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मेयर पद के लिए लॉबिंग तेज, चहेता उम्मीदवार उतारने के लिए खेर और टंडन गुट आए आमने-सामने

अगले साल अपने चहेते पार्षद को मेयर का उम्मीदवार बनाने के लिए सांसद किरण खेर और भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन खुलकर आमने सामने आ गए हैं।

By Sat PaulEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 05:23 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 05:23 PM (IST)
मेयर पद के लिए लॉबिंग तेज, चहेता उम्मीदवार उतारने के लिए खेर और टंडन गुट आए आमने-सामने
मेयर पद के लिए लॉबिंग तेज, चहेता उम्मीदवार उतारने के लिए खेर और टंडन गुट आए आमने-सामने

चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। अगले साल अपने चहेते पार्षद को मेयर पद का उम्मीदवार बनाने के लिए सांसद किरण खेर और भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन खुलकर आमने सामने आ गए हैं। दोनों ने हाईकमान पर अपने गुट को इस बार मेयर की टिकट के लिए दबाव बनाना भी शुरू कर दिया है।इसका बार ज्यादा प्रयास इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अगले साल लोकसभा के भी चुनाव हैं। ऐसे में खेर और टंडन अपनी टिकट की राह आसान करना चाह रहे हैं। इस साल जब पार्टी ने खेर गुट के मोदगिल को उम्मीदवार बनाया था तो टंडन गुट ने विरोध करते हुए पूर्व मेयर आशा जसवाल से निर्दलीय तौर पर नामांकन भरवा दिया था।उस समय पार्टी की जमकर किरकिरी भी हुई थी। इस बार ऐसा होने की पूरी संभावना है। जसवाल ने हाईकमान के हस्ताक्षेप के बाद मोदगिल के लिखित में माफी मांगने के बाद काफी मुश्किल से नामांकन वापस करवाने के लिए तैयार करवाया था। 

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सूत्रों का कहना है कि किसी एक को उम्मीदवार बनाने पर दूसरा दावेदार जरूर खड़ा करेगा।एक दावेदार की इस बारे में कांग्रेस पार्टी से भी बात चल रही है। अगर भाजपा की ओर से उम्मीदवार नहीं बनाया जाता, तो वह निर्दलीय पर तौर खड़ा होगा और ऐसी स्थिति में कांग्रेस अपना उम्मीदवार मैदान में न उतारे। कांग्रेस के पास जीत का आकड़ा नहीं है। ऐसे में वह भी चाहती है कि भाजपा में जितनी गुटबाजी बढ़ेगी, लोकसभा चुनाव में उन्हें उतना ही फायदा मिलेगा।

मैन टू मैन मीटिंग शुरू, रिश्तेदारों से बनवाया जा रहा है दबाव

मेयर का उम्मीदवार बनने के लिए भाजपा के दावेदारों ने एक एक पार्षद को (मैन टू मैन) व्यक्तिगत तौर पर मिलना शुरू कर दिया है। दावेदार हर पार्षद पर अपने पक्ष में नाम लेने का दबाव बना रहे हैं। भाजपा पार्टी ने तीन अलग-अलग स्तर पर पार्षदों से राय लेने का मन बनाया है। पार्षदों से पूछा जाएगा कि नए साल में होेने वाले मेयर चुनाव के लिए वह किसे उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। ऐसे में दावेदारों को इसकी जानकारी मिलने पर उन्होंने इसकी लाॅबिंग शुरू कर दी है।दावेदार भाजपा पार्षदों पर उनके जानकारों और रिश्तेदारों से भी दबाव डलवा रहे हैं। 18 दिसंबर के बाद दावेदारों के नामों पर मंथन होना शुरू हो जाएगा।दावेदार पार्षदों को कह रहे हैं कि जब पार्टी नेता उनकी राय पूछेंगे तो वह उनका ही नाम ले।

मालूम हो कि भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन के अलावा सगठन मंत्री दिनेश कुमार और पार्टी प्रभारी प्रभात झा हर पार्षद से अलग-अलग बैठक करके राय लेंगे। उनसे पहली तीन प्राथमिकताएं पहली, दूसरी और तीसरी के तौर पर लिखित में पूछी जाएगी।पिछली बार भी ऐसा किया गया था।भाजपा के दावेदार इसलिए भी ज्यादा प्रयास कर रहे है क्योंकि उन्हें पता है पार्टी उम्मीदवार बनने के बाद उनका जीतना पक्का है क्योंकि नगर निगम में कुल 26 में से भाजपा के 20 पार्षद हैं।

संघ नेताओं के चक्कर लगा रहे दावेदार

भाजपा में राजेश कालिया, सतीश कैंथ, भरत कुमार और फरमिला देवी चार उम्मीदवार हैं। राजेश कालिया डडूमाजरा, कैंथ पलसौरा, भरत कुमार रामदरबार और फरमिला देवी डडूमाजरा से पार्षद हैं। सभी दावेदार संघ नेताओं और सगठन मंत्री दिनेश कुमार के चक्कर लगा रहे हैं। इन चार में से तीन ऐसे दावेदार हैं, जोकि पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं।

जो संगठन चाहे, उसे बनाया जाए उम्मीदवार

कई पार्षद ऐसे भी हैं, जोकि दावेदार का नाम नेताओं को लेने की बजाय यह कहने जा रहे हैं कि जो संगठन चाहे उसे बना दिया जाए। वह संगठन के साथ हैं। इस साल जब भी मोदगिल को उम्मीदवार चुना गया था तो पूर्व मेयर राज बाला मलिक और महेश इंद्र सिद्ध ने किसी का नाम लिए संगठन पर ही निर्णय छोड़ दिया था। जबकि बाकी पार्षदों ने देवेश माेदगिल और अरुण सूद का नाम लिया था। लेकिन इस बार संगठन पर निर्णय छोड़ने वाले पार्षदों का तादाद ज्यादा बढ़ रही है। इसका कारण है कि कोई भी किसी एक का नाम लेकर दूसरे दावेदारों को नाराज नहीं करना चाह रहा है।

आशा जसवाल के समय नहीं ली गई राय

साल 2016 में जब आशा जसवाल को मेयर का उम्मीदवार बनाया गया था। उस समय भाजपा नाम पूछने की प्रक्रिया को भूल गई थी उस समय सीधा ही हाईकमान ने जसवाल के नाम की घोषणा कर दी थी।जबकि उस समय राज बाला मलिक भी प्रबल दावेदार थी। आशा जसवाल को भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन होने का फायदा मिला था।

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