगा। उनका सीधे-सीधे कमिश्नर को उक्त मामले को लेकर सवाल करना दिखाता है कि वो किस मूड में थी। प्लांट को लेकर काफी समय से लोग शिकायत लेकर आ रहे हैं।
पिछले दो महीने में प्लांट में पड़े वेस्ट में आग सुलगने से धुआं उठने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। चूंकि निगम में बीजेपी की सत्ता है तो उनके इस हमले को कहीं न कहीं खुद उनकी पार्टी के लिए नसीहत के रूप में भी देखा जा रहा है। उन्होंने मुख्य रूप से साफ सफाई के मुद्दे पर अपना फोकस रखा। चंडीगढ़ की रैकिंग गिरने से सांसद खफा थीं।
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जब संबोधन के अंत में लिया टंडन का नाम
किरण खेर और बीजेपी अध्यक्ष संजय टंडन के आपसी मतभेद किसी से छिपे नही हैं। शहरवासियों को गाहे-बगाहे इसकी बानगी देखने को मिलती ही रहती है। इसका नजारा लुबाणा भवन सेक्टर-30 में आयोजित एक कार्यक्रम में देखने को मिला। सांसद किरण खेर ने अपने संबोधन में पार्षद चंद्रवती शुक्ला और उनके पति का नाम बीजेपी पार्टी अध्यक्ष संजय टंडन से पहले लिया जिसके चलते सब सकते में आ गए।
ऐसे में उन्होंने बाद में बात संभालते हुए कहा कि संजय टंडन पीछे आए तो नाम बाद में ले लिया। इसमें क्या गलत है। साथ में ये भी कहा कि कागज में उनका नाम पीछे था इसलिए नाम पीछे पढ़ा। दूसरी बात यह है कि अगर बीजेपी अध्यक्ष का नाम लिस्ट में पीछे लिखा था तो इस पर भी सवाल उठना लाजिमी है।
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हालांकि जब टंडन बोल रहे थे तो सांसद किरण खेर कार्यक्रम से बीच में ही निकल ली थी। ऐसे में साफ है कि खेर द्वारा टंडन का नाम अपने संबोधन में सबसे अंत में लेना और उनके भाषण के दौरान कार्यक्रम से चले जाना उनके आपसी मतभेदों को जगजाहिर करता है।