पंजाब में अफसरशाही और राजनेताओं में बढ़ रहा विवाद, ये हैं कुछ एेसे मामले...
कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के करीब पौने दो साल के कार्यकाल के दौरान विधायकों और अफसरों में विवाद की एक दर्जन के करीब घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
चंडीगढ़ [जय सिंह छिब्बर]। लोगों के चुने हुए नुमाइंदों और अफसरशाही के बीच विवाद के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठाना वाजिब है कि सरकार में अफसरशाही लापरवाह हो गई है या लोगों के चुने हुए नुमाइंदे प्रशासनिक अफसरों पर नियमों से उलट काम करने के लिए दबाव बनाते हैं। सरकार के करीब पौने दो साल के कार्यकाल के दौरान विधायकों और अफसरों में विवाद की एक दर्जन के करीब घटनाएं सामने आ चुकी हैं। दिलचस्प बात है कि अफसरों के साथ तू-तू, मैं-मैं करने वालों में कांग्रेस के युवा विधायकों की संख्या ज्यादा है।
कांग्रेस में सबसे छोटी उम्र के विधायक दविंदर सिंह घुबाया का महिला थानेदार के साथ तकरार का ऑडियो वायरल होने से एक बार फिर सरकार व कांग्रेस पार्टी की किरकिरी हो रही है। हैरानी की बात है कि घुबाया अपनी सफाई देते हुए भी आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करते हैं। घुबाया के साथ उनके पिता की एक पुरानी वीडियो भी वायरल हो गई है।
पहले भी होती रही है तकरार
इससे पहले भी अफसरों व राजनेताओं में ऐसे विवाद होते रहे हैं। कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्री ओपी सोनी और स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन के बीच टकराव की वीडियो वायरल हुई थी। स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू एक मीटिंग का इसलिए बायकॉट करके चले गए कि मीटिंग की अध्यक्षता एक आइएएस अधिकारी ने की।
अतीत में वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत की तरफ से एक स्कूल की प्रिंसिपल के साथ उद्घाटन पत्थर पर नाम न लिखे होने के कारण विवाद हो गया। इसी तरह तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी एक महिला आइएएस अधिकारी को फोन पर मैसेज भेजने के कारण चर्चा में रहे हैं। बाघापुराना से कांग्रेस विधायक दर्शन सिंह बराड़ का डिप्टी कमिश्नर मोगा, नवांशहर से कांग्रेसी विधायक अंगद सैनी का नवांशहर की डिप्टी कमिश्नर, जालंधर से विधायक सुशील रिकू का एक पुलिस अफसर और आप के कोटकपूरा से विधायक कुलतार सिंह संधवां का एडिशनल डिप्टी कमिशनर व रोपड़ से विधायक अमरजीत सिंह संदोआ का रूपनगर वित्त कमिशनर के साथ विवाद चर्चा में रहा है।
यही नहीं जीरा (फिरोजपुर) से नौजवान विधायक कुलबीर सिंह जीरा एक बीईपीओ की बदली को लेकर तत्कालीन शिक्षा मंत्री अरुणा चौधरी से तल्ख हो गए थे। शिक्षा मंत्री व विधायक के बीच पड़ा झगड़ा मुख्यमंत्री के दफ्तर तक पहुंच गया था। हैरानी वाली बात है कि ज्यादातर मामलों में विधायक और महिला अफसर ही आमने सामने हुए हैं।
क्यों बढ़ रहा विवाद
कई अफसरों को मर्यादा का उल्लंघन करने के मामलों में स्पीकर की तरफ से भी तलब किया जा चुका है। विधानसभा में कई विधायक अफसरों की तरफ से उनकी बात न सुनने और फोन न उठाने की बात कही जा चुकी है, लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। 50 के करीब विधायक पहली बार सदन पहुंचे हैं। उन्हें अफसरशाही से काम करवाने का अनुभव नहीं है।