एनपीए का खेल: इंडस्ट्री बड़ी डिफाल्टर, लेकिन किसानों के कर्ज पर हंगामा
पंजाब में किसानों के कर्जमाफी को लेकर हंगामा हो रहा है आैर बैकों का कृषि क्षेत्र में एनपीए बढ़ने की बात की जा रही है। लेकिन, कृषि से अधिक उद्योग क्षेत्र का एनपीए अधिक है।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब सरकार द्वारा किसानों के कर्जमाफी के फैसले के बाद कृषि ऋण के एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) को लेकर हंगामा मच रहा है। दूसरी ओर, हकीकत यह है कि उद्योगों के कारण एनपीए अधिक है। उद्योगों का एनपीए 13 फीसद तक पहुंच चुका है। यह कृषि ऋण के मुकाबले करीब पांच फीसद ज्यादा है।
पंजाब में इंडस्ट्री का एनपीए 13 फीसद और कृषि ऋण का 7.93 फीसद
बैंकर्स कमेटी के कन्वीनर पीएस चौहान ने कहा है कि इंडस्ट्री के मुकाबले किसानों का एनपीए काफी कम है। बैंकर्स कमेटी की राज्यस्तरीय बैठक में किसान कर्ज माफी का मुद्दा उठा। पंजाब सरकार ने कर्ज का विवरण मांगा तो बैंकर्स ने कहा 31 लाख एकाउंट है, 15 दिन में दे देंगे। बैंकर्स का दर्द यह था कि पंजाब सरकार द्वारा कर्ज माफी की घोषणा के बाद से ही किसानों में कर्ज वापस न करने का रुझान है। इसके कारण कृषि ऋण का एनपीए 6611 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। यह दिए गए ऋण का 7.93 फीसद है।
बैंकर्स ने सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे आईएएस अधिकारी डीके तिवारी और पीसीएस अधिकारी परमिंदर सिंह से कहा कि कर्ज माफी की घोषणा के बाद से जो किसान इसके दायरे में नहीं आ रहे हैं, उन्होंने भी किश्त देना बंद कर दिया है कि कहीं उनका न माफ हो जाए। इस धारणा को तोड़ने की आवश्यकता है।
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कर्ज माफी को लेकर सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बैठक में चीफ सेक्रेटरी करन अवतार सिंह को शामिल होना था लेकिन नहीं आए। परमिंदर सिंह ने प्रजेंटेशन देते हुए कामर्शियल बैंकों से किसानों के कर्ज का विवरण देने के लिए कहा।इस पर बैंकर्स ने 15 दिन में विवरण देने की बात कही। एक अधिकारी ने कहा कि एक प्रोफार्मा दिया जाएगा। उसके अनुसार बैंकर्स को जानकारी देनी होगी।
कैप्टन सरकार ने दो लाख तक के फसली ऋण को माफ करने की घोषणा की थी। तब से ही किसान लोन की किस्त नहीं चुका रहे हैं। बैंकर्स कमेटी के कन्वीनर पीएस चौहान ने कहा कि किसानों में यह रुझान पाया जा रहा है कि सरकार तो ऋण माफ कर देगी, फिर इसकी किसत बैंक में क्यों जमा करवाएं।
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किसानों पर करीब 83 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
किसानों पर बैंकों का 83,316 करोड़ का कर्ज है। मूल रूप से किसानों पर कर्ज करीब 70,000 करोड़ रुपये है, बाकी राइस मीलर्स का है। बैंकर्स कमेटी की बैठक में सामने आया कि किसानों का एनपीए एकाउंट 7.93 फीसद तक पहुंच गया है। यह पंजाब में जारी कुल लोन का 2.60 फीसद है।
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छह महीने में 880 करोड़ का एनपीए बढ़ा है। पिछले साल जून तक कृषि एनपीए 5731 करोड़ था। यह अब 6611 करोड़ तक पहुंच गया है। इस तरह इसमें 8.7 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है।
कर्ज की अदायगी न होने पर खाता होता है एनपीए
जब कोई देनदार बैंक को कर्ज की किस्त (ईएमआइ) देने में नाकाम रहता है, तब उसका लोन अकाउंट नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) कहलाता है। नियमों के हिसाब से जब किसी लोन की ईएमआई, प्रिंसिपल या इंटरेस्ट देय तिथि के 90 दिन के भीतर नहीं आती है तो उसे एनपीए में डाल दिया जाता है।