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चंडीगढ़ के डीएवी कालेज से निकले ये 13 शूरवीर, जिन्होंने देश के लिए दी शहादत, जानें इनके बारे में

चंडीगढ़ के सेक्टर-10 स्थित डीएवी कालेज को हम सैन्य अफसरों की खान कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस कालेज से सैकड़ों सैन्य अफसर निकले हैं। इस कालेज से पढ़े कैप्टन बिक्रम बत्रा सहित 13 अफसरों ने देश के लिए बलिदान दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 01:16 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 06:20 PM (IST)
चंडीगढ़ के डीएवी कालेज से निकले ये 13 शूरवीर, जिन्होंने देश के लिए दी शहादत, जानें इनके बारे में
डीएवी में पढ़े सैन्य अफसर, जिन्होंने शहादत का जाम पिया।

विकास शर्मा, चंडीगढ़। आज इंडियन आर्मी डे है। हर वर्ष 15 जनवरी का दिन भारत में सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 1949 में इसी दिन केएम करियप्पा भारतीय थल सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ बने थे। तब से 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन पर हम आपको डीएवी कालेज-10 के बारे में बताते हैं, यह कालेज पढ़ाई के साथ सैन्य अफसर तैयार करने के लिए जाना जाता है। डीएवी कालेज-10 के 13 पूर्व स्टूडेंट्स अपने अदम्य साहस के चलते शहीद हो चुके हैं। परमवीर चक्र विजेता विक्रम बत्रा, महावीर चक्र विजेता मेजर संदीप सागर और सेकेंड लेफ्टिनेंट राजीव संधू और वीर चक्र विजेता कैप्टन विजंयत थापर इसी कालेज के छात्र रहे हैं।

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कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता शेरशाह विक्रम बत्रा

हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में 9 सितंबर 1974 को जीएल बत्रा और कमलकांता के घर में दो जुड़वा बेटों ने जन्म लिया। पिता रामभक्त हैं, इसलिए उन्होंने विक्रम (लव) और विशाल (कुश) नाम रखा। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पालमपुर में हुई। इसके बाद वह डीएवी कालेज -10 चंडीगढ़ में पढ़ने के लिए आ गए। उन्होंने विज्ञान विषय में स्नातक की पढ़ाई शुरू की और साथ में एनएनसी ज्वाइन कर ली। इसी दौरान वह एनसीसी के बेस्ट कैडेट बने और उन्होंने गणतंत्र दिवस की परेड में भी हिस्सा लिया। साल 1996 में उन्होंने सीडीएस पास कर सेना ज्वाइन की।

दिसंबर 1997 में प्रशिक्षण समाप्त होने पर उन्हें 6 दिसंबर 1997 को जम्मू के सोपोर नामक स्थान पर सेना की 13 जम्मू -कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली। उन्होंने 1999 में कमांडो ट्रेनिंग के साथ कई प्रशिक्षण भी लिए। पहली जून 1999 को उनकी टुकड़ी को कारगिल में भेजा गया। हम्प व राकी नाब स्थानों को जीतने के बाद विक्रम को कैप्टन बना दिया गया। उन्होंने अपनी जीत पर अपने सीनियर अधिकारी को संदेश में लिखा था यह दिल मांगे मोर। यह कारगिल युद्ध में वीरता के मंत्र बन गए थे। उनकी बहादुरी को देखते हुए कर्नल वाईके जोशी ने विक्रम को शेरशाह का नाम दिया था। इसी युद्ध में आदम्य साहस से लड़ते हुए वह सात जुलाई 1999 को शहीद हुए। 15 अगस्त 1999 को उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया गया।

डीएवी में पढ़े सैन्य अफसर, जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया। 

आपरेशन विजय में अदम्य साहस के लिए मेजर संदीप सागर को महावीर चक्र

डीएवी-10 के पूर्व स्टूडेंट मेजर संदीप सागर को महावीर चक्र मिला। कारगिल युद्ध के दौरान ही 25 जून 1999 को दुश्मन की बिछाई बारूदी सुरंग फटने से मेजर संदीप सागर वीरगति को प्राप्त हुए। मेजर संदीप सागर ने कई मिलिट्री आपरेशन में आदम्य साहस का परिचय दिया था। भारत माता के इस सपूत का नाम भी इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया।

