जनता ट्रिब्यून फलाईओवर के पक्ष में नहीं लेकिन पार्षद चाहते हैं यह बने
निगम के भाजपा पार्षद यह चाहते हैं कि यहां पर फ्लाईओवर बनना चाहिए।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : शहर की जनता चाहती है कि ट्रिब्यून फ्लाईओवर नहीं बनना चाहिए लेकिन नगर निगम के भाजपा पार्षद यह चाहते हैं कि यहां पर फ्लाईओवर बनना चाहिए। नगर निगम ने फ्लाईओवर बनाने पर अपनी मुहर लगा दी है। पार्षदों ने प्रस्ताव पास किया है कि यहां पर फ्लाईओवर बनना चाहिए। प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट पर सोमवार सुबह ही नगर निगम को अपनी राय देने के लिए कहा था। जिस पर लिखित में अपना निर्णय देने का टेबल एजेंडा सदन में आ गया। जबकि उस समय कांग्रेस के पार्षद सदन में नहीं थे क्योंकि पानी के रेट बढ़ाने के प्रस्ताव के विरोध में कांग्रेस पार्षद सदन छोड़कर चले गए थे और बाद में ट्रिब्यून फ्लाईओवर के प्रोजेक्ट पर सुझाव देने का प्रस्ताव चर्चा के लिए आया। हाई कोर्ट में विचाराधीन है मामला
इस प्रोजेक्ट पर मामला पहले से पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में भी विचाराधीन है। हाई कोर्ट में प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट पर सुझाव लेने के लिए कहा था जिसके बाद पब्लिक नोटिस निकालकर लोगों की यूटी गेस्ट हाउस में हियरिग करवाई गई। हियरिग में कुल 80 सुझाव आए थे जिसमें से 55 ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ अपना विरोध जाहिर किया था। कई लोगों का कहना है कि इससे जाम की दिक्कत नहीं बल्कि एक किलोमीटर आगे जाम शिफ्ट होगा। लोगों को मिलेगी राहत : सूद
पूर्व मेयर अरुण सूद ने कहा कि सदन में अधिकतर पार्षदों की यह राय थी कि इस प्रोजेक्ट के बनने से हल्लोमाजरा, रामदरबार, मौलीजागरां और पंचकूला से आने जाने वाले लोगों को राहत मिलेगी। क्योंकि इस समय लोगों को यहां पर काफी जाम का सामना करना पड़ता है। इसलिए पार्षदों ने जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि होने के कारण अपनी राय प्रशासन को दी है।
सांसद किरण खेर को समर्थन
नगर निगम ने हाउस में फ्लाईओवर के समर्थन में जो एजेंडा पास किया है, उस पर सांसद किरण खेर की छाप देखी जा सकती है। फ्लाईओवर किरण खेर का ड्रीम प्रोजेक्ट है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को चिट्ठी लिखकर इसकी मंजूरी ली थी। इसके बाद क्रेडिट लेने के लिए शिलान्यास भी चुनाव आचार संहिता से दो दिन पहले जल्दबाजी में किया था। इस प्रोजेक्ट पर रोक न लगे, इसलिए अब काउंसलर इसके समर्थन में उतर आए हैं। टेंडर अलॉट होने के बाद लगी रोक
फ्लाईओवर प्रोजेक्ट का टेंडर 137 करोड़ रुपये में अलॉट हो चुका है। कंपनी अलॉटमेंट के बाद काम शुरू करती, इससे पहले ही हाई कोर्ट में दायर याचिका के बाद इस पर कोर्ट ने रोक लगा दी। यह रोक मास्टर प्लान में प्रावधान नहीं होने और पेड़ों की कटाई रोकने का हवाला देकर लगाई गई।