नृत्य की आध्यात्मिक दुनिया..
टैगोर थिएटर-18 में चल रहे नृत्य संगम के अंतिम दिन फागरे सिस्टर्स ने ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : उपासना से उपजे शास्त्रीय नृत्य की आध्यात्मिक दुनिया के दर्शन इसकी गहनता में दिखते हैं। ये गहनता अपनी प्रस्तुति में कल्याणी और वैदेही फागरे खूबसूरती से दर्शाती है। टैगोर थिएटर-18 में चल रहे नृत्य संगम के अंतिम दिन फागरे सिस्टर्स ने ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी। भोपाल से आई, दोनों बहनों ने भाव पक्ष और अभिनय पक्ष दोनों की प्रस्तुति दी। इसमें भक्ति से लेकर सौंदर्य को अलग-अलग माध्यम से दर्शाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मीनाक्षी विषय पर रही, जिसमें सूर्य के सामना आभा वाली, मधुर मुस्कान और विष्णु ब्रह्मा, विष्णु, महेश से सुसेवित देवी मीनाक्षी को प्रस्तुति के रूप में दर्शाया गया। इसमें शंकराचार्य कृत पदों को संगीत बद्ध कर प्रस्तुत किया गया। इसमें पंडित कुमार गंधर्व की बंदिश को भी इस्तेमाल किया गया। जिसकी संरचना बिंदू जुनेजा ने की। बटु नृत्य के साथ संगिनी भी..
कार्यक्रम के अगले हिस्से में दोनों बहनों ने बटु नृत्य की प्रस्तुति दी। इसमें ओडिसी नृत्य की दो खास तकनीक, पुरुषोचित और स्त्रियोचित की प्रस्तुति खास रही। कविता शैली में हुए इस नृत्य में काव्य और अभिनय दोनों अंश शामिल होते हैं। इसके बाद उड़ीसा के कवि बनमाली दास की रचना-संगिनि रे को ओडिसी के जरिए प्रस्तुत किया गया। कविता में दो सखियां, कृष्ण के सुंदर मनोहर रूप पर मुग्ध हैं और नृत्य में लीन है। ये नृत्य प्रस्तुति अपने आप में ब्रह्मांड को समेटे रही। आखिरी प्रस्तुति में फागरे बहनों ने पल्लवी की प्रस्तुति दी। इसमें सुर और लय दोनों को ही बहनों ने खूबसूरती से अपने नृत्य द्वारा प्रस्तुत किया। प्रस्तुति के दौरान, संगीत और नृत्य दोनों ने ही अपना सम्मोहन बनाए रखा। जिसने ओडिसी द्वारा आध्यात्म के दर्शन करवाए।