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वादा नहीं हुआ पूरा, उद्योगों को पांच नहीं 6.57 रुपये प्रति यूनिट मिलेगी बिजली

कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की सरकार उद्योगों को अपने चुनावी वादे के मुताबिक पांच रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली नहीं दे पाएगी। सरकार ने उद्योगों के जिए बिजली दरें तय कर दी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 20 Dec 2017 09:57 AM (IST)Updated: Wed, 20 Dec 2017 09:57 AM (IST)
वादा नहीं हुआ पूरा, उद्योगों को पांच नहीं 6.57 रुपये प्रति यूनिट मिलेगी बिजली
वादा नहीं हुआ पूरा, उद्योगों को पांच नहीं 6.57 रुपये प्रति यूनिट मिलेगी बिजली

जेएनएन, चंडीगढ़। चुनावाें में किए वादे के अनुसार कैप्टन सरकार उद्योगों को अब पांच रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली नहीं देगी। राज्‍य सरकार ने उद्योगों के लिए बिजली की दरें तय कर दी है। राज्‍य में मध्यम दर्जे के उद्योगों को 6.57 रुपये प्रति यूनिट और बड़े उद्योगों को 6.89 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलेगी। इसके लिए हुई बैठक में बिजली मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने उद्यमियों को मना लिया है।

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ये दरें एक जनवरी 2018 से लागू होंगी। इससे सरकार पर लगभग 1100 करोड़ से लेकर 1150 करोड़ रुपये सब्सिडी का बोझ पड़ेगा। दरअसल ऐसा इस साल पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन की ओर से टू-वे टैरिफ ऑर्डर जारी करने की वजह से हुआ है। इस सिस्टम में इंडस्ट्री को अपने लोड के अनुसार फिक्स चार्जेज भी देने होंगे।

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दूसरा वे जितनी बिजली की खपत करेंगे, उसके प्रति यूनिट के हिसाब से अलग से बिल देंगे। यानी यदि दोनों को जोड़कर इंडस्ट्री को पांच रुपये प्रति यूनिट बिजली यदि सरकार मुहैया करवाती है तो लगभग 2400 करोड़ रुपये की सब्सिडी का बोझ पड़ता है। सरकार इस समय इतनी राशि वहन करने की स्थिति में नहीं है।

उद्यमियों के साथ हुई मीटिंग में राणा ने इस स्थिति से निपटने के लिए पांच-छह विकल्प रखे थे। उद्यमियों से कहा गया था कि फिक्स चार्जेज तो उन्हें लोड के अनुसार ही देने होंगे, खपत की जाने वाली बिजली का रेट सरकार पांच रुपये कर सकती है। यह भी विकल्प दिया गया कि फिक्स चार्जेज को आधा करके खपत की जाने वाली बिजली के रेट में भी कुछ कमी की जा सकती है।

यदि फिक्स चार्जेेज को पूरा रखा जाता है और खपत की जाने वाली बिजली का रेट पांच रुपये भी कर दिया जाता है तो भी उन उद्योगों को आठ रुपये प्रति यूनिट से ज्यादा देना होगा जिनकी खपत कम है और लोड ज्यादा है। इस पर यह तय हुआ कि दोनों चार्जेज को मिलाकर मध्यम और बड़े उद्योगों को क्रमश: 6.57 व 6.89 रुपये प्रति यूनिट पर बिजली दी जाएगी।

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पंजाब सरकार ने खपत की जाने वाली बिजली का रेट 5 रुपये ही रखा है, लेकिन लोड का 1.57 रुपये व 1.89 रुपये इंडस्ट्री के हिसाब से फिक्स कर दिया है।  एक अप्रैल 2017 से लेकर अक्टूबर तक का 600 करोड़ रुपये का बोझ सरकार और उद्योगपति आधा-आधा वहन करेंगे।



 


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