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कठुआ में बच्ची के दुष्कर्म व हत्या का दोषी सांझी राम सजा के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा

कठुआ दुष्कर्म मामले के मुख्य दोषी सांझी राम ने भी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर की है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 03:34 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 03:37 PM (IST)
कठुआ में बच्ची के दुष्कर्म व हत्या का दोषी सांझी राम सजा के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा
कठुआ में बच्ची के दुष्कर्म व हत्या का दोषी सांझी राम सजा के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा

जेएनएन, चंडीगढ़। कठुआ दुष्कर्म मामले के मुख्य दोषी सांझी राम ने भी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर की है। इससे पहले अन्य दोषी भी सजा के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं। हाई कोर्ट ने मामले पर पंजाब सरकार और जम्मू-कश्मीर पुलिस को नोटिस जारी किया है। साथ ही ट्रायल कोर्ट का रिकॉर्ड हाई कोर्ट में तलब किया गया है। मामले पर अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी। 

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बता दें, इससे पहले 4 दोषियों प्रवेश कुमार, दीपक खजूरिया, आनंद दत्ता और सुरेश कुमार ने सजा के खिलाफ सोमवार को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। इन सभी को पठानकोट की जिला अदालत ने कठुआ दुष्कर्म मामले में अलग-अलग धाराओं के तहत दोषी ठहराया था। अदालत ने सांझी राम, प्रवेश कुमार और दीपक खजूूरिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। तीन अन्‍य दोषियों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई गई। उन पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

जिला एवं सत्र अदालत में न्यायाधीश डाॅ. तेजविंद्र सिंह ने अभियोजन और बचाव पक्षों की दलीलों के आधार पर दोषियों की सजा का ऐलान किया था। जज डॉ. तेजिंदर सिंह ने छह आरोपितों को विभिन्‍न धाराओं के तहत दोषी करार दिया और सजा सुनाई। मामले में विशाल जंगोत्रा को कठुआ में बच्ची की हत्या के दिन ही मुज्जफरनगर के एक एटीएम में पैसे की निकासी के दौरान सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बरी किया गया।

इन धाराओं में पाए गए दोषी और यह मिली सजा

  • दीपक खजूरिया, सांझी राम, प्रवेश कुमार को दुष्कर्म, हत्या व अपहरण का दोषी पाया गया। इसमें दीपक खजूरिया, प्रवेश कुमार व सांझी राम को धारा 302, 376, 120 बी, 511, 328, 363, 201, 343 के तहत दोषी करार दिया गया। इसके लिए उन्हें धारा 376 के लिए 25 साल की कैद, 328 के लिए 10 साल, धारा 363 के लिए सात साल कैद, 201 के लिए पांच साल कैद, 343 के लिए दो साल और 302 और 120 बी के लिए उमकैद की सजा दी गई। उनकी सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। उनको एक -एक लाख रुपये जुर्माना भी सुनाया गया। जुर्माना नहीं भरने पर अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
  • आनंद दत्ता, सुरिंद्र कुमार व तिलक राज को सुबूतों को खुर्दबुर्द करने का दोषी पाया गया। तीनों को धारा 201 के तहत पांच- पांच साल कैद दी गई। उनको 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माना नहीं भरने पर उनको अतिरिक्‍त कारावास भुगतना होगा।

किन धाराओं के तहत क्या सजा

सांझी राम

धारा (आरपीसी) और सजा : (376डी) सामूहिक दुष्कर्म के लिए 25 साल कैद, (302) हत्या और (120बी) आपराधिक षड्यंत्र के लिए उम्रकैद, (201) सुबूत मिटाने के लिए पांच साल, (328) स्त्री पर हमला या बल प्रयोग करने के लिए 10 साल कैद, (363) किसी की मदद से अपहरण करने के लिए सात साल कैद, (343) तीन या अधिक दिन के लिए किसी को बंधक बनाने के लिए दो साल कैद की सजा सुनाई।

दीपक खजूरिया

धारा (आरपीसी) और सजा : (376डी) सामूहिक दुष्कर्म के लिए 25 साल कैद, (302) हत्या और (120बी) आपराधिक षड्यंत्र के लिए उम्रकैद, (201) सुबूत मिटाने के लिए पांच साल, (328) स्त्री पर हमला या बल प्रयोग करने के लिए 10 साल कैद, (363) किसी की मदद से अपहरण करने के लिए सात साल कैद, (343) तीन या अधिक दिन के लिए किसी को बंधक बनाने के लिए दो साल कैद की सजा सुनाई।

प्रवेश कुमार

धारा (आरपीसी) और सजा : (376डी) सामूहिक दुष्कर्म के लिए 25 साल कैद, (302) हत्या और (120बी) आपराधिक षड्यंत्र के लिए उम्रकैद, (201) सुबूत मिटाने के लिए पांच साल, (328) स्त्री पर हमला या बल प्रयोग करने के लिए 10 साल कैद, (363) किसी की मदद से अपहरण करने के लिए सात साल कैद, (343) तीन या अधिक दिन के लिए किसी को बंधक बनाने के लिए दो साल कैद की सजा सुनाई।

आनंद दत्ता (एसपीओ)

धारा (आरपीसी) और सजा : (201) सबूत मिटाने के दोष में पांच साल कैद और 50 हजार रुपये जुर्माना।

सुरेंद्र वर्मा (एसपीओ)

धारा धारा (आरपीसी) और सजा : (201) सबूत मिटाने के दोष में पांच साल कैद और 50 हजार रुपये जुर्माना।

तिलक राज (कांस्टेबल)

धारा (आरपीसी) और सजा : (201) सबूत मिटाने के दोष में पांच साल कैद और 50 हजार रुपये जुर्माना।

पठानकोट में सुनवाई शुरू होने के 380 दिन बाद आया था फैसला

पठानकोट में मामले की सुनवाई शुरू होने के 380 दिन बाद फैसला आया। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के कठुआ की हीरानगर तहसील के एक गांव में 10 जनवरी 2018 को आठ साल की बच्ची पशु चराते वक्त गायब हो गई थी।13 जनवरी 2018 को बच्ची का शव एक धार्मिक स्थल के पास मिला था। परिवार की शिकायत पर दीपक कुमार, प्रवेश कुमार, विशाल जंगोत्रा, एसपीओ सुरेंद्र कुमार, एसपीओ आनंद दत्ता, कांस्टेबल तिलक राज, सांझी राम व एक नाबालिग पर दुष्कर्म, हत्याकांड, षड्यंत्र रचने, सुबूत मिटाने मिटाने की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था।

मामले के सांप्रदायिक रंग लेने, माहौल बिगड़ने और सुरक्षा की दृष्टि से सुप्रीम कोर्ट ने केस को कठुआ से जिला एवं सत्र न्यायालय पठानकोट में शिफ्ट कर दिया था। जज डॉक्टर तेजविंदर सिंह ने इस केस की एक साल तक लगातार सुनवाई की है। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 114, जबकि बचाव पक्ष ने मात्र 18 गवाह पेश किए।

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