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फूड सिस्टम डायलॉग में जुटे दिग्गज, कृषि को समवर्ती सूची में डालने पर नहीं बनी सहमति

भारत कृषक समाज की ओर से नई दिल्ली में करवाए गए फूड सिस्टम डायलॉग में कृषि को समवर्ती सूची में डालने को लेकर कोई सहमति बनती नहीं दिखी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 11:58 AM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 04:05 PM (IST)
फूड सिस्टम डायलॉग में जुटे दिग्गज, कृषि को समवर्ती सूची में डालने पर नहीं बनी सहमति
फूड सिस्टम डायलॉग में जुटे दिग्गज, कृषि को समवर्ती सूची में डालने पर नहीं बनी सहमति

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। कृषि इस समय राज्यों के अधिकार का विषय है। इसे राज्यों से लेकर समवर्ती सूची (कंकरेंट लिस्ट) में डालने को लेकर कृषि अर्थशास्त्रियों में विचार-विमर्श जारी है। भारत कृषक समाज की ओर से नई दिल्ली में करवाए गए फूड सिस्टम डायलॉग में भी इस विषय को लेकर कोई सहमति बनती नहीं दिखी।

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नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने खेती की मार्केटिंग को लेकर इसे समवर्ती सूची में शामिल करने की वकालत की जबकि योजना आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. अभिजीत सेन ने कहा कि खेती को इस सूची में शामिल करने से कोई लाभ नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि संविधान की समवर्ती सूची में जो विषय शामिल होते हैैं उन पर केंद्र व राज्य दोनों कानून बना सकते हैं।

भारत कृषक समाज व पंजाब किसान आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ ने दो दिवसीय फूड सिस्टम डायलॉग की शुरुआत में ही कहा कि खेती संकट केवल पंजाब या भारत का नहीं है, विश्व स्तर पर मंथन हो रहा है। पैदावार बढ़ाने के चक्कर में खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की कमी हो गई है, पर्यावरण को तो नुकसान पहुंच ही रहा है। लगातार बीमारियां बढऩे से किसानों की आर्थिक स्थिति पटरी से उतर रही है। अब बड़े बदलाव करने का समय आ गया है।

डॉ. सेन ने खेती को राज्यों के अधिकार क्षेत्र में रखे जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं का देश है, इसलिए अधिकारों का विकेंद्रीकरण करना सही है। बेशक खेती राज्यों का विषय है लेकिन ज्यादातर फैसले केंद्र से ही होते हैं। जागरण से बातचीत में सेन ने कहा कि नीतियां तो राज्यों ने ही लागू करनी होती हैं उनके पास ये विषय तो रहने ही चाहिए। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने कहा कि खेती की मार्केटिंग को समवर्ती सूची में लिया जाना चाहिए। नीति आयोग नए मॉडल मंडीकरण एक्ट की लंबे समय से वकालत कर रहा है लेकिन ज्यादातर राज्यों ने इसे अभी तक लागू नहीं किया है।

डायरेक्ट सब्सिडी पर भी विरोधी सुर

खाद पर दी जा रही 75 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी पर भी खेती माहिरों में सहमति नहीं दिखी। इफको के एमडी यूएस अवस्थी ने फर्टिलाइजर इंडस्ट्री : पॉलिसी एंड फ्यूचर विषय पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने किसानों को सब्सिडी डायरेक्ट बेनिफिट के जरिए उनके खातों में डालने की बात की।

रमेश चंद्र ने कहा कि फर्टिलाइजर पर दी जा रही सब्सिडी का मौजूदा फार्मूला ठीक है। अवस्थी ने कहा कि खेतों में जरूरत से ज्यादा यूरिया का इस्तेमाल हो रहा है, अब नीम कोटिंग के  चलते इसकी खपत सात फीसद कम हुई है। बायो और नेनो टेक्नालॉजी से भी रासायनिक खादों में 16 फीसद की कमी आई है जिसे और बढ़ाने की जरूरत है।

रिसर्च पर नहीं हो रहा काम

कृषि विज्ञान चयन बोर्ड के पूर्व चेयरमैन डॉ. सीडी मई ने देश की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में रिसर्च साइंटिस्ट की कमी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में ज्यादातर खर्च वेतन पर हो रहा है, रिचर्स पर नहीं। ऐसे में किसानों की आमदनी दोगुणी करने का लक्ष्य कैसे पूरा होगा।

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