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भगत सिंह का दीवाना जन में जगा रहा देशभक्ति की भावना

पंचकूला के सेक्टर 21 स्थित गाव महेशपुर के निवासी जगदीश, जिन्होंने शहीद भगत सिंह के आदर्शो को अपने जीवन में उतार लिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 04:53 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 04:53 PM (IST)
भगत सिंह का दीवाना जन में जगा रहा देशभक्ति की भावना
भगत सिंह का दीवाना जन में जगा रहा देशभक्ति की भावना

राजेश मलकानिया, चंडीगढ़ : स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की गाथा तो हर किसी को याद है। विरले ही होते हैं, जिनमें उनके दिखाए रास्ते पर चलने का जज्बा होता है। ऐसे ही एक शख्स हैं पंचकूला के सेक्टर 21 स्थित गाव महेशपुर के निवासी जगदीश, जिन्होंने शहीद भगत सिंह के आदर्शो को अपने जीवन में उतार लिया है। उनकी शक्ल, आदतें व पहनावा स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह से काफी मेल खाती हैं। इन्होंने अपना नाम भी जगदीश भगत सिंह रख लिया है। पंचकूला के लोग अब उन्हे भगत सिंह के नाम से ही जानने लगे हैं। लोग जहां भी उनसे मिलते हैं, नमस्कार की जगह जय¨हद करते हैं। जगदीश लोगों में जहा देशभक्ति की भावना भरते हैं, वहीं युवाओं से नशे से दूर रहने की अपील भी करते हैं।

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शहीद की प्रतिमा को देख बदली जीवन की दिशा

जगदीश मूलत हरियाणा के कैथल जिले के एक छोटे से गाव ब्राह्मणीवाला में पैदा हुए। वह आजकल पंचकूला मे बिजली विभाग मे कार्यरत हैं। वह बताते हैं कि जब छोटे थे तो कैथल शहर मे रहते थे। वहा एक चौराहे पर शहीद-ए-आजम की प्रतिमा को उन्होंने देखा। उनसे जुड़ी कहानी जानी तो उनका रोम रोम खड़ा हो गया। तब से ही वह भगत सिंह के मुरीद हो गए।

घर व दुकान में बना रखे हैं भगत सिंह के मंदिर

जगदीश प्रात: स्नान करने के बाद शहीद भगत सिंह को दस बार नमन करते हैं। उन्होंने अपने घर तथा दुकान पर भी शहीद-ए-आजम के ही मंदिर बना रखे हैं। वह हर वक्त अपने साथ भगत सिंह की फोटो रखते हैं। वह दावा करते है कि जब भी उन्हे कोई मुश्किल आई तो भगत सिंह के स्मरण मात्र से ही उनकी मुश्किल आसान हो गई। जगदीश हर वर्ष 23 मार्च को हुसैनीवाला मे शहीद-ए-आजम को श्रद्धाजलि देने जाते है।

पूरे परिवार के प्रति है आस्था

केवल भगत सिंह ही नहीं बल्कि उनके पूरे परिवार पिता किशन सिंह, मां विद्यावती, चाचा अजीत सिंह, दादा अर्जुन सिंह, भाई कुलतार सिंह के प्रति उनमें पूरी आस्था है। शहीद भगत सिंह के छोटे भाई कुलतार सिंह जब चंडीगढ़ पीजीआइ मे इलाज के लिए दाखिल हुए तो जगदीश ने उनकी बराबर सेवा की। वह अपने साथियों के साथ हर साल 13 अप्रैल को बैसाखी के दिन अमृतसर जलियावाला बाग जाते हैं और श्रद्धाजलि अर्पित करते हैं।


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