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हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम नहीं दिया, अब देना होगा हर्जाना Chandigarh News

फोरम ने इंश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता को हुई परेशानी के लिए 35 हजार मुआवजा और केस खर्च के लिए 15 हजार रुपये देने का आदेश दिया है।

By Edited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 10:48 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 11:13 AM (IST)
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम नहीं दिया, अब देना होगा हर्जाना Chandigarh News
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम नहीं दिया, अब देना होगा हर्जाना Chandigarh News
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बावजूद क्लेम नहीं देने पर कंज्यूमर फोरम ने सेक्टर-8 स्थित मैक्स बुपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पर हर्जाना लगाया है। इसके साथ ही इलाज पर खर्च हुए 2,74,889 रुपये भी नौ प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने को कहा है। फोरम ने इंश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता को हुई परेशानी के लिए 35 हजार मुआवजा और केस खर्च के लिए 15 हजार रुपये देने का आदेश दिया है।

जीभ का कैंसर होने पर पीजीआइ में करवाया था इलाज
लुधियाना निवासी राजबीर सिंह ने कंज्यूमर फोरम में दी शिकायत में बताया उन्होंने 4 अगस्त 2016 को उक्त हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से पिता हरकीरत सिंह और माता परिमंदर कौर की इंश्योरेंस करवाई थी। यह इंश्योरेंस कवर 17 अगस्त 2016 से 16 अगस्त 2017 तक की थी। इसके लिए उन्होंने 41,240 रुपये का भुगतान किया। उन्होंने आगे भी पॉलिसी को जारी रखा और हर साल उसके पैसे भरते रहे। यह बढ़कर 16 अगस्त 2019 तक हो गई। इसके लिए उन्होंने 57,300 का भुगतान किया। इस बीच 3 नवंबर, 2018 को उनके पिता हरकीरत को जीभ के कैंसर के चलते पीजीआइ में दाखिल कराना पड़ा, उनके इलाज के दौरान 2,74,889 रुपये खर्चा आया। पीजीआइ के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट से जांच के बाद बिल को पास करवा कर इंश्योरेंस कंपनी को दिया। लेकिन इंश्योरेंस कंपनी ने इसका भुगतान करने से इन्कार कर दिया।

कंपनी ने कहा- पहले से थी बीमारी
इंश्योरेंस कंपनी का कहना था कि उसके पिता 6 वर्ष पहले किसी बीमारी से ग्रस्त थे। इस संबंध में उनके द्वारा कंपनी को जानकारी नहीं दी गई। जिस कारण उनकी पॉलिसी को कैंसिल कर दिया गया है। लेकिन शिकायतकर्ता ने उनके पिता को किसी भी बीमारी के होने से इनकार किया। बावजूद इसके इंश्योरेंस कंपनी ने इंश्योरेंस क्लेम देने से मना कर दिया। राजबीर सिंह ने कंज्यूमर फोरम का दरवाजा खटखटाया था। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अब कंज्यूमर फोरम ने यह फैसला सुनाया है।

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