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बचपन में दांतों की अनदेखी पड़ सकती है जिंदगी पर भारी

राम मालवा, चंडीगढ़ : बच्चों के दूध के दातों से जुड़ी समस्याओं को अक्सर लोग यह समझ कर अन

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 10:49 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 10:49 PM (IST)
बचपन में दांतों की अनदेखी पड़ सकती है जिंदगी पर भारी
बचपन में दांतों की अनदेखी पड़ सकती है जिंदगी पर भारी

राम मालवा, चंडीगढ़ : बच्चों के दूध के दातों से जुड़ी समस्याओं को अक्सर लोग यह समझ कर अनदेखा कर देते हैं कि ये दांत जल्द ही टूट जाएंगे और इनके बाद नए दांत आ जाएंगे। लेकिन पीजीआइ के विशेषज्ञों की रिसर्च के अनुसार ऐसा करना बच्चों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। जिन बच्चों के दूध के दांत खराब होते हैं, उसका कारण उनके दातों में ज्यादा मात्रा में बैक्टीरिया जमा होना है।

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वह दांतों की हड्डियों में चला जाता हैं, जिससे बच्चों के मसूडों मे दर्द होना शुरू हो जाता हैं। इससे बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड सकता है। यह जानकारी पीजीआइ चंडीगढ़ के ओरल डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. के गाबा ने शहर के स्कूल टीचर्स के लिए आयोजित जागरुकता सेमिनार में दी।

उन्होंने टीचर्स को बताया कि स्कूली बच्चों को किस तरह से दांतों की सफाई के प्रति जागरूक करना जरूरी है। क्या हैं दूध के दातों में समस्याओं का बड़ा कारण

जब माताएं अपने सोते हुए बच्चे को दूध पिलाती हैं,तो उसके बाद दूध की कुछ मात्रा बच्चे के मुंह में रह जाती है। डाक्टरों के अनुसार बच्चों को कुछ भी तरल पदार्थ या दूध पिलाने के बाद अगर उनके दांतों की अच्छे से सफाई नहीं होती तो बचा हुआ दूध उनके दातों में लंबे समय तक जमा रहता है। इस कारण बच्चों के मुंह में कैबिटी का खतरा बढ़ जाता हैं, साथ ही दातों मे इंफेक्शन बढ़ जाता है। बच्चों के दांत खराब हो जाते हैं और अगर सही से इलाज नहीं किया जाए तो बाद में उगने वाले दातों को भी काफी नुकसान हो सकता है। कैसे करें बचाव

- डॉ.के गाबा के अनुसार माताएं इन बातों का रखें ध्यान।

- दूध पिलाने के बाद बच्चे का मुंह अच्छी तरह साफ करें।

-किसी साफ कपड़े से बच्चों के दांतों को साफ करें।

-बच्चे को छोटी उम्र से ही दांतों की सफाई की आदत डालें।

- 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए पीपीएम फ्लोराइड पेस्ट का ही इस्तेमाल करें। दो हफ्ते से ज्यादा मुंह का छाला बना सकता है कैंसर का रोगी

ओरल डिपार्टमेंट के प्रो. विद्यारतन ने बताया कि मुंह मे दो हफ्तों से बना छाला कैंसर का कारण हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से जांच करवाना बेहद जरूरी है। मुंह का कैंसर कई बार शरीर के अन्य हिस्सों मे भी हो सकता हैं। इसलिए समय पर इलाज अनिवार्य हैं। उन्होने कहा कि पान सुपारी जैसी आदत बच्चों को स्कूलों के आस-पास की दुकानों से ही मिलती हैं। शिक्षा विभाग को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि मुंह के कैंसर का सबसे बडा कारण गुटका, तंबाकू व नशीली चीजों का नियमित सेवन हैं।

टीचर भी ओरल हेल्थ के सवालों में उलझे

चंडीगढ पीजीआइ के ओरल डिपार्टमेंट की ओर से यूटी गर्वमेंट स्कूल के टीचरों को बच्चों के दांतों की सफाई के बारे मे अवेयर किया गया। ताकि स्कूल मे आने वाले बच्चों को उनके दातों की सफाई के बारे मे सभी टीचर अच्छे से बता सकें। कार्यक्रम के शुरू होते ही ओरल डिपार्टमेंट की ओर से सभी टीचरों से दांतो से संबंधित 15 प्रश्न पूछे गए, लेकिन टीचर भी सभी सवालों की सही जवाब नहीं दे सके।


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