चंडीगढ़ में पंजाब के पदों को कम करने का मुद्दा गरमाया, कैप्टन ने राजनाथ को लिखा पत्र
यूटी चंडीगढ़ में पंजाब के पदों को कम करने का मुद्दा गरमा गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू आदि ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है।
जेएनएन, चंडीगढ़। यूटी चंडीगढ़ में पंजाब के पदों को कम करने और उन पर केंद्र के अधिकारियों का कंट्रोल बढ़ाने को लेकर पंजाब के दो मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और सुखजिंदर सिंह रंधावा ने ऐतराज जताया है। उधर, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू और राज्य सभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने तो राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि यह पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 का साफ तौर पर उल्लंघन है।
बता दें, 25 सितंबर यूटी में तैनात डीएसपी रैंक के अधिकारियों को यूटी काडर में शामिल करने संबंधी नोटिफिकेशन जारी की गई जिसमें कहा गया कि अब उनकी नियुक्ति चंडीगढ़ के अलावा देश के अन्य यूटी जिनमें अंडेमान निकोबार, लक्ष्यद्वीप आदि में इनकी नियुक्ति हो सकेगी। दिलचस्प बात यह है कि यूटी चंडीगढ़ के सभी विभागों में पंजाब के कर्मचारियों को कोटा कम होता जा रहा है। यही नहीं, जो महत्वपूर्ण पद पंजाब के पास हैं उनकी शक्तियों में भी कटौती की जा रही है। एसएसपी का पद पंजाब के पास है लेकिन इसकी शक्तियों को काफी सीमित कर दिया गया है।
सिद्धू ने राजनाथ सिंह को अपने पत्र में लिखा कि पहले चंडीगढ़ को पंजाब से छीन लिया गया है, जबकि एक्ट में साफ था कि जब तक हरियाणा अपनी राजधानी नहीं बना लेता तब तक चंडीगढ़ यूटी रहेगा। 1986 के राजीव लोंगोवाल समझौते में चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी के रूप में ट्रांसफर कर दिया गया था, लेकिन यह भी सिरे नहीं चढ़ाया गया।
बीबीएमबी, यूटी के लिए अलग से भर्ती करने की योजना
उधर, पंजाब सरकार ने बीबीएमबी और यूटी के विभागों में अपने कोटे को भर्ती करने के लिए तैयारी कर ली है। सभी संबंधित विभागों को यूटी में उनके विभाग का कितना कोटा कम है, इसकी जानकारी लेकर सीधी भर्ती करने की तैयारी शुरू की जाए। उल्लेखनीय है कि यूटी के साथ साथ भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में भी बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारियों के कोटे को लेकर लगातार कटौती हो रही है।
पंजाब का हिस्सा भाखड़ा में 55 फीसद है इसी अनुपात में कर्मचारियों की गिनती और खर्च तय किया गया है। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड लगातार पंजाब, हरियाणा को अपने अपने कोटे के कर्मचारी भेजने को लिखता आ रहा है और इन दोनों राज्यों द्वारा कर्मचारी न देने की सूरत में हिमाचल प्रदेश ने अपना काडर बढ़ा लिया है। अगर सीधे तौर पर इन विभागों में भेजने के लिए सरकार कार्यवाही शुरू कर देती है तो कम से कम पंजाब का अपना कोटा पूरा हो जाएगा।