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चंडीगढ़ की बेटियों के लिए अरुणा आसिफ अली ट्रस्ट की पहल, आत्मनिर्भर बनाने के लिए करवाया जा रहा सिलाई और ब्यूटीशियन कोर्स

अरुणा आसिफ अली ट्रस्ट ने शहर की बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल की है। ट्रस्ट द्वारा जरूरतमंद युवतियों और महिलाओं को रोजगार की ट्रेनिंग दी जा रही है। वहीं संस्था द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि कोर्स पूरा करने के बाद उन्हें रोजगार मिले।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2021 05:53 PM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2021 05:53 PM (IST)
चंडीगढ़ की बेटियों के लिए अरुणा आसिफ अली ट्रस्ट की पहल, आत्मनिर्भर बनाने के लिए करवाया जा रहा सिलाई और ब्यूटीशियन कोर्स
अरुणा आसिफ अली ट्रस्ट द्वारा शहर की बेटियों और महिलाओं की दी जा रही सिलाई की ट्रेनिंग।

चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। आजाद भारत में पहला महिला कमीशन बनाने वाली अरुणा आसिफ अली के नाम से स्थापित ट्रस्ट शहर की बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। सेक्टर-44 में चल रहे अरुणा आसिफ अली ट्रस्ट में जरूरतमंद बेटियों और महिलाओं को कंप्यूटर के साथ सिलाई और ब्यूटीशियन का कोर्स कराया जा रहा है। कोर्स पूरा होने के बाद बेटियों और महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है।

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जानकारी देते हुए ट्रस्ट की प्रेसिडेंट जॉय रेकी शर्मा ने बताया कि हमारा प्रयास है कि शहर की कोई भी बेटी किसी के आगे हाथ न फैलाए। स्किल डेवलपमेंट का कोर्स कराते समय तत्कालीन ट्रस्ट के सदस्यों का सपना था कि यह ट्रस्ट बेसहारा बेटियों का सहारा बनेगा और जीवन को बेहतर तरीके से चलाने के लिए प्रयास करेगा। उसी के तहत ट्रस्ट काम कर रहा है।

अरुणा आसिफ अली ने महिलाओं को सशक्त करने के लिए बनाया था कमीशनः जसबीर बाबा

ट्रस्ट की सदस्य जसबीर बाबा ने बताया कि अरुणा आसिफ अली का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनकी शादी लाहौर के वकील के साथ हुई थी। आजादी के बाद उन्होंने भारत में आकर बेटियों की स्थिति को नजदीक से देखा था। उन्होंने राजनीति में कोई पद पाने के बजाय पहला महिला कमीशन खोला था। उन्हीं से प्रेरणा पाकर ट्रस्ट को खोला गया था।

बेटियों और महिलाओं के साथ बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत

ट्रस्ट की सदस्य नीना जौहर ने बताया कि वर्तमान में बेटियों और महिलाओं को सशक्त करने के साथ बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है। घर को चलाने के बाद लिए महिलाएं समाज में काम कर रही हैं लेकिन उनके काम करने से बच्चे नजरअंदाज हो रहे हैं। जिसे पूरा करने के लिए हमने स्कूल भी खोला है और स्पेशल चिल्ड्रेन के लिए भी कोर्स शुरू किए है। इस समय दस के करीब सुनने और बोलने में अक्षम बच्चे हमारे पास कम्प्यूटर कोर्स कर रहे है और उन्हें हम स्कूल के साथ कालेज में भी एडमिशन करवा रहे है।


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