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जरा संभलकर.. डेराबस्सी अस्पताल में डॉक्टर नहीं ड्राइवर या स्वीपर कर रहे इलाज Chandigarh News

डेराबस्सी सिविल अस्प्ताल के प्रबंधकों द्वारा यह पहली बार नहीं किया गया बल्कि इससे पहले भी डॉक्टरों द्वारा घायल मरीजों को इन्हीं लोगों से टांके लगाते कई बार देखा गया है।

By Edited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 07:25 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 03:35 PM (IST)
जरा संभलकर.. डेराबस्सी अस्पताल में डॉक्टर नहीं ड्राइवर या स्वीपर कर रहे इलाज Chandigarh News
जरा संभलकर.. डेराबस्सी अस्पताल में डॉक्टर नहीं ड्राइवर या स्वीपर कर रहे इलाज Chandigarh News

मोहाली [संदीप कुमार]। लोग डॉक्टर को भगवान मानते हैं और उन पर भरोसा करते हैं कि उनका इलाज करने वाले डॉक्टर के हाथों में उनकी जान सुरक्षित है। लेकिन डेराबस्सी सिविल अस्पताल के डॉक्टरों को मरीजों की जान की कोई परवाह नहीं है। अगर आप डेराबस्सी सिविल अस्प्ताल में अपना इलाज करवाने आ रहे हैं तो जरा संभलकर.. क्योंकि यहां आपका इलाज डॉक्टर नहीं बल्कि डेलीवेज पर रखे ड्राइवर व स्वीपर करेंगे। डेराबस्सी सिविल अस्पताल एक बार फिर अपनी लापरवाही के कारण सुर्खियों में आ गया है। इस बार डेराबस्सी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा अपनी ड्यूटी छोड़कर डेलीवेज पर रखे ड्राइवर व स्वीपर से अस्पताल पहुंच रहे घायल मरीजों को टांके लगवाने का काम करवाया जा रहा है। जबकि दूसरे कमरे में डॉक्टर को आराम फरमाते देखा जा सकता है।

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हैरत की बात तो यह है कि डेराबस्सी सिविल अस्प्ताल के प्रबंधकों द्वारा यह पहली बार नहीं किया गया बल्कि इससे पहले भी डॉक्टरों द्वारा घायल मरीजों को इन्हीं लोगों से टांके लगाते कई बार देखा गया है। नियमों को ताक पर रखकर मरीजों की जिंदगी से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां मौजूद डॉक्टरों को यह तक नहीं पता कि उनकी इस गंभीर लापरवाही से किसी मरीज को लेने के देने पड़ सकते हैं या मरीज अपाहिज भी हो सकता है।

ड्राइवर व स्वीपर ने बिना ट्रेनिंग के लगा दिए आधा दर्जन से ज्यादा टांके

दरअसल रविवार देर शाम करीब साढे़ सात बजे डेराबस्सी सब डिवीजन में पड़ते गांव पंडवाला में दो गुटों में झगड़ा हो गया था जहां दोनों तरफ तेजधार हथियारों से एक-दूसरे पर हमला किया गया। इस हमले में एक युवक का सिर फट गया था। घायल को इलाज के लिए डेराबस्सी सिविल अस्प्ताल लाया गया था जहां शाम को ड्यूटी डॉक्टर ईशा वर्मा मौजूद थीं। जिनकी ड्यूटी दोपहर तीन से रात नौ बजे तक थी। घायल के सिर पर गहरा घाव होने के कारण उसे टांकों की जरूरत थी जिसे डॉक्टर ने खुद ऑपरेट करना जरूरी नहीं समझा और घायल को डेलीवेज ड्राइवर परमजीत जोकि एंबुलेंस चलाता है व स्वीपर राजू को आपरेट करने की ड्यूटी थमा दी। घायल के सिर पर आधा दर्जन से ज्यादा टांके लगाए गए परंतु इस दौरान मरीज के टांके ठीक लगे या गलत, एक बार भी डॉक्टर ने कमरे में आकर चेक नहीं किया। घायल को टांके लगाने का वीडियो भी जागरण के पास मौजूद है।

मामला क्यों लिया हल्के में

टांके लगाना एक तरह की सर्जरी है जिसे कभी हलके में नहीं लिया जा सकता। जिस घायल के सिर पर क्लॉस फोर्थ ड्राइवर परमजीत व स्वीपर राजू ने टांके लगाए, क्या उन्हें इस बात की नॉलेज थी कि घायल का घाव कितना गहरा है और कितनी गहराई में जाकर ब्रेन की नसें शुरू हो जाती हैं। अगर मरीज के इंटर्नल ब्ली¨डग हुई हो तो क्या उन्हें मालूम था कि सक्शन मशीन (खून बाहर निकालने वाली मशीन) को कैसे ऑपरेट किया जाता है। क्या अब डेराबस्सी सिविल अस्पताल के डॉक्टर इतने कामचोर हो गए हैं कि उन्हें माइनर सर्जरी के लिए क्लॉस फोर्थ जिसे मेडिकल की जानकारी नहीं है से काम करवाना पड़ेगा।

डॉक्टर की लापरवाही से बच्चे की हो चुकी है मौत

यहां बता दें कि कुछ दिन पहले डॉ. हरलीन कौर पर लापरवाही बरतने पर पांच साल के बच्चे की मौत के आरोप लगे थे। मृतक शिवम के पिता विजय तिवाड़ी ने उस समय आरोप लगाया था उल्टी व दस्त से बीमार उनके बेटे की डॉक्टरों ने ठीक से जांच नहीं की जिस कारण मौत हो गई। इस मामले की जांच स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने उच्च अधिकारियों को करने के निर्देश दिए थे।

मरीज किस समय अस्पताल में आया था, कौन डॉक्टर था ड्यूटी पर, मरीज का क्या नाम था। ऐसी कोई बात है तो मैं चेक करवाती हूं, मुझे यह नहीं पता था कि अस्पताल में ऐसा कुछ भी हो रहा है।

-संगीता जैन, एसएमओ, डेराबस्सी सिविल अस्पताल

मामला मेरे ध्यान में आ गया है। एक बार आप एसएमओ की स्टेटमेंट भी लें मैं तो उनसे पुछूंगा ही पर एक बार उनके ध्यान में भी मामला डाल दें। इसकी जांच होनी चाहिए।

-मंजीत सिंह, सिविल सर्जन

इस तरह अपनी जिम्मेदारी छोड़कर क्लॉस फोर्थ से मेडिकल काम करवाना बड़ी लापरवाही है। इस बारे में आलाधिकारियों से पूछताछ की जाएगी और लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होगी।

-बलबीर सिंह सिद्धू, स्वास्थ्य मंत्री


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