शाह की मौजूदगी में फिर लगी पानी के मुद्दे में आग, कैप्टन बोले- पंजाब के पास दूसरे राज्यों के लिए पानी नहीं
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में नार्थ जोनल काउंसिल की मीटिंग में एक बार फिर से पानी का मुद्दा ही हावी रहा। इस दौरान नशे का मुद्दा भी उठा।
जेएनएन, चंडीगढ़। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में नार्थ जोनल काउंसिल की मीटिंग में एक बार फिर से पानी का मुद्दा ही हावी रहा। पंजाब के हरियाणा सहित अन्य राज्यों के साथ चल रहे विवाद के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब के पास किसी भी राज्य को देने के लिए पानी नहीं है। उन्होंने नेशनल ड्रग पॉलिसी मांग भी फिर उठाई।
शाह की प्रधानगी में शुक्रवार को यहां हुई काउंसिल की 29वीं बैठक में कैप्टन अमरिंदर, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, पंजाब के राज्यपाल व यूटी के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल मौजूद थे।
कैप्टन ने कहा कि पंजाब में पानी की कमी के कारण किसान पूरी तरह भूजल पर निर्भर हैं। जिस कारण यह चिंतनीय स्तर पर गिर चुका है। कैप्टन ने नदियों के पानी का फिर से आकलन करने की मांग करते हुए कहा कि बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) की 2011 की सीरिज कहती है कि नदियों का पानी काफी कम हो गया है। इसलिए पंजाब के पास दूसरे राज्यों को देने के लिए पानी नहीं है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रावी नदी का अतिरिक्त पानी एसवाइएल नहर के जरिए लेने की मांग उठाई। उन्होंने केंद्र से पंजाब से यह पानी लेने में सहयोग देने को कहा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा कि उन्हें अपने हिस्से का पानी मिलना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि पानी अहम विषय है और सभी को उनका हक मिलना चाहिए। जल्द ही इस मामले में संबंधित राज्यों की मीटिंग बुलाई जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया है चार माह का समय
काबिले गौर है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर पंजाब और हरियाणा के बीच अधिकारी स्तर की दो मीटिंगें हो चुकी हैं। कोर्ट ने पानी के मुद्दे को सुलझाने के लिए चार महीने का समय दिया है।
चंडीगढ़ में पंजाब व हरियाणा के पदों का 60:40 का अनुपात हो
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यूटी चंडीगढ़ में पंजाब के पदों को खत्म किए जाने का भी विरोध किया। उन्होंंने कहा कि चंडीगढ़ में पंजाब व हरियाणा के पदों का 60:40 अनुपात कायम रखा जाए। पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 के अनुसार चंडीगढ़ में पंजाब की साठ फीसद पोस्टें बरकरार रखी जाएं।
सीमांत जिलों के प्रोजेक्टों में केंद्र की हिस्सेदारी 90 फीसद हो
कैप्टन ने कहा कि पंजाब देश के बड़े सीमांत प्रांतों में आता है। पांच जिले पाकिस्तान की सीमा से लगते हैं। ऐसे में पंजाब को स्पेशल केटेगरी वाला प्रांत माना जाना चाहिए। इन जिलों में लगने वाले प्रोजेक्ट्स में केंद्रीय हिस्सेदारी 90 फीसद होनी चाहिए। काबिले गौर है कि अभी इन प्रोजेक्टों में केंद्र सरकार 60 फीसद हिस्सा ही देती है।
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