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एनजीटी के फैसले के खिलाफ इस शहर की इंडस्ट्रीज

प्रदूषण फैलाने के आरोप में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के फैसले से बंद किए गए डेराबस्सी के 57 उद्योगों ने डेराबस्सी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के बैनर तले फैसले को चुनौती देने का मन बनाया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 01:38 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 03:30 PM (IST)
एनजीटी के फैसले के खिलाफ इस शहर की इंडस्ट्रीज
एनजीटी के फैसले के खिलाफ इस शहर की इंडस्ट्रीज

संवाद सहयोगी, डेराबस्सी: (मोहाली) : प्रदूषण फैलाने के आरोप में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के फैसले से बंद किए गए डेराबस्सी के 57 उद्योगों ने डेराबस्सी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के बैनर तले फैसले को चुनौती देने का मन बनाया है। उद्योगों को बंद करने के आदेश के बाद शनिवार को डेराबस्सी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान विजय मित्तल एवं डेराबस्सी इंडस्ट्रियल फोकल प्वाइंट एसोसिएशन के प्रधान राकेश भार्गव की अगुआई में एक आपात बैठक हुई। जिसमें प्रभावित 55 इकाइयों सहित 100 से अधिक उद्योगपतियों ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान फैसला लिया गया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में रिव्यू पटीशन फाइल की जाएगी। एसोसिएशन के प्रधान ने बताया कि एनजीटी के फैसले से करीब 10,000 से अधिक मजदूर प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब के इंडस्ट्री मिनिस्टर सुंदर शाम अरोड़ा से मिलकर भी मदद की गुहार लगाई जाएगी।

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आश्वासन : हम खामियां दूर कर लेंगे

उद्योगपतियों ने यह भी आश्वासन दिया कि वे अपने उद्योगों में सभी प्रकार की खामिया पूरी तरह दुरुस्त कर लेंगे। प्रभावित उद्योगों में बड़े उद्योग नेक्टर लाइफ साइंसेज एवं मीट प्लाट फेडरल कंपनी ने अलग से अपील कर दी है। इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पदाधिकारी ने यह भी कहा कि एनजीटी के आदेशों से पहले उन्हें नोटिस भेज कर पार्टी तक नहीं बनाया गया। उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं मिला।

प्रधान बोले : खामियां हैं ही नहीं, दोषी माना गया

एसोसिएशन के प्रधान राकेश भार्गव ने कहा कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हवाले से भी उनका पक्ष नहीं लिया गया। 57 में से 40 उद्योग प्रदूषण फैलाने के डिफाल्टर नहीं हैं। उन्हें दस्तावेज समेत अन्य नियमों की अनदेखी के लिए दोषी माना गया है। कई उद्योग तो ऐसे हैं, जिन्हें प्रदूषण बोर्ड से कंसेंट में छूट मिली हुई है, परंतु इन ऑर्डर में उन्हें भी डिफाल्टर मान लिया गया। कुछ उद्योग ऐसे भी हैं, जिनमें पानी कहीं भी इस्तेमाल नहीं होता और न ही डिस्चार्ज होता है, परंतु ग्राउंड वाटर की खामी का दोषी उन्हें भी बना दिया गया है। इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव राकेश रतन ने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि एनजीटी उन्हें हर प्रकार से राहत देगी।


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