मरणोपंरात महावीर चक्र पाने सबसे युवा सैनिक हैं राजीव संधू

डीएवी कालेज के पूर्व स्टूडेंट सेकेंड लेफ्टिनेंट राजीव संधू श्रीलंका में आतंकवादियों के साथ लड़ते हुए 19 जुलाई 1988 को शहीद हो गए थे। श्रीलंका में आतंकवाद को खत्म करने के लिए गई इंडियन पीस कीपिंग फोर्स के आपरेशन विराट में हिस्सा लेने के राजीव संधू सात असम यूनिट के साथ इस मिशन में गए थे। उन्होंने 21 साल की उम्र में शहादत पाकर वीरता की नई मिसाल दी, उन्हें इस अदम्य साहस और शौर्य के लिए मरणोपंरात महावीर चक्र मिला। वह सबसे छोटी उम्र में महावीर चक्र पाने वाले सैन्य अधिकारी हैं।

वीर चक्र विजेता मेजर विजंयत थापर

डीएवी कालेज के पूर्व स्टूडेंट कैप्टन विजंयत थापर ने 22 साल की उम्र में शहादत का जाम पिया। उन्होंने राजपूताना राइफल्स में कमिशन लिया। जून 1999 में कैप्टन विजयंत ने तोलोनिंग (कारगिल) पर विजय हासिल की और भारत का तिरंगा लहराया। पाकिस्तानी फौज ने पिंपल्स और नॉल हिल्स पर कब्जा कर लिया था, इन्हें खदेड़ने की जिम्मेदारी विजंयत को मिली। चांदनी रात में पूरी तरह से दुश्मन की फायरिंग रेंज में होने के बावजूद विजयंत आगे बढ़े और जीतकर ही माने। देश थ्री पिम्पल्स जीत गया, लेकिन इसकी बड़ी कीमत देश को विजयंत के रूप में चुकानी पड़ी। अपनी छह महीने की सर्विस में इस सैन्य अधिकारी ने वीर चक्र प्राप्त कर वीरता की नई मिसाल दी।

देश का इकलौता कालेज जिसके परिसर में है वार मेमोरियल

डीएवी-10 कालेज के प्रिसिंपल पवन शर्मा ने बताया कालेज प्रबंधन ने इन्हीं वीरों के सम्मान में अपने एडमिन ब्लाक का नाम शौर्य भवन रखा है। इसी शौर्य भवन के अंदर में एक म्यूजियम है जहां वीर सैनिकों की फोटो को सजाया गया है। इसके अलावा कालेज परिसर के बाहर ही वार मेमोरियल बनाया है। जिसमें शेरशाह विक्रम बत्रा, मेजर संदीप सागर, राजीव संधू और मेजर विजंयत थापर के स्मृति चिन्ह लगाए हैं।

इन शहीदों के प्रति स्टूडेंट्स और कालेज स्टाफ की इतनी आस्था है कि वह जब भी वह सामने से गुजरते हैं तो इनके सम्मान में सिर झुकाकर आगे जाते हैं। डीएवी कालेज का नाम लोग सम्मान से लेते हैं। कालेज में एडमिशन लेने के लिए युवा खासे उत्साहित रहते हैं। यह वीर सैनिक हमारे कालेज की पहचान है। हम भी सेना से जुड़े हर कार्यक्रम को बड़ी शान से मनाते हैं। बाहर से आए हुए अतिथि भी जब कालेज के इतिहास के बारे में सुनते और पूछते हैं तो कालेज प्रिंसिपल होने के नाते मैं खुद को गौरवान्वित महसूस करता हूं।

शहादत पाने वाले डीएवी के शूरवीर

1.विक्रम बत्रा, परमवीर चक्र

2.मेजर संदीप सागर,महावीर चक्र

3.सेकेंड लेफ्टिनेंट राजीव संधू,महावीर चक्र

4.कैप्टन विजंयत थापर, वीरचक्र

5.स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ विशिष्ठ, वायुसेना मेडल

6. लेफ्टिनेंट अनिल यादव, शहीद

7. मेजर नवनीत वत्स, सेना मेडल

8. कैप्टन रोहित कौशल, सेना मेडल

9. कैप्टन अतुल शर्मा, शहीद

10. बिग्रेडियर बलविन्द्र सिंह शेरगिल, शहीद

11. कैप्टन रिपुदमन सिंह , शहीद

12. मेजर मलविंदर सिंह, शहीद

13. फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुरसिमरत सिंह ढींढसा, शहीद


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