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जैन-टंडन की गुटबाजी का फायदा मिल सकता है खेर या किसी चौथे को

भाजपा में लोकसभा टिकट के लिए बवाल मचा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 08:29 AM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 08:29 AM (IST)
जैन-टंडन की गुटबाजी का फायदा मिल सकता है खेर या किसी चौथे को
जैन-टंडन की गुटबाजी का फायदा मिल सकता है खेर या किसी चौथे को

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : भाजपा में लोकसभा टिकट के लिए बवाल मचा हुआ है। ऐसे में पूर्व सांसद सत्यपाल जैन और भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन की गुटबाजी का फायदा सांसद किरण खेर को मिल सकता है। इसका बड़ा कारण यह है कि जैन और टंडन गुट राजनीति में एक-दूसरे को कतई बर्दाश्त नहीं करते। दोनों गुट के नेता एक-दूसरे को शहर में आगे नहीं बढ़ना देना चाहते। ऐसे में दोनों गुट हाईकमान के समक्ष एक-दूसरे को पीछे धकेलने का प्रयास कर रहे हैं। शहर में टंडन, जैन और खेर का गुट है, लेकिन टंडन और जैन गुट किरण खेर के लिए तो समझौता कर सकते हैं, लेकिन वे एक-दूसरे के लिए कंप्रोमाइज नहीं कर सकते।

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पार्षद भी आकाओं के इशारों पर

टंडन गुट नहीं चाहता था कि पूर्व सांसद सत्यपाल जैन का नाम स्थानीय स्तर पर टिकट दावेदारों के पैनल में शामिल करके भेजा जाए, लेकिन चुनाव समिति ने जैन का नाम भी हाईकमान को भेज दिया। नगर निगम में भाजपा के 19 पार्षद भी इस समय जैन, खेर और टंडन गुट में बंटे हुए हैं। किसी चौथे को भी मिल सकता है फायदा

शहर की गुटबाजी का फायदा किसी चौथे उम्मीदवार को भी मिल सकता है। इसका कारण यह है कि हाईकमान को पता है कि किसी शहर के किसी एक गुट के टिकट मिलने पर विरोधी गुट उसे हरवाएगा। इसी रणनीति के तहत साल 2014 के लोकसभा चुनाव में हाईकमान ने किरण खेर को टिकट देकर शहर में चुनाव लड़ने के लिए भेजा था। हालांकि शुरुआती दिनों में खेर को भी टंडन और धवन गुट के नेताओं का गुस्सा झेलना पड़ा था। जबकि पूर्व सांसद सत्यपाल जैन ने खेर का सबसे पहले समर्थन कर दिया था। उस समय जैन, टंडन के अलावा धवन टिकट के शहर से दावेदार थे। खेर को टिकट मिलने के बाद हाईकमान के निर्देश पर तीनों नेताओं ने खेर को चुनाव में जीत दर्ज करवाने के लिए प्रयास किए। ऐसे में इस बार भी हाईकमान को पता है कि किसी एक को टिकट मिलने पर दूसरे गुट विरोध करेंगे। जैन को भी अगर लगेगा कि उन्हें टिकट नहीं मिल रही, तो वे भी खेर या किसी चौथे दावेदारों को अपना समर्थन दे देंगे। क्योकि जैन नहीं चाहते कि भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन को कभी भी टिकट मिले। मोदगिल के खिलाफ भी जैन के कारण मोर्चा खोला था टंडन गुट ने

टंडन गुट की पूर्व सांसद सत्यपाल जैन के साथ इस कदर तक टसल है कि उन्होंने पिछले साल पहले देवेश मोदगिल को मेयर का उम्मीदवार बनने से रोका। जब मोदगिल को उम्मीदवार बना दिया गया, तो टंडन गुट ने खुलकर विरोध किया और आशा जसवाल ने मोदगिल के खिलाफ निर्दलीय तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया। बाद में मोदगिल से लिखित में माफी मंगवाकर आशा जसवाल ने नामांकन वापस लिया। ऐसा सिर्फ पूर्व सांसद सत्यपाल जैन की किरकिरी करवाने के लिए किया गया। इसके बाद मोदगिल पूरे साल के कार्यकाल में टंडन गुट के पार्षदों से अलग-अलग मुद्दों पर मोर्चा झेलते रहे। जैन गुट भी करता रहा है शिकायतें

जैन गुट भी टंडन गुट की निरंतर हाईकमान को शिकायत करता रहता है। इस साल स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में जब शहर की रैंकिग तीसरे से गिरकर 20वें नंबर पर पहुंच गई, तो पूर्व मेयर मोदगिल टंडन गुट के खिलाफ खुलकर आ गया। मोदगिल ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि इसके लिए टंडन गुट के पार्षद जिम्मेदार हैं, जिन्होंने अपने निजी हित के कारण शहर में सेग्रीगेशन सिस्टम को लागू नहीं होने दिया। जैन को पांच बार मिल चुकी है टिकट

पूर्व सांसद सत्यपाल जैन को पांच बार शहर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिल चुकी है। जिनमें से दो बार जैन सांसद का चुनाव जीते हैं। साल 2014 के अलावा 1999 में भी हाईकमान ने खुद का उम्मीदवार शहर में चुनाव लड़ने के लिए भेजा था। उस समय राष्ट्रीय नेता कृष्ण लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाकर भेजा गया था, लेकिन वे भाजपा की गुटबाजी और धवन के कांग्रेस के शामिल होने से चुनाव हार गए थे।


